Lucknow News: BBAU में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी: डॉ अंबेडकर के राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक-प्रतिबद्धताएं पर हुई चर्चा

बीबीएयू में रविवार को विश्वविद्यालय स्थापना दिवस और बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ। इस संगोष्ठी का विषय डॉ अंबेडकर की राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक प्रतिबद्धताएं पर रखी गई।

Virat Sharma
Published on: 13 April 2025 9:23 PM IST
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Lucknow News: Photo-Social Media

Lucknow News: बीबीएयू में रविवार को विश्वविद्यालय स्थापना दिवस और बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ। इस संगोष्ठी का विषय डॉ अंबेडकर की राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक प्रतिबद्धताएं पर रखी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और बाबासाहेब के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण से हुई। आयोजन समिति ने अतिथियों और शिक्षकों का स्वागत पौधा, शॉल, पुस्तक और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। सबसे पहले डॉ. विवेक नाथ त्रिपाठी ने अतिथियों और उपस्थित जनों का स्वागत किया और संगोष्ठी की रूपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन डॉ. रमेश चंद्र नेलवाल ने किया।

शिक्षा से होगा नवभारत का निर्माण: कुलपति

इस मौके पर कुलपति प्रो. मित्तल ने कहा कि बाबासाहेब अम्बेडकर का योगदान केवल संविधान निर्माण तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने शिक्षा, करुणा, प्रज्ञा और शील के माध्यम से एक समावेशी भारत की परिकल्पना की थी। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का मानना था कि शिक्षा ही व्यक्ति और समाज दोनों के निर्माण का साधन है। प्रो. मित्तल ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें नौकरी खोजने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनना चाहिए। उन्होंने स्वरोजगार, लघु उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने की बात कही और कहा कि विकसित भारत 2047 का सपना तभी साकार होगा, जब युवा सामाजिक सोच के साथ आगे बढ़ेंगे।

संविधान ही है भारत की आत्मा

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए संविधान अत्यंत आवश्यक है और भारत के लिए यह गर्व की बात है कि उसके पास डॉ. अम्बेडकर जैसे महान शिल्पकार का बनाया संविधान है। उन्होंने दोहे 'जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान' का उल्लेख करते हुए बताया कि बाबासाहेब ने वास्तव में धर्म और जाति की दीवारें तोड़कर समानता और समरसता स्थापित की। उन्होंने संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों पर भी विस्तार से चर्चा की।

बाबा-साहेब का व्यक्तित्व बहुमुखी और प्रेरणादायी: प्रो. संजय

बीज वक्ता प्रो. संजय गुप्ता ने बाबासाहेब के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक महान अर्थशास्त्री, शिक्षाविद, राजनेता और कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा सभी समस्याओं की कुंजी है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इसी बात को प्राथमिकता देती है। प्रो. गुप्ता ने भारतीय और विदेशी दार्शनिकों की विचारधाराओं से जुड़ी अनेक बातों को साझा किया।

विद्यार्थियों की प्रतिभा ने जीता दिल, प्रतियोगिताओं में दिखा उत्साह

संगोष्ठी के दौरान दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें विद्यार्थियों ने बाबासाहेब की राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक प्रतिबद्धताएं पर आधारित शोध-पत्र प्रस्तुत किए। पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो. शशि कुमार ने और दूसरे की अध्यक्षता प्रो. विनोद खोबरागड़े ने की। साथ ही विद्यार्थियों के लिए वाद-विवाद, क्विज, आशुभाषण, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन लेखन, निबंध और रंगोली प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इन प्रतियोगिताओं के विषयों में ‘बाबासाहेब की सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक दृष्टि’, ‘महिला सशक्तिकरण में डॉ. अम्बेडकर की भूमिका’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे।

Virat Sharma

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Lucknow Reporter

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