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Tiger Attack : आखिर क्यों बढ़ गईं लखीमपुर खीरी में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं, इन्हें कैसे रोका जाए?
मानव - वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग क्या कर रहा है, हम इन्हें कैसे रोक सकते हैं। आइये जानते हैं -
Tiger Attack : उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में मानव और वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को लेकर आस-पास की बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में एक बार फिर डर का महौल बना हुआ है। लखीमपुर खीरी में बीते लगभग एक माह में बाघ के हमलों में चार लोगों की मौत हुई है, जो चिंताजनक है। हालांकि इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं के पीछे का सबसे बड़ा कारण बाघ की संख्या में वृद्धि होना बताया जा रहा है। इसके साथ ही जंगल क्षेत्र में ग्रासलैंड की कमी भी एक वजह है। आइये जानते हैं मानव - वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग क्या कर रहा है, हम इन्हें कैसे रोक सकते हैं।
ताजा घटना उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जनपद में दक्षिणी वन प्रभाग क्षेत्र के महेशपुर रेंज अंतर्गत इमलिया गांव में हुई, जहां खेत में काम कर रहे किसान अमरीश कुमार पर बाघ ने हमला कर दिया। यही नहीं, उसके शरीर को 200 मीटर तक खींचते हुए ले गया और उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया। इस घटना से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है, पूरी रात जागने को मजबूर हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक है, यह घटना जहां हुई, वह क्षेत्र जंगल से काफी दूर है। वन विभाग भी इसे लेकर काफी चिंतित है।
चार पिंजड़े और 24 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए
उत्तर प्रदेश सरकार, प्रशासन, वन विभाग सहित कई अन्य विभाग मानव - वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार रणनीतियां बना रहे हैं। दक्षिण खीरी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी संजय कुमार बिश्वाल (आईएफएस) ने बताया कि पहली जो तीन घटनाएं हुई हैं, वह जंगल के पास हैं। यह एक घटना जो हुई है, वह जंगल से दूर है, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि जंगल के आस-पास काफी क्षेत्र में गन्ने की फसल है। जंगली घास समझकर टाइगर गन्ने की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें छिपने की जगह भी मिल जाती है। उन्होंने कहा कि टाइगर को पकड़ने के लिए चार पिंजड़े भी अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए हैं, इसके साथ ही 24 कैमरे भी लगाए गए हैं। अधिकारी और कर्मचारी लगातार निगरानी कर रहे हैं। यही नहीं, ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि एक-दो दिन में टाइगर नहीं पकड़ा गया तो हाथियों से कॉम्बिंग कराई जाएगी।
अकेले महेशपुर रेंज में 18 बाघ
उन्होंने कहा कि लखीमपुर जनपद में बाघ की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है। अकेले महेशपुर रेंज में वर्तमान समय में 18 बाघ हैं। इनकी संख्या बढ़ने की वजह से टेरेटरी की भी लड़ाई होती है। कई बार बाघ जंगल से निकलकर गांव की तरफ आ जाता है। वह मानव और मवेशियों का शिकार करने लगता है। उन्होंने कहा कि जागरूकता के माध्यम से हम हमलों को कम कर सकते हैं, इसके लिए वन विभाग आस-पास के क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चला रहा है।
गन्ने की ओर क्यों रूख कर रहे टाइगर?
उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) के. प्रवीण राव ने मानव - वन्य जीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी में टाइगर की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो गई है। इसके साथ ही ग्रासलैंड में कमी होने के कारण टाइगर गन्ने के खेत ओर रूख कर हैं, क्योंकि गन्ना ज्यादा घना होता है। टाइगर गन्ने के खेत को ग्रासलैंड समझकर अपने लिए सबसे सुरक्षित जगह मान लेता है। किसान जब अपने खेत में जाता है तो वह शिकार समझकर हमला कर देता है। इसलिए घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता जरूरी है। हमें एकजुट रहना होगा और खेतों या कहीं सूनसान क्षेत्र में जब कभी जा रहे हैं तो अकेले नहीं जाना चाहिए।
कॉरीडोर और ग्रासलैंड पर जोर देना होगा
उन्होंने कहा कि पहले जंगल क्षेत्र एक दूसरे से जुड़ा होता था, लेकिन जनसंख्या बढ़ने के साथ ही गांव और बस्तियां बस जाने से जंगल का क्षेत्रफल कम हुआ है। इसके साथ ही एक-दूसरे जंगल का आपस जुड़ाव भी समाप्त हो गया है। मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए हमें कॉरीडोर बनाने की ओर ध्यान देना होगा। इसके साथ ही जंगल क्षेत्र में ग्रासलैंड बढ़ाने पर जोर देना होगा।