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GST: एक देश-एक टैक्स-एक बाजार, बदल गया व्यापार का तरीका

‘एक देश - एक कर - एक बाजार’ यह है जीएसटी की अवधारणा। यह बहुत बड़ा बदलाव है और किसी भी बदलाव की तरह इसे भी अपनाने में तरह-तरह के अंदेशे और कौतूहल हैं।

tiwarishalini
Published on: 1 July 2017 12:14 PM GMT
GST: एक देश-एक टैक्स-एक बाजार, बदल गया व्यापार का तरीका
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‘एक देश - एक कर - एक बाजार’ यह है जीएसटी की अवधारणा। यह बहुत बड़ा बदलाव है और किसी भी बदलाव की तरह इसे भी अपनाने में तरह-तरह के अंदेशे और कौतूहल हैं। चूंकि मामला व्यापार और टैक्स से जुड़ा है तो जाहिर है सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया भी व्यापारियों में ही है।

अभी तक तो बिजनेस पक्की रसीद, कच्ची रसीद, टैक्स वाला माल और बिना टैक्स वाला माल, बेतरतीब हिसाब किताब से होता आया था लेकिन अब बिजनेस का नया जमाना आ गया है जिसमें सब हिसाब किताब ऑनलाइन होना है।

इसी हिसाब-किताब के नये ढर्रे से व्यापारी वर्ग को अपने आप को ढालना है। ‘अपना भारत’ और newstrack.com ने विभिन्न जगहों पर व्यापारियों से बातचीत की कि जीएसटी पर उनकी क्या राय और तैयारी है।

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लखनऊ:

सोने और चांदी पर पहले एक फीसदी टैक्स लगता था। जीएसटी लागू होने के बाद यह टैक्स तीन फीसदी हो जाएगा। इसका असर भी उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। विभाग के अधिकारियों से जीएसटी को लेकर संवाद का मौका मिला था लेकिन वह भी सवालों का सही जवाब नहीं दे पाये।

-आदिश कुमार जैन,लखनऊ चौक सर्राफा एसोसिएशन

जिन व्यापारियों के पास चार महीने से स्टाक है। उन पर कोई ढील नहीं दी गई है। जीएसटी में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है। इनमें वह आइटम भी शामिल हैं जो पहले टैक्स फ्री थे, उन पर भी कोई नरमी नहीं बरती गई है। जीएसटी लागू कर रहे हैं पर उसमें किसी की सुन नहीं रहे हैं।

-सुशील अग्रवाल, अध्यक्ष कृषि मशीनरी निर्माता संघ, यूपी चैप्टर

जीएसटी लगने से छोटे-छोटे व्यापारियों को दिक्कते हो रही हैं। इसके तहत महीने में चार रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान है, व्यापारी कितना रिटर्न दाखिल करेगा, व्यापार क्या करेगा, उसी में व्यस्त रहेगा। इसका विरोध करने पर व्यापारियों को जेल भेजा जा रहा है।

-फीरोज अहमद, उपाध्यक्ष उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल

जीएसटी लगने से सारा काम खराब हो गया। कभी आटे, मैदा, सूजी, बेसन पर टैक्स नहीं रहा। पर यदि आप ब्रांडेड आटा, बेसन आदि खरीदते हैं तो उस पर पांच फीसदी टैक्स देना होगा। इसके अलावा जो स्टाक रखा जाएगा, उसका खर्च बढ़ेगा।

-संदीप अग्रवाल, व्यापारी

कपड़े का काम ऐसा व्यापारी करता है जो ज्यादा लिखा-पढ़ा नहीं होता। अब उसे हिसाब-किताब मेंटेन करने के लिए एक आदमी रखना पड़ेगा। उसकी भी अलग से सैलरी निकालनी पड़ेगी। इसके अलावा पहले कपड़ों पर सेल्स टैक्स नहीं था। सिर्फ मिल से निकलने वाले कपड़ों पर एक्साइज डयूटी लगती थी। अब तो जीएसटी के तहत पांच प्रतिशत टैक्स अदा करना होगा।

-सचिन अग्रवाल, कपड़ा व्यापारी

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आगरा:

जीएसटी लागू होने से इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा और कारोबारियों का शोषण बढ़ जाएगा। बाजार को संभलने के लिए कम से सात-आठ माह का समय लगेगा तथा कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। इसका ग्राहक और कारोबारी दोनों को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सोने-चांदी के गहनों की बिक्री एकदम कम हो जाएगी। कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

-मनोज गुप्ता, सराफा व्यपार मंडल

टुकड़ों-टुकड़ों में कट कर बिकने वाले कपड़े पर जीएसटी लगाने से कारोबार का भविष्य ही टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा। अब उत्पादन लागत बढ़ेगी और कपड़े महंगे हो जायेंगे। अब तो हर महीने रिटर्न फाइल करने के लिए पेशेवर लोगों की जरूरत होगी, इससे व्यापार की लागत बढ़ेगी। अंतिम समय में कपड़े पर जीएसटी लगाकर सरकार ने तुगलकी काम किया है

-लक्ष्मण, कपड़ा व्यापारी

जीएसटी से पहले दाल और चावल पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता था। अब ब्रांडेड के नाम पर 5 फीसदी टैक्स लगा दिया है। मंडी टैक्स को लेकर अभी तक स्पष्ट नीति नहीं बनी है। 10-15 दिन में दालों के दाम अचानक गिर गए हैं जिससे बड़ा घाटा उठाना पड़ा है।

-राजेश गुप्ता, किराना एसोसियेशन

होटल के कमरे पर टैक्स बढ़ गया है। यह बढ़ोतरी खरीदार को ही झेलनी पड़ेगी। पर्यटन देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने में तीसरे स्थान पर है. प्रत्येक सैलानी जो देश में आ कर होटल में रुकता है उसके पीछे 28 लोगों को काम मिलता है। ऐसे में टैक्स का भार इस उद्योग पर भारी पड़ सकता है।

-रमेश वाधवा, अध्यक्ष होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसियेशन

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गोंडा:

जीएसटी के बारे में अभी 95 फीसदी लोग अनभिज्ञ हैं इसलिए इससे भयग्रस्त हैं। यही वजह है कि सर्राफा का काम कर रहे व्यापारी अनिर्णय की स्थिति में हैं। 95 फीसदी व्यापारी कम्प्यूटर से भी अनभिज्ञ हैं इसलिए उन्हें ई-बिलिंग के लिए अलग से इंतजाम करना होगा। इसका भार व्यापारी और ग्राहकों पर आएगा। नतीजन छोटा व्यापारी मर जाएगा। अब टैक्स से जुड़ा भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

-राजीव रस्तोगी, सर्राफा व्यापार संघ के संरक्षक

मैं भारत सरकार को गल्ला व्यापार को जीएसटी से मुक्त रखने के लिए धन्यवाद दूंगा। लेकिन प्रदेश सरकासर ने ढाई प्रतिशत मंडी शुल्क लगाकर किसानों और अनाज व्यापारियों के लिए मुकिल खड़ी की है। इसे समाप्त किया जाना चाहिए।

-मुकेश अग्रवाल ‘पिंटू’, उपाध्यक्ष गल्ला मंडी व्यापार संघ

जीएसटी से सबसे ज्यादा भयभीत कपड़ा व्यापारी हैं। व्यापारी जानता ही नहीं कि टैक्स लगेगा कैसे और वह टैक्स कैसे लेगा। व्यापारी को तीन महीने का समय इसे समझने के लिए देना चाहिए। सरकार पहले व्यापारी को समझाए उसके बाद इसे लागू करे। जबरदस्ती जीएसटी लागू करने से कोई लाभ नहीं मिलेगा।

-आलोक अग्रवाल, सदस्य कपड़ा व्यापार संघ

जीएसटी व्यापार और व्यापारियों के साथ ही आम जन के लिए जटिल है। अधिकारियों को अधिक शक्ति प्रदान करने से व्यापारियों का शोषण और उत्पीडऩ भी बढ़ेगा। मंहगाई भी चरम पर होगी। जनता की सुविधा के लिये पहले व्यवस्थाओं का निर्धारण किया जाना चाहिये था।

-आदित्य पाल, नगर अध्यक्ष उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल

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फतेहपुर:

जीएसटी एक अभूतपूर्व कदम है। इसके लिये अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी पीएम की सराहना की है। जीएसटी से केवल उन लोगों को परेशानी है जो काला धन कमा रहे थे लेकिन टैक्स नहीं दे रहे थे। जीएसटी देश के विकास में बड़ा योगदान देगा।

-साध्वी निरंजन ज्योति, सांसद

जीएसटी किसी भी तरह से व्यापारियों के लिये नुकसानदेह और असुविधाजनक नहीं होने वाला है। एक देश एक कर प्रणाली के रूप में जीएसटी का लागू होना देश, व्यापारी और आम उपभोक्ता के लिये सरल और सुविधाजनक होगा। कुछ चीजें मंहगी जरूर होगी लेकिन बहुत सी वस्तुओं के दाम सस्ते होंगे। देश निर्माण में थोड़ी बहुत समस्या जीएसटी को समझने की होगी तो वह कोई बड़ी बात नहीं है।

-किशन मेहरोत्रा, अध्यक्ष जिला व्यापार मण्डल

95 फीसदी लोग अभी तक जीएसटी को समझ ही नहीं पाये हैं। जब लागू हो जाएगा तब इसके नुकसान-और फायदे समझ में आयेंगे। सबसे बड़ी समस्या फिलहाल उन छोटे दुकानदार के सामने पेश हो सकती है जिनके पास न तो कम्प्यूटर हैं और न सिस्टम चलाने का कोई ज्ञान है। लेकिन मोदी सरकार कुछ नया और बेहतर करने की मंशा रखती है तो क्यों न जीएसटी से होने वाले प्रभावों को धैर्य के साथ देखने और समझने की कोशिश की जाए।

-राजीव मेहरोत्रा, अध्यक्ष वितरक एसोसिएशन

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गोरखपुर:

सर्राफा कारोबार में जीएसटी को लेकर पूरी तरह अनिश्चितता है। केंद्र सरकार ने सर्राफा कारोबार पर पहले ही 2 फीसदी टैक्स लगा रखा है। जीएसटी लागू होने के बाद इसका क्या स्वरूप होगा, अभी तक साफ नहीं है। सर्राफा कारोबारी टैक्स देने के पीछे नहीं भाग रहे हैं लेकिन सरकार से हमारी मांग है कि वह हमें क्लर्क नहीं बनाए।

-अजीत बर्नवाल, सर्राफा नेता

अनाज के पैक्ड आइटम पर टैक्स लगना है जबकि खुले में बिकने वाले अनाजों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि कई वस्तुओं को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति है। कौन का सामान पैक्ड आइटम के दायरे में है कौन नहीं इसको लेकर भी अभी अनिचितता बनी हुई है। सरकार की नीयत भले ठीक हो लेकिन क्रियान्वयन में कई खामियां हैं।

-भाष्करानंद, अध्यक्ष, दाल विक्रेता संघ

आजादी के बाद पहली बार कपड़े पर भी टैक्स देना होगा। जीएसटी के विरोध में हमने 27 से 30 जून तक अपनी दुकानों को बंद कर विरोध जताया। लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है। अब कफन पर भी सरकार टैक्स वसूलेगी। शहरी कारोबारी तो जीएसटी के कागजी कोरम को पूरा कर देंगे लेकिन ग्रामीण दुकानदारों की बर्बादी तय है।

-राजो निभानी, अध्यक्ष, वस्त्र विक्रेता संघ

जीएसटी को लेकर मंाग भले ही नेक हो लेकिन इसे लागू करने को लेकर सरकार जिस तेजी में है वह देश की आर्थिक सेहत के लिए ठीक नहीं है। व्यापार जगत कामकाज को छोडक़र जीएसटी समझने में ही लगा है। प्रतीत हो रहा है कि व्यापारियों को अपने मुनाफे का बड़ा हिस्सा कागजात को दुरुस्त करने पर ही खर्च करना होगा।

-मनीष चांदवासिया, अध्यक्ष, चेंबर आफ इंडस्ट्रीज

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मेरठ:

यह सराफा कारीगरों के लिए आफत है। कारीगर को हस्तशिल्पी में लेना चाहिए,जो करमुक्त है। अभी तक मेकिंग चार्ज करमुक्त थे। जीएसटी लागू होने के बाद कारीगरों की सबसे बड़ी मुश्किल होगी। कारीगर अनपढ़ और गरीब हैं। उसे अपने वेतन से पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा। क्योंकि एक जुलाई से मेकिंग चार्ज पर कर लगने के बाद कारोबारी यह कर कारीगरों से वसूलेंगे। इसके अलावा कारोबारियों को बिलिंग में भी परेशानी होगी।

-दिनेश रस्तोगी, महामंत्री सराफा एसोसिएशन

जीएसटी की वजह से शहर का 30 फीसदी दवा कारोबार खत्म हो जायेगा। दवाओं को सरकार को टैक्स फ्री करना चाहिए था। लेकिन अब 5 प्रतिशत की दर कर से बढ़ाकर 12 करने की तैयारी है। कुछ दवाओं पर पर 14 फीसदी कर था, इसे बढ़ा कर अब जीएसटी में 28 प्रतिशत करने की तैयारी है। फूड सप्लीमेंट,दूध पाउडर भी जीएसटी में मंहगा होगा।

-अजय सेठी, पदाधिकारी दवा यूनियन

आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हैंडलूम कपड़े पर कर लगाया गया है। कृषि क्षेत्र के बाद यह उद्योग गरीब मजदूरों एवं व्यवसायियों को रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी लघु एवं कुटीर उद्योग के पक्षधर थे, उनका कहना था कि खादी वस्त्र नहीं विचार है इसका हमें सम्मान करना चाहिए।

-नवीन अरोड़ा, हैंडलूम वस्त्र व्यापार संघ

बुनकर समाज के लोग अपने घरों पर कपड़े की बुनाई का कार्य करते हैं। उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है। जीएसटी से कम पढ़े लिखे बुनकरों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। गरीब और कमजोर बुनकरों को जीएसटी से छूट मिलनी चाहिए।

-हाजी रहीसुद्दीन, बुनकर एसोसिएशन

प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार इस व्यवसाय को प्रोत्साहन देने की योजनाएं देती आ रही है। कर एवं कर की जटिलता के कारण कोई फायदा नही होगा। कर लगा कर इसे चौपट करने की साजिश हो रही है। जीएसटी के प्रावधानों एवं कम्प्यूटरीकृत एकाउंट रखने में अशिक्षित अथवा कम शिक्षित अथवा छोटे व्यवसायी होने के कारण उनका हिसाब रखना व खर्चे सहन कर पाना संभव नहीं है।

-अंकुर गोयल, महामंत्री, हैंडलूम वस्त्र व्यापारी संघ मेरठ

इस कानून से खेती किसानी में काम आने वाली सभी चीजें महंगी हो जाएंगी जिससे खेती की लागत बढ़ेगी। जीएसटी के बारे में हम लोगों का पता चल रहा है कि खाद और कीटनाशक महंगे हो जाएंगे। इसको लेकर हम लोगों को कोई सही जानकारी नहीं दी जा रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी से देश के लघु उद्योग के लिए खतरनाक है। इससे लागू होने से लघु उद्यमियों को मिलने वाली छूट समाप्त हो जाएगी, जिसका असर किसानों पर पड़ेगा।

-राज कुमार सांगवान, किसान नेता

जिस ढंग से जीएसटी को प्रचारित किया गया है यदि उसी भावना के साथ अधिनियम व नियमावली आए तो वाकई में स्वागत योग्य है। राष्ट्र में एक कर एक दर के सिद्घान्त के आधार पर इसकी अभिव्यक्ति की गयी है। दरअसल उद्योग व व्यापार जगत इसका स्वागत भी इसी समझ के साथ कर रहा है कि तमाम करों को समाप्त कर केवल एक टैक्स का चलन बनेगा व कर निर्धारित के लिए विभिन्न विभाग के झंझट से मुक्ति मिलेगी।

-गोपाल अग्रवाल, संयोजक, उद्योग व्यापार संगठन

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गायब हो गए व्यापारी

मेरठ में तमाम पंजीकृत डीलर जीएसटी के रडार से गायब हो गए हैं। वैट एवं सर्विस टैक्स विभाग में पंजीकृत हजारों व्यापारी अब तलाश करने पर भी नहीं मिल रहे हैं। विभागों द्वारा हजारों कारोबारियों को जीएसटी का पासवर्ड जारी गया,किन्तु इनमें से ज्यादातर एक्टिव ही नहीं हुए।

इधर वेरीफिकेशन में कई प्रतिष्ठानों का पता फर्जी मिला है। वाणिज्यकर विभाग में 32 हजार से ज्यादा डीलर पंजीकृत थे, जिन्हें जीएसटी में माइग्रेट किया जा रहा है। उन्हें जीएसटी नम्बर जेनरेट करना है। करीब 29 हजार पासवर्ड में से अब तक पांच हजार एक्टिव नहीं हुए हैं।

दूसरी ओर सर्विस टैक्स में कुल पंजीकृत कारोबारियों की संख्या मेरठ जोन में 9,442 है। इनमें 7,282 व्यापारियों को पासवर्ड जारी किया जा चुका है। लेकिन अभी तक मात्र 85 व्यापारियों द्वारा अपना पास वर्ड एक्टिव कराया गया है। इसी तरह एक्साइज टैक्स में कुल पंजीकृत इकाइयां 444 हैं। इनमें 149 इकाइयां ही पासवर्ड एक्टिव करा सकी हैं।

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रायबरेली:

अब तो जीएसटी लागू होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। जीएसटी क्या है हम खुद समझ नहीं पा रहे है। साथ ही सरकार की भी आधी अधूरी तैयारी है। इसमें क्या कैसे करना है पता ही नहीं है जीएसटी लागू होने के बाद ही समझा जाएगा।

-खुर्शीद आलम, दवा व्यापारी

जीएसटी के बारे में अभी 85 प्रतिशत लोगो को पता ही नहीं है। जानकारी के अभाव में लोग सरकार को बदनाम कर रहे है। वैसे, सरकार खुद भी तैयार नहीं है। लेकिन जो भी मालूम है उसके हिसाब से व्यापार साफ सुथरा हो जाएगा इसे लागू होना चाहिए।

-जसप्रीत सिंह, कपड़ा व्यवसाई

जीएसटी तो एक भार है। हम व्यापार करेंगे कि तैयारी ही करते रहेंगे। यह नियम गलत है और हम व्यापारियों पर बोझ है। हमें इसके तरीकों का पता नहीं है। व्यापारियों से सरकार की अपेक्षाएं गलत है। क्योंकि इससे व्यापारी व्यापार नहीं कर पायेगा।

-सुधीर पाण्डेय, सर्राफा व्यापारी

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वाराणसी:

जीएसटी में कुछ धाराएं ऐसी हैं, जो व्यापारियों के हित में नहीं हैं और इसमें सजा का प्रावधान सबसे घातक है। इसका भरपूर विरोध किया जाएगा। जीएसटी में टैक्स का स्लैब स्पष्ट नहीं है। इसमें कई जटिलताएं हैं।

-अनुज डिडवानिया, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

देश में एकल कर प्रणाली का उद्देश्य जीएसटी के गलत प्रावधान से पूरा नहीं हो रहा है। एक तरह से जीएसटी उद्यमियों व व्यापारियों पर लादा जा रहा है। ऑनलाइन प्रक्रिया लागू करने का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है। अभी छोटे व्यापारी इसके लिए तैयार नहीं है। उन्हें कुछ मौका मिलना चाहिए।

-अजीत सिंह बग्गा, व्यापारी नेता

जीएसटी के तहत 28 फीसद की कर दर पर दोबारा से विचार करना चाहिए। इसकी समीक्षा करते हुए २८ फीसदी दर केवल लग्जरी एवं डिमेरिट वस्तुओं तक ही सीमित रखी जाए। कर दरों की विसंगतियां दूर करना जरूरी है।

-नवरतन राठी, अध्यक्ष खाद्य व्यापार मंडल

70 सालों से कपड़ा और साड़ी पर टैक्स नहीं लगता था लेकिन जीएसटी के तहत इस पर पांच प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। इससे केवल कपड़े ही महंगे नहीं होंगे बल्कि लघु उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ेगा। इससे इस उद्योग से जुड़े लोगों पर और संकट आ जाएगा।

-अशोक धवन, संरक्षक बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन

कपड़ा उद्योग को सरकार के प्रोत्साहन की जरूरत है और इस पर करों का बोझ डाला जा रहा है। सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए। बनारस साड़ी उद्योग पहले से ही मंदी की मार झेल रहा है। ऐसे में 5 प्रतिशत टैक्स इस कारोबार को और बर्बाद कर देगा।

-केशव जालान, उपाध्यक्ष थोक वस्त्र व्यवसायी समिति

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जौनपुर:

जीएसटी लागू होने से कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होग आज भी स्वर्ण व्यवसायी तीन बार में तीन फीसदी टैक्स दे रहा है जीएसटी लागू होने पर भी एक बार में यही टैक्स देना पड़ेगा। कस्टमर पर दो फीसदी टैक्स का भार बढ़ जायेगा। इससे ब्लैक मनी पर रोक लगेगी। टैक्स की चोरी रुकेगी। लेकिन मंहगाई जो भी होगी ग्राहक से वसूला जायेगा।

-विनीत सेठ, सर्राफा व्यवसायी संगठन

जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन अब तक नहीं हुआ है उनका कारोबार बन्द हो जायेगा क्योंकि बिना रजिस्ट्रेशन के ब्यवसाय नहीं होगा। जीएसटी लागू होने से व्यापार आनलाइन होगा और भ्रष्टाचार रुकेगा। टैक्स की चोरी बन्द हो जायेगी। मंहगाई पर खास असर नही होगा।

-राम जियावन मौर्य, कपड़ा व्यवसायी संगठन

अनाज महंगा तो होगा लेकिन टैक्स की चोरी कोई नहीं कर सकेगा। सबका टिन नंबर होगा और आनलाइन व्यापार करना होगा। सुविधा चाहिए तो टैक्स देना ही होगा। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। जीएसटी, व्यापारी से ज्यादा ग्राहकों की जेब ढीली करने वाला रहेगा।

-दिनेश टंडन, अनाज व्यवसायी संघ के अध्यक्ष

जीएसटी से जीवन रक्षक दवायें महंगी हो जायेंगी। टैक्स की चोरी तो सरकार ही कराती है इसके आने के बाद भी लोग खेल कर लेंगे। सबसे बुरा प्रभाव ब्यापारियों पर पड़ेगा।

-देवेश निगम, दवा व्यवसाय संघ के जिला कोषाध्यक्ष

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आजमगढ़:

दवा व्यापारी इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इसके निश्चित रूप से अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है। इससे जीवनरक्षक दवायें सस्ती होंगी। जगह-जगह टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हर व्यापारी को इसका स्वागत करना चाहिए। जब सब कुछ पारदर्शी तरीके से होगा तो भ्रष्टाचार प्रश्रय ही नहीं पायेगा।

-रंजन राय, महामंत्री, केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन

जीएसटी लागू होने के बाद जेवरात महंगे होंगे। अब कच्चे पर्चे पर लोग खरीददारी करेंगे। ऐसे में टैक्स की चोरी का बढऩा तय है। जीएसटी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला एवं छोटे व्यापारियों को खत्म करने वाला है। जो व्यापारी पढ़े-लिखे नहीं हैं वह शोषण का शिकार होगा। कागजात सही कराने में उन्हें अतिरिक्त धन खर्च करना पड़ेगा।

-संदीप रजत, सचिव संयुक्त व्यापार मंडल स्वर्णकार कल्याण संस्थान

छोटे व्यापारियों का खत्म हो जाना तय है। अभी तक साड़ी, लुंगी, गमछा, थान के कपड़ों आदि पर कोई टैक्स नहीं लगता था। अब इस पर भी पांच फीसदी टैक्स लगा दिया गया है। ऐसे में निश्चित कपड़े मंहगे होंगे और मंहगाई की मार जनता पर पड़ेगी। साथ ही बहुत सारे व्यापारी पढ़े-लिखे नहीं हैं, उनसे लूट होगी। वह कागजात सही कराने के लिए अतिरिक्त धन खर्च करेंगे। टैक्स से जुड़े भ्रष्टाचार बढ़ेंगे।

-राज अग्रवाल, कपड़ा व्यापारी नेता

जीएसटी से सबसे घाटे में व्यापारी ही होगा। सरकार फायदे में होगी और उसको वोट देने वाले बहुतायत लोग फायदे में होंगे। यही वजह है कि सरकार व्यापारियों की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रही है।

जीएसटी में कानून की जटिलताओं की वजह से भ्रष्टाचार अधिक होगा। किराना व्यापार में टैक्स अलग अलग दर से रखा गया है। ऐसे में हिसाब रखने में दिक्कत होगी। महंगाई कम होने वाली नहीं है।

-संतप्रसाद अग्रवाल, नगर अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमण्डल

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