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UPSRTC: पायलट प्रोजेक्ट के तहत गाजियाबाद, लखनऊ के चुनिंदा मार्गों पर चलेंगी परिवहन निगम इलेक्ट्रिक बसें

UPSRTC: परिवहन मंत्री ने बताया कि साधारण एवं एसी बस मिलाकर कुल 1235 बसों को लेटर आफ इंटेंट जारी किया जा चुका है,जिसमें से 770 बसों ने क्षेत्रों में संचालन प्रारंभ भी कर दिया है।

Anant Shukla
Published on: 29 May 2023 12:10 AM IST
UPSRTC: पायलट प्रोजेक्ट के तहत गाजियाबाद, लखनऊ के चुनिंदा मार्गों पर चलेंगी परिवहन निगम इलेक्ट्रिक बसें
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Transport Corporation electric buses (Photo-Social Media)

Transport Corporation: गाजियाबाद से लखनऊ का सफर आसान होने वाला है। लखनऊ से गाजियाबाद के बीच परिवहन निगम द्वारा कुछ चुनिंदा मार्गों पर करीब 100 इलेक्ट्रानीक बसों को चलाने की योजना है। इन बसों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत संचालित किया जाना है। उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया है कि परिवहन निगम की लखनऊ एवं गाजियाबाद में कुछ चुनिंदा मार्गों पर 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में यह बसें पायलट तौर पर चलायी जाएंगी। इसके बाद इसे प्रदेश के अन्य जनपदों में आगे चलाया जाएगा।

किराया

परिवहन मंत्री ने बताया कि शीघ्र ही प्रदेश के लोगों को बेहतरीन एवं सस्ती परिवहन सेवा उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि अभी तक एसी बसों के लिए 2-2 सीटिंग अरेंजमेंट बसों की स्वीकृति थी परंतु अब 3-2 सीटिंग अरेंजमेंट बस सेवा को नवीन अनुबंधित बस योजना के अंतर्गत अनुबंध किए जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि 3-2 सीटिंग कैपेसिटी वाली बसों का किराया 1 रुपए 63 पैसे प्रति किलोमीटर आएगा,जबकि 2 2 सीटिंग अरेंजमेंट बसों का किराया 1.93 पैसे प्रति किमी आता है।इससे प्रति किमी कुल 30 पैसे का अंतर आएगा और लोगों को सस्ती ए०सी० बस सेवा उपलब्ध हो सकेगी।

कुल 1235 बसों को लेटर आफ इंटेंट जारी

परिवहन मंत्री ने बताया कि साधारण एवं एसी बस मिलाकर कुल 1235 बसों को लेटर आफ इंटेंट जारी किया जा चुका है,जिसमें से 770 बसों ने क्षेत्रों में संचालन प्रारंभ भी कर दिया है।

बता दें कि कई शहरों में इलेक्ट्रिक बसें पहले से ही चल रही हैं और काफी सफल भई रही। इलेक्ट्रानिक बसें पर्यावर्यवरण के अनुल होती हैं। क्योंकि शहर से बाहर अभी तक चार्जिंग की सुविधा नहीं थी इस लिए इलेक्ट्रिक बसों को केवल शहर के भीतर ही चलाया जा रहा था। लेकिन तेल पर आत्मनिर्भरता कम करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए सरकार अब इसका विस्तार करने जा रही है।



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