नया विवाद : लंदन में नीलामी के लिए कैसे पहुंचे रामपुर के नवाबों के ये 2 ताज

रियासत कालीन रामपुर के नवाबीन के दो बेशकीमती और तारीखी ताज लंदन में आखिरकार कैसे पहुंच गए? कैसे उनकी नीलामी की जा रही है? जबकि रियासत मर्ज होने के बाद यह खजाना हिंदुस्तान की तत्कालीन सरकार को दिया गया था। इसको लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

tiwarishalini
Published on: 1 Dec 2016 10:28 PM GMT
नया विवाद : लंदन में नीलामी के लिए कैसे पहुंचे रामपुर के नवाबों के ये 2 ताज
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रामपुर: रियासत कालीन रामपुर के नवाबों के दो बेशकीमती ताज आखिरकार लंदन में कैसे पहुंच गए? कैसे उनकी नीलामी की जा रही है? जबकि रियासत मर्ज होने के बाद यह खजाना हिंदुस्तान की तत्कालीन सरकार को दिया गया था। इसको लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

क्या है पूरा मामला ?

यूपी के जिला बरेली और मुरादाबाद के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 24 के किनारे बसा रामपुर शहर कभी नवाबों का शहर हुआ करता था। साल 1774 में रामपुर को रूहेलखंड की राजधानी के रूप में नबावों के जरिए आबाद किया गया था।

taj-04 फाइल फोटो : ताज पहने रामपुर के नवाब

173 साल नवाबों के दौर में रामपुर स्टेट को काफी संवारा सजाया गया। यहां बेजोड़ और ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण किया गया जो आज भी दीदा ए जैब बनी हुईं हैं। हालांकि रखरखाव की कमी के चलते काफी इमारतें खण्डर में तब्दील हो चुकी हैं लेकिन जिनको तहफफुज किया गया वह इमारतें आज भी अपनी पूरी आबो ताब के साथ बुलंद ओ बाला हैं और अर्किटेक्चर का बेजोड़ नमूना पेश करती हैं।

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इनमें कलेक्ट्रेट परिसर, कोठी बेनजीर, कोठी खासबाग, गांधी समाधि, रामपुर रजा लाइब्रेरी, मछली भवन, राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लखी बाग, रंग महल, ऐतिहासिक दरवाजे, मकबरे आदि शामिल हैं।

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बेशकीमती चीजों के शौकीन रहे नवाबों ने आजादी के बाद सबसे पहले रियासत रामपुर को मर्ज किया था। इस दौरान रियासत की इमारतों के साथ साथ बेशकीमती और ऐतिहासिक खजाना भी हिन्दुस्तान की तत्कालीन सरकार की देखरेख में हुकूमत के खजाने में दिया गया।

taj-05 नवाब हामिद अली खां का पोट्रेट

अब इसी खजाने में मौजूद तत्कालीन नवाबों के दो ताजों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल रामपुर के नवाबों के दो ताज जो सरकार के खजाने में होने चाहिए थे वह लंदन में नीलामी के लिए रामपुर के नवाबों के ताज के नाम से ही रखे गए हैं और हिंदुस्तान सरकार को इसकी भनक भी नहीं है।

क्या कहते हैं काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां

नवाब खानदान से ताल्लुक रखने वाले नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने इंस्टाग्राम पर इन ताज की नीलामी होने की सूचना देखी तो उन्होंने फौरन इस नीलामी को रोकने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई।

kazim-ali नवाब काजिम अली खां

हालांकि नीलामी अपने तयशुदा वक्त पर हुई लेकिन नीलाम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय कंपनी क्रिस्टीज़ ने इन ताजों की नीलामी न करके सिर्फ इसकी तस्वीरों की नीलामी की है। बता दें कि डेविड वारेन क्रिस्टीज कंपनी ने इन ताजों की नीलामी रामपुर के नवाबों के ताज बताकर ही रखी थी।

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नवाब काजिम अली खां के मुताबिक दोनों ताजों का देश के बाहर चले जाना एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा करता है और इसमें तत्कालीन सरकार के वरिष्ठ और खजाने से संबंध रखने वाले बड़े अधिकारियों का हाथ हो सकता अन्यथा जो खजाना हिंदुस्तान के खजाने में होना चाहिए था वह आखिरकार देश के बाहर कैसे चला गया?

नवाबों के वंशज इब इस गुत्थी को कानूनी तौर पर सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं साथ देश की ऐतिहासिक विरासत को देश के भीतर लाने के लिए कानूनी कोशिशों में जुट गर हैं जिससे देश के सम्मान को सहेजा जा सके।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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