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रेलवे ने काटा 1000 साल आगे का टिकट, भरना पड़ा जुर्माना

Charu Khare
Published on: 14 Jun 2018 3:31 PM IST
रेलवे ने काटा 1000 साल आगे का टिकट, भरना पड़ा जुर्माना
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सहारनपुर : भले ही आपके पास घूमने के लिए अपनी गाड़ी या फिर कोई और साधन हो लेकिन जो मजा रेल के डिब्बों में बैठकर यात्रा करने में हैं वो किसी और में नहीं लेकिन क्या कभी आपने आज से 1000 साल आगे की टिकट पर यात्रा की है नहीं न ? तो आइये बताते हैं आपको रेलवे द्वारा किया गया एक ऐसा ही अजीबोगरीब कारनामा।

जी हां दरअसल, रेलवे ने आरक्षण काउंटर से एक यात्री को एक हजार साल आगे का टिकट थमा दिया। विष्णु कांत शुक्ला 2013 में ट्रेन से सफर कर रहे थे, लेकिन उनके टिकट पर 2013 की जगह पर 1000 साल आगे की डेट लिखी थी। शुक्ला को टीसी ने गलत टिकट होने के चलते सीट से उतार दिया गया। इस मामले में उपभोक्ता अदालत ने बुजुर्ग यात्री को मुआवजा देने का फैसला किया है।

यह था पूरा मामला -

नवंबर 2013 में सहारनपुर के प्रद्युम्ननगर निवासी रिटायर्ड प्रोफेसर डा. विष्णु कांत शुक्ला ने सहारनपुर से जौनपुर के लिए हिमगिरी एक्सप्रेस में 19 नवंबर 2013 को एसी थ्री का रिजर्वेशन कराया था। लक्सर में चेकिंग स्टाफ ने टिकट जांचा और उस पर 19 नवंबर 3013 देख टिकट को गलत बताया और मुरादाबाद में प्रोफेसर को नीचे उतार दिया। प्रोफेसर ने रेलवे को शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

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इसके बाद आहत यात्री ने उपभोक्ता फोरम में रेलवे को चुनौती दे डाली, पांच साल संघर्ष के बाद रेलवे को मुंह की खानी पड़ी। उपभोक्ता फोरम ने रेलवे के खिलाफ फैसला सुनाते हुए यात्री को ब्याज सहित टिकट के पैसे लौटाने, 10 हजार बतौर मानसिक क्षति और 3 हजार वाद-व्यय देने के आदेश दिए हैं।

साबित हुई रेलवे की गलती -

इस मामले में प्रोफेसर का कहना है कि उसने रिजर्वेशन विंडो से ही टिकट लिया था और फार्म सही भरा था, यह रेलवे की त्रुटि है। वैसे भी 2013 के रिजर्वेशन चार्ट में 3013 के टिकट का नाम कैसे आता।

अब मिला सुकून : पीड़ित यात्री

जेवी जैन डिग्री कॉलेज से हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद से रिटायर्ड डा. विष्णुकांत शुक्ला ने कहा कि 19 नवंबर 2013 को उन्हें अचानक जौनपुर जाना पड़ा था। उनके साथी डा. कंचन सिंह की पत्नी का देहांत हो गया था, जिसमें जाने के लिए उन्होंने ट्रेन पकड़ी थी, लेकिन रेलवे की गलती पर टीटीई ने उन्हें अपमानित किया और उन्हें बीच रास्ते में मुरादाबाद में ही उतार दिया।

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इसके बाद रेलवे ने उनसे आठ सौ रुपये की मांग की साथ ही रेलवे के दूसरे स्टॉफ ने भी जौनपुर तक ले जाने के लिए 15 सौ रुपये मांगे थे। फिलहाल अब उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि उन्हें बिना गलती के फिजूल खर्च नहीं करना पड़ा बल्कि कानूनन उन्होंने अपने अपमान का बदला लिया, जिससे अब उन्हें सुकून मिला है।

Charu Khare

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