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साहित्यकार व सन्यासी के लिए भ्रमण आवश्यक: श्रीधर पराड़कर

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि हमें ऐसा लेखन करना होगा कि पाठक पढ़ने के लिए बाध्य हो।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 25 Jun 2022 10:35 PM IST
Shridhar Paradkar
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Shridhar Paradkar (Image credit: Social Media)

Lucknow: अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने रविवार को कहा कि साहित्यकार के लिए भ्रमण आवश्यक है। साहित्यकार को सन्यासी की तरह भ्रमण करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्यकार अपने लिए नहीं समाज के लिए लिखता है। साहित्यकार लोकमंगल की साधना करडाता है। वह विश्व संवाद केन्द्र जियामऊ के अधीश सभागार में आयोजित पुस्तक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों ने वरिष्ठ साहित्यकार श्रद्धेय श्रीधर पराड़कर की कृति 'देश—परदेश' का विमोचन किया।

श्रीधर पराड़कर ने कहा कि एक ही चीज को व्यक्ति अलग—अलग भाव से देखता है। कहीं पर किसी चीज को अगर आप पर्यटक की दृष्टि से देखेंगे तो आपको भौतिक सम्पदा दिखेगी और अगर आप साहित्यकार की दृष्टि से देखेंगे तो आपको बहुत सारी चीजें मिल जायेंगी। उन्होंने कहा कि मनुष्य की यात्रा सतत चलती रहती है। एक अन्तर यात्रा और एक वाह्य यात्रा। इसलिए अन्तर यात्रा का प्रकटीकरण होना चाहिए।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि हमें ऐसा लेखन करना होगा कि पाठक पढ़ने के लिए बाध्य हो।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयुक्त महामंत्री डा. पवन पुत्र बादल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य परिषद भारतीय मनीषा को लेकर कार्य करती है। इसलिए साहित्य परिषद के लोगों ने विचार किया कि अगर हमें भारत के अंदर और भारत के बाहर का संदर्भ लेना होगा तो वहां जाकर हमें देखना पड़ेगा कि विदेशों में भारत का क्या है। पवन पुत्र बादल ने बताया कि कंबोडिया में समुद्र मंथन हुआ था ऐसा वहां के लोग मानते हैं। भगवान वासुकी कंबोडिया के लोक देवता हैं। वासुकी का प्रतीक आपको कंबोडिया में सब जगह देखने को मिल जायेगा। बहुत से त्यौहार जो भारत के यहां के बाहर भी मनाये जाते हैं नाम अलग होंगे लेकिन परम्पराएं वहीं हैं।

साहित्य परिषद के लखनऊ महानगर अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्ता ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। स्वयं की यात्रा का प्रत्यक्ष अनुभव हमें यात्रा के दौरान मिलता है। उन्होंने कहा कि जो आज लिखा जा रहा है वह भविष्य में जरूर पढ़ा जायेगा।

साहित्य परिषद के अवध प्रान्त के प्रान्तीय अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने कहा कि यह पुस्तक यात्रा वृत्तांत का स्वरूप है। उन्होंने कहा कि यात्रा का अपना एक अलग आनंद होता है। आगे बढ़ने का नाम यात्रा है। यात्रा के दौरान हमें एक स्थान से दूसरे स्थान की कला संस्कृति रहन सहन व खान पान की जानकारी मिलती है। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डा.विद्या बिन्दू सिंह का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश महामंत्री डा. महेश पाण्डेय बजरंग, डा. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी,डा. ममता पंकज,डा. धनंजय गुप्ता,अविनाश कुमार और अविजीत सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।



Rakesh Mishra

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