जायका कानपुर का, चख कर तो देखिये:'भू लोक का अमृत मट्ठा'-ठग्गू के लड्डू ,बदनाम कुल्फी

Anoop Ojha
Published on: 29 Oct 2018 12:43 PM GMT
जायका कानपुर का, चख कर तो देखिये:भू लोक का अमृत मट्ठा-ठग्गू के लड्डू ,बदनाम कुल्फी
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कानपुर: कानपुर कानपुर के ठग्गू के लड्डू जिसने भी एक बार खाया वो इन लड्डूओं का दीवाना हो गया । चाहे वो फिल्म स्टार हो राजनेता हो या फिर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सभी ठग्गू के लड्डू के बहुत बड़े फैन है। फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन का तो पूरा परिवार ठग्गू के लड्डू का दीवाना है।शुद्ध और देशी स्टाइल में बना पूरे देश में अपने नाम की वजह से विख्यात है। जो भी कानपुर पहली बार आया वो ठग्गू के लड्डू को खाय बिना नही गया।

ठग्गू के लड्डू की सबसे बड़ीशाखा बड़ा चौराहे पर है वैसे तो शहर में 5 स्थानों पर अलग -अलग स्टोर खोल दिए गए है। ठग्गू के लड्डू बीते 50 साल से अपनी टैग लाइन की वजह से फेमस है। इसके साथ ही इनकी बदनाम कुल्फी की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।

शॉप के मालिक प्रकाश पाण्डेय के मुताबिक हमारी यह शॉप 50 साल पुरानी है। यह शॉप मेरे पिता राम औतार पाण्डेय ने बनायीं थी ,उन्होंने ने ही इस शॉप का नाम ठग्गू के लड्डू रखा था। उन्होंने कहा हमारा लड्डू पूरी तरह से देशी का लड्डू है। इसमें देशी आइटम मिक्स रहते है। ,सूजी ,खोया ,गोंद ,चीनी ,काजू ,इलायची बादाम ,पिस्ता से तैयार किया जाता है। हम लोग उतना ही माल तैयार करते है जितना बिक जाये। कभी भी लड्डू बनाकर स्टोर नहीं किया है। जितना भी लड्डू बनता है वो रोजाना बिक जाता है।

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प्रकाश पाण्डेय का कहना है कि फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के पूरे परिवार को मेरी शॉप के लड्डू बहुत पसंद है। जब अभिषेक और ऐश्वर्या की शादी हुई थी तो मै 51 किलो लड्डू लेकर उनको गिफ्ट देने गया था।बबली और बंटी की शूटिंग में अभिषेक ने शॉप में लड्डू का स्वाद चखा था। उनको लड्डू इतना पसंद आया था कि उन्होंने अपनी पूरी टीम को यह लड्डू खिलाये थे। इसके साथ ही जब ग्रीन पार्क में मैच होता था तो सुनील गावस्कर ,कपिल देव ,नवजोत सिंह सिद्धू और सचिन तेंदुलकर ,सुरेश रैना सभी लोग ठग्गू के लड्डू के दीवाने है। टीम इण्डिया भी ठग्गू के लड्डू का स्वाद लेते रहे है।

उन्होंने बताया कि हमारे लड्डू भारत रत्न अटल बिहारी बाजपाई को बहुत पसंद थे। वो कभी स्वयं तो मेरी शॉप पर नहीं आये ,लेकिन जब भी उनके लोग लड्डू लेने आते थे तो बता देते थे कि अटल जी के लिए लड्डू जा रहे है। इसके साथ ही कई नेता और मंत्रियों के बीच हमारा लड्डू बहुत प्रिय है। त्योहारों के मौके पर नेता और अधिकारी खरीदकर ले जाते है।

प्रकाश पाण्डेय ने बताया कि मेरे पिता दिल्ली में फेरी लगाते थे और गाँधी जी के बहुत बड़े फैन थे। उन्होंने गाँधी का एक लेख पढ़ा था जिसमें लिखा था कि शक्कर सफ़ेद जहर है। बिना शक्कर के लड्डू बनता नहीं है। हमें ऐसा लगा कि हम आदमी के स्वस्थ्य और पैसा दोनों ठगते है जब अपने अन्दर झांक कर देखा तो ठग्गू नजर आया,इस लिए इसका नाम ठग्गू के लड्डू रख दिया गया।

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उन्होंने बताया कि जब मेरे पिता जी कानपुर आये तो जीविका चलाने के लिए कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय तिलक हाल के पास मट्ठे का ठेला लगाना शुरू किया। सन 1960 में लोग मट्ठा पीने के शौक़ीन नहीं थे क्यों कि घर-घर में मट्ठा होता था।मट्ठे की शॉप ज्यादा चलती नहीं थी ,तो उन्होंने एक बैनर लगाया जिसमे लिखा 'भू लोक का अमृत मट्ठा ' यह टैग लाइन लोगों को बहुत पसंद आई। कांग्रेस कार्यालय में आने वाले नेताओं ने भी इसकी तारीफ की थी। वहां पर नेताओं का आना जाना था तो उन्होंने नेताओं को आकर्षित करने के लिए लिखा था 'नेता बाजार का लड्डू देखने में कुछ स्वाद में कुछ'।

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इसके बाद जिला अस्पताल के सामने त्रिपाल लगाकर कुल्फी बेचना शुरू कर दिया। जिसका नाम रखा था बदनाम कुल्फी। यह कुल्फी आज भी शहर वासियों के बीच बहुत फेमस है। बदनाम कुल्फी पूरी तरह से देशी कुल्फी है इसे पिस्ता,काजू इलायची केसर और दूध से तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस कुल्फी का नाम बदनाम कुल्फी क्यों रखा गया।उन्होंने कहा कि 'बदनाम वही होती है जो फुटपाथों पर बिकती है,बंगलों पर बिकने वाली बदनाम नहीं होती ' यह कुल्फी मेरे पिता जी फुटपाथ पर बेचते थे इस लिए इसका नाम बदनाम कुल्फी है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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