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प्रोफेशनल्स को नहीं है आईएएस बनने में रूचि, जाने क्या ये है पूरा मामला
नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर के प्रोफेशनल्स को संयुक्त सचिव स्तर (आईएएस) की जॉब में रूचि नहीं है। ऐसा हम नहीं बल्कि खुद सरकार की तरफ से जारी किये गये आंकड़े इस बात को बयां कर रहे है। मामला प्राइवेट सेक्टर के प्रोफेशनल्स को संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर नियुक्त करने से जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार की तरफ से संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर नियुक्ति करने के लिए आवेदन मंगाने की अंतिम तारीख सोमवार को खत्म हो गई। लेकिन इन पदों के लिए किए गए आवेदन अपेक्षा से काफी कम थे।
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ये है पूरा मामला
संयुक्त सचिव स्तर पर केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों की कम संख्या से जूझ रही सरकार ने निजी क्षेत्र में उच्च पदस्थ लोगों को सीधे संयुक्त सचिव नियुक्त करने का फैसला किया है। सरकार का तर्क है किसी खास क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले लोगों को ब्यूरोक्रेसी में लाने से उनके अनुभवों लाभ लिया जा सकेगा। इसके लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 10 जून 2018 में ऐसे 10 पदों के लिए अधिसूचना जारी की थी। इच्छुक उम्मीदवारों से 15 जून से 30 जुलाई के बीच आवेदन मांगे गये थे। 31 जुलाई को आवेदन करने की तिथि समाप्त हो गई। कार्मिक मंत्रालय (डीएपीटी) के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि उनके पास अपेक्षा से कम आवेदन आए। उन्हें 1 लाख आवेदन आने की उम्मीद थी। लेकिन मात्र 6 हजार लोगों ने ही आवेदन किया। जो की उम्मीद से काफी कम है।
राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने संसद को बताई ये बात
जितेन्द्र सिंह ने संसद को बताया कि 'लैटरल एंट्री' का प्रोविज़न इसलिए किया गया ताकि गवर्नेंस में नए विचारों को लाया जा सके। इससे ये नहीं समझना चाहिए कि मौजूदा ब्यूरोक्रेसी सक्षम नहीं है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उदाहरण दिया जो कि लैटरल एंट्री के माध्यम से कई पदों पर रहे। हालांकि इन गिने-चुने उदाहरणों के अलावा सरकार बड़े स्तर पर यूपीएससी द्वार चुने हुए ब्यूरोक्रेट्स को ही इन पदों पर नियुक्त करती रही है।
नीति आयोग के सुझाव के बाद लिया गया था ये फैसला
केंद्र सरकार ने प्राइवेट सेक्टर के लोगों को सरकार में शामिल करने का फैसला नीति आयोग के सुझाव के बाद लिया था। आयोग द्वारा सिविल सर्विसेज़ रिफॉर्म पर ड्राफ्ट एजेंडा में कहा गया, 'आजकल अर्थव्यवस्था की बढ़ती हुई जटिलता विशेषज्ञता की मांग करती है। इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि किसी क्षेत्र विशेष के स्पेशलिस्ट लोगों को लैटरल एंट्री के माध्यम से सिस्टम में शामिल किया जाए।
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आयोग ने दिया था ये तर्क
आयोग ने तब ये तर्क दिया था कि ऐसा करने से आईएएस अधिकारियों के अंदर एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का भाव भी पैदा होगा। दरअसल सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी नीति निर्माण और उसे लागू करवाने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। वे सीधा सचिव या अतिरिक्त सचिव को रिपोर्ट करते हैं। संयुक्त सचिव स्तर का पद अभी तक यूपीएससी द्वारा करवाई गई परीक्षा के माध्यम से भरा जाता है। नोटिफिकेशन के अनुसार राज्य सरकार और केंद्र या राज्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के अधिकारी इस पद के लिए प्रतिनियुक्ति पर होंगे, जबकि प्राइवेट सेक्टर के प्रोफेशनल्स को कॉन्ट्रेक्ट पर रखा जाएगा।
नियुक्ति सिर्फ 3 सालों के लिए होगी
सरकार चुने हुए कैंडिडेट्स की नियुक्ति 3 साल के लिए करेगी हालांकि विज्ञापन में बताया गया था कि बाद में इसे दो साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। इस पद पर नियुक्त किए जाने वाले लोगों को अपने-अपने क्षेत्र में कम से कम 15 सालों का अनुभव होना चाहिए। मोदी सरकार पहले से ही ब्यूरोक्रेसी में सुधार लाने के लिए इस तरह के कदम की हिमायती रही है और अब ये विज्ञापन निकालकर सरकार ने इसे सुनिश्चित करने की बात कही थी।