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शौचालय न होने से शाहजहांपुर के इस गांव में टूट जाती है शादी

raghvendra
Published on: 7 Dec 2018 9:47 AM GMT
शौचालय न होने से शाहजहांपुर के इस गांव में टूट जाती है शादी
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आसिफ अली

शाहजहांपुर: देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री विकास के चाहे जितने दावे कर लें मगर इन दावों की पोल यूपी के शाहजहांपुर के एक गांव ने खोलकर रख दी है। इस गांव में दो मजरे ऐसे हैं जहां एक भी शौचालय नहीं बना है। उसका कारण बताया जा रहा है जातिवाद। गांव के दो मजरे ऐसे हैं जहां करीब 1500 दलित हैं मगर वहां एक भी शौचालय नहीं बना है। शौचालय न होने से अब एससी बरादरी के युवकों की शादियां रुक गई है। अगर कोई रिश्ता आता भी है तो शौचालय न होने की वजह से शादी कट जाती है। दूसरी ओर प्रधानपति का दावा है कि जिन मजरों में शौचालय नहीं बने हैं वहां भी जल्द बन जाएंगे। सीडीओ का भी कहना है कि जल्द ही सभी मजरों मे शौचालय बन जाएंगे।

मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर भावल खेड़ा ब्लाक में ग्राम सिउरा की आबादी करीब साढ़े पांच हजार है। इनमें ठाकुर बिरादरी के करीब 3500 लोग हैं। गांव में दो मजरे हैं जहां एससी लोग रहते हैं। उनकी आबादी करीब 1500 हैं। इसके अलावा दूसरी बिरादरी के 500 लोग हैं। गांव में दो मजरे हैं सिंगरहा और सिंगरही। इन दोनों मजरों में एक भी शौचालय नहीं बना है। इन दो मजरों में सिर्फ एक परिवार ऐसा है जिसके घर में शौचालय बना है। इसके अलावा सभी लोग खेतों में शौच के लिए जाते हैं।

एससी बिरादरी के लोगों का कहना है कि उनके मजरे में एक भी शौचालय नहीं बना है। उसका कारण है यहां का प्रधान स्वर्ण जाति का है। तीन साल में एक भी शौचालय मजरे में नहीं बनवाया गया है। अगर किसी योजना का लाभ मिलने वाला होता है तो साठगांठ करके सूची से एससी लोगों के नाम कटवा दिए जाते हैं। इसी कारण मजरे का विकास नहीं हुआ। वे सवाल करते हैं कि आखिर क्यों हमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांव के रहने वाले युवक ने बताया कि गांव में शौचालय न होने की वजह से हमारी शादी नहीं हो पा रही है। अगर कोई शादी के लिए रिश्ता आता भी है तो लङक़ी वाले शौचालय के बारे में पूछते हैं। जब उन्हें पता चलता है कि गांव में एक भी शौचालय नहीं है तो रिश्ते की बात बंद हो जाती है। इस गांव में कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता है। ऐसे में हमें चिंता सताने लगी है कि हमारी शादी हो भी पाएगी या नहीं।

जल्द बनेंगे शौचालय

इस बाबत सीडीओ प्रेरणा शर्मा का कहना है कि कुछ मजरे ऐसे हैं जहां पर एक भी शौचालय नहीं बने है। ऐसे मजरों को चिन्हित कर लिया गया है। 30 नवम्बर तक 98 हजार शौचालय के लिए पात्रों की फीडिंग कर ली जाएगी। जल्द ही उन मजरों मे शौचालय बन जाएंगे। उनका कहना है कि अगर प्रधान या सेक्रेटरी द्वारा अपात्र को पात्र बनाकर शौचालय दिया जाता है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जातिवाद का आरोप गलत: प्रधानपति

ग्राम प्रधान पति अशोक सिंह ने भी ये बात मानी कि गांव के दो मजरे ऐसे हैं जहां पर एक भी शौचालय नहीं बना है, लेकिन जातिवाद के चलते वहां पर शौचालय नहीं बने, ये आरोप गलत है। उनका कहना है कि मेरी पत्नी को तीन साल प्रधान बने हो गए हैं, हमने शौचालय बनवाने के लिए 718 पात्रों की लिस्ट भेजी थी। लेकिन इतने ज्यादा लोगों की लिस्ट देखकर उसे वापस कर दिया गया। उसके बाद हमने सूची से नाम कम करके 399 लोगों की सूची दी। सूची से भी नाम काटकर सिर्फ 238 शौचालय ही पास किए गए। इनमें 199 शौचालय बन चुके हैं और बाकी शौचालय बनाने का काम किया जा रहा है। प्रधानपति का कहना है कि सूची में सबसे ऊपर नाम गांव के पात्रों के थे और सूची में सबसे नीचे नाम मजरे सिंगरहा और सिंगरही के पात्रों के थे। लेकिन सूची मे सीरियल के हिसाब शौचालय दिए गए। यही वजह है कि उस मजरे के लोगों को शौचालय नहीं मिल पाए। उनका कहना है कि हमने दूसरी सूची भेजी है। जो जल्द ही पास हो जाएगी और उन दो मजरों मे भी शौचालय बन जाएंगे। उन्होंने शौचालय न होने की वजह से शादी नहीं होने जैसी बात को गलत बताया।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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