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भाकियू में दो फाड़, राकेश, नरेश टिकैत के सियासी बयानों से नाराज नेताओं ने बनाया BKU अराजनैतिक
भारतीय किसान यूनियन में दो फाड़ होना तय है। राजेश चौहान गुट के नेताओं ने आरोप लगाया है कि टिकैत बंधुओं ने इस संगठन का राजनीतिकरण किया।
Lucknow: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन (Indian Farmer's Union) में दो फाड़ हो गई है। भाकियू के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत (BKU founder Chaudhary Mahendra Singh Tikait) की पुण्यतिथि पर राजधानी लखनऊ के गन्ना संस्थान में जुटे भाकियू नेताओं, कार्यकर्ताओं की एक बड़ी बैठक हुई। जिसमें उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान (Vice President Rajesh Singh Chauhan) गुट ने भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक ) नाम से अलग संगठन बना लिया है।
जिसके बाद अब भारतीय किसान यूनियन में दो फाड़ होना तय है। क्योंकि इस संगठन के कई नेता राजेश सिंह चौहान के साथ आज मंच साझा करते नजर आए। राजेश चौहान गुट के नेताओं ने आरोप लगाया है कि टिकैत बंधुओं ने इस संगठन का राजनीतिकरण किया। उनके बयानों से संगठन की छवि धूमिल हुई, जिसके लिए इसका निर्माण चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने किया था वह अपने मूल राश्ते से भटक गया।
भारतीय किसान यूनियन राजनैतिक का गठन
इसलिए अब भारतीय किसान यूनियन राजनैतिक का गठन किया जा रहा है। यह संगठन सिर्फ किसानों की लड़ाई लड़ेगा। राजनीतिक दलों के साथ काम नहीं करेगा। ना ही संगठन से जुड़ा कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल में शामिल होगा। बैठक के बाद अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने राकेश टिकैत, नरेश टिकैत पर आरोप लगाया कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने जिस लिए इस संगठन को खड़ा किया था इन दोनों ने उसकी साख पर बट्टा लगाया।
किसी राजनीतिक दल के साथ जाने से संगठन की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। उन्होंने कहा वह अब किसानों की लड़ाई लड़ेंगे और किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे। अगर सरकार किसानों की बात नहीं सुनेगी तो वह आंदोलन करेंगे।
राकेश टिकैत से संगठन में नाराजगी
गन्ना संस्थान में आज हुई बैठक में भाकियू के जो प्रमुख नेता शामिल थे उसमें राजेश सिंह चौहान, राजेंद्र सिंह मलिक अनिल तालान, हरनाम सिंह वर्मा, बिंदु कुमार, कुंवर परमार सिंह, नितिन सिरोही समेत तमाम नेता नए संगठन में शामिल हुए हैं। राजेश चौहान को नए संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश चुनाव में जिस तरह से राकेश टिकैत भारतीय जनता पार्टी का खुलकर विरोध कर रहे थे और एक पार्टी की तरफ उनका झुकाव था। उससे इस संगठन से जुड़े लोगों में नाराजगी थी।
उनका कहना था कि भाकियू का जन्म किसी राजनीतिक दल के साथ तालमेल करने के लिए नहीं बल्कि किसानों की लड़ाई के लिए महेंद्र सिंह टिकैत ने किया था। लेकिन टिकैत बंधुओं ने इसका राजनीतिकरण किया। जिससे इसकी साख पर बट्टा लग रहा है। इसलिए अब वह भरे मन से अलग हो रहे हैं और एक नए संगठन का गठन कर रहे हैं जो सिर्फ किसानों की लड़ाई के लिए होगा।