जारी है 21 साल बाद भी धरना, विदेशों तक है गूंज, लेकिन देश में नहीं सुनी जा रही है फरियाद

इन 21 सालों में मंडलायुक्त तथा सीबीसीआईडी जांच हुई। अवैध कब्जों की पुष्टि हो गई। प्रमुख सचिव गृह चैम्बर ने तेजी दिखाते हुए करीब 300 बीघा जमीन कब्जे से मुक्त भी कराई। लेकिन अब भी सार्वजनिक जमीन का बड़ा हिस्सा बाहुबलियों के कब्जे में है।

zafar
Published on: 26 Feb 2017 4:43 PM GMT
जारी है 21 साल बाद भी धरना, विदेशों तक है गूंज, लेकिन देश में नहीं सुनी जा रही है फरियाद
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जारी है 21 साल से धरना, विदेशों तक गूंज रहा है नाम, लेकिन देश में नहीं सुनी जा रही है फरियाद

मुज़फ्फरनगर: घर परिवार छोड़ कर धरने पर बैठे एक बुजुर्ग की आवाज देश में भले ही न सुनी गई हो, लेकिन वह विदेशों में गूंजने लगी है। मास्टर विजय सिंह डीएम ऑफिस के बाहर 21 साल से धरने पर हैं। अब तक उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड समेत कई बुक्स में शामिल होकर अब इतिहास रचने की तरफ है। गांव चौसाना की लगभग 4000 बीघा जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए अब उनका आंदोलन 22 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है।

बाहुबलियों का आतंक

कैराना तहसील के चौसाना गांव के रहने वाले मास्टर विजय सिंह 26 फरवरी 1996 को जिला कलक्ट्रेट स्थित डीएम कम्पाउंड में धरने पर बैठे थे। बाहुबली ने 4000 बीघे सार्वजनिक जमीन पर कब्जा कर लिया था। तब से वह इसे मुक्त कराने के लिये धरने पर हैं। इन 21 सालों में विजय सिंह का घर-परिवार और सगे-सम्बन्धी साथ छोड़ गए। सरकारी नौकरी थी, जिससे हाथ धोना पड़ा। उन पर कई बार हमले हुए और एक साथी की हत्या कर दी गयी।

इन 21 सालों में मंडलायुक्त तथा सीबीसीआईडी जांच हुई। अवैध कब्जों की पुष्टि हो गई। प्रमुख सचिव गृह ने तेजी दिखाते हुए करीब 300 बीघा जमीन कब्जे से मुक्त भी कराई। लेकिन अब भी सार्वजनिक जमीन का बड़ा हिस्सा बाहुबलियों के कब्जे में है।

जारी है संघर्ष

मास्टर जी ने लखनऊ तक पैदल यात्रा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर सार्वजनिक जमीन को मुक्त कराने की गुहार लगाई थी। मुख्यमंत्री ने एक कमेटी गठित की थी लेकिन वो भी खानापूर्ति कर लखनऊ वापस हो गई। अब तक इसका परिणम नहीं आया है।

मास्टर विजय सिंह अब 55 वर्ष के हो गए हैं। वो दिन रात धरने पर ही रहते हैं। धरने पर ही खाना बनाना, बर्तन-कपड़े धोने जैसे काम भी मास्टर जी खुद ही करते हैं। मास्टर जी के खाने का सामान उनके गांव से मिलने आने वाले लोग लाते हैं।जिससे उनकी जिंदगी चल रही है।

अब मास्टर जी का धरना 22 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है और मास्टर जी का धरना विश्व का सबसे लम्बा धरना बन गया है। मास्टर जी का नाम लगभग सभी रिकॉर्ड बुक्स में दर्ज हो गया है और अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होने की तरफ है।

मास्टर विजय सिंह ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा है कि मेरी बात को भी अपने मन की बात में शामिल कर लें और अगर मेरी बात झूठी हो तो मुझे आजीवन कारावास की सजा दी जाय।

बदल गई जिंदगी

वह बताते हैं-दबंगों ने तत्कालीन शामली के चौसाना गांव में गरीबो, दलितों और पिछड़ों पर अत्याचार करके उनकी सार्वजनिक भूमि हड़प ली।

एक दिन कहीं से गुजरते हुए मैंने सुना कि बच्चा अपनी मां से कह रहा था कि मां किसी से आटा ले आ और शाम को तो रोटी बना ले। इस वाक्य ने मेरी जिंदगी बदल दी। मैं नौकरी छोड़ कर सार्वजनिक भूमि की पड़ताल में जुट गया।

मैंने पाया की 4575 बीघा जमीन थी जिसमें 4000 बीघे पर भूमाफियाओं का अवैध कब्जा था। मैंने काफी प्रार्थना पत्र दिए 1995 में कोई कार्यवाही नही हुई तो 26 फ़रवरी 1996 से धरने पर बैठ गया।

मेरे साथियों और मेरे परिवार पर हमला हुआ। झूठे मुकदमे में मेरा पूरा घर जला दिया गया। अभी तक मेरे आंदोलन में मेरी शिकायत पर लगभग 300 बीघे जमीन तो मुक्त हुई और 3200 बीघे जमीन पर रिपोर्ट आई और एक सौ कुछ मुकदमे दर्ज हुए जो पेंडिग हैं। मैं 19 दिनों की पैदल यात्रा करके मुख्यमंत्री से मिला लेकिन वही खेल हुआ। कमेटी नेताओं और माफियाओं का शिकार हो गई।

मन की बात

मुझे धरना के रिकॉर्ड की नहीं उस जमीन को मुक्त कराने की चिंता है, जो भू माफियाओँ के चंगुल में है। दोनों जिलो में सात लाख बीघे और उत्तर प्रदेश में करोड़ों बीघे जमीन है, जिससे गरीबी हट सकती है। उत्तर प्रदेश के विकास के लिए पर्याप्त जमीन है। उसे मुक्त कराने की जरूरत है।

अब मेरी प्रधामन्त्री जी से अपील है कि मन की बात में मेरी भी बात शामिल करें। या तो मुझे न्याय दें, या मुझे जेल दें।

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