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समय की जरूरत: गंभीर बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित हो रहा, ई-पास

ई-पास के लिए आवेदनकर्ता को किसी कार्यालय आदि में भी पहुंचने की जरूरत नहीं है। अपने एंड्रायड मोबाइल या किसी जनसुविधा केंद्र से ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। आवेदन की गंभीरता को देखते हुए उसी दिन उसे ऑनलाइन जारी कर दिया जाता है।

SK Gautam
Published on: 17 April 2020 1:38 PM GMT
समय की जरूरत: गंभीर बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित हो रहा, ई-पास
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कन्नौज: वैश्विक महामारी नोवेल कोरोना वायरस से बचने के लिए 25 मार्च से लगातार इन दिनों देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में मरीजों का इलाज कराना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन गंभीर बीमारियों से ग्रसित व आपातकालीन सेवाओं के लिए ई-पॉस किसी रामबाण या संजीवनी से कम साबित नहीं हो रहे हैं। अब तक करीब जिले में सात सौ अनुपति के पास जारी किए जा चुके हैं।

आवेदन की गंभीरता को देखते हुए उसी दिन जारी कर दिया जाता है, ई-पास

ई-पास के लिए आवेदनकर्ता को किसी कार्यालय आदि में भी पहुंचने की जरूरत नहीं है। अपने एंड्रायड मोबाइल या किसी जनसुविधा केंद्र से ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। आवेदन की गंभीरता को देखते हुए उसी दिन उसे ऑनलाइन जारी कर दिया जाता है। दो अप्रैल से जिले में यूपी ई-पास की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू हो गई थी। इसके तहत अगर किसी मरीज का दूसरे जिले में इलाज चल रहा है, या आपातकाल जरूरत पड़ती है तो ई-पास के लिए आवेदन कर सकता है।

आवेदन करने वाले दिन ही स्वीकृति मिल जाती है। डीएम कार्यालय से भेजे गया मैसेज आवेदक के मोबाइल पर पहुंच जाता है। इससे पता चल जाता है कि आवेदन स्वीकृत हो गया है। डीएम ऑफिस के बाबू अनूप सक्सेना ने बताया कि अब तक करीब 550 ऑनलाइन आवेदन आए हैं, इसमें ज्यादातर सीजर, कैंसर, हार्ट, न्यूरो व दौरा आदि गंभीर बीमारियों के आवेदन आए।

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करीब एक सैकड़ा आवेदन निरस्त किए गए हैं

जिनका इलाज बाहर के अस्पतालों में चल रहा है, ऐसे लोगों के आवेदन जल्द से जल्द जारी किए गए हैं, ताकि किसी की जान बच सके। उन्होंने बताया कि कागजों की कमी, अन्य कमियों व अधिक दिनों की अनुमति मांगने पर करीब एक सैकड़ा आवेदन निरस्त किए गए हैं। बीमारियों का इलाज कराने में सबसे अधिक लोगों ने निकट के जिले कानपुर जाने की अनुमति मांगी है।

साथ ही लखनऊ, फर्रुखाबाद व आगरा के हॉस्पिटल में इलाज के लिए भी ई-पॉस दिए गए हैं। आवेदन करते वक्त आधार कार्ड, फोटो व डॉक्टर का पर्चा संलग्न करना जरूरी होता है। दवाइयों को लाने के लिए थोक दुकानदारों मरीजों को भी पास अपर जिला अधिकारी स्तर से स्वीकृत होते हैं। जिले के अंदर तक के पास सम्बंधित एसडीएम जारी करते हैं। कन्नौज के तहसील सदर, तिर्वा व छिबरामऊ क्षेत्र से भी 300-400 पास के आवेदन की बात कही गई है।

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इनको भी मिली राहत

प्रयागराज के निवासी मनोज श्रीवास्तव जरूरी काम से जिले में आए थे, उनकी मां अकेली थीं। लॉकडाउन की वजह से वह घर नहीं जा पाए। मां का बराबर इलाज चल रहा था। अपनी मां की तबियत बिगड़ी तो मनोज परेशान हो गए। उन्होंने ई-पॉस के लिए जरूरी कागज लगाकर आवेदन कर दिया। स्वीकृति मिलने के बाद वह आनन-फानन में बाइक से निकल लिए।

अब वह अस्पताल में मां का इलाज करा रहे हैं। दूसरी ओर शहर के एक मोहल्ला निवासी प्राइवेट स्कूल के टीचर अपनी पत्नी का इलाज स्त्री एवं प्रसूति रोग निवारण की डॉक्टर से कराकर कानपुर से लौट आए हैं, उन्होंने भी ई-पास की सुविधा को बेहतर बताया है।

SK Gautam

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