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Raebareli: यूक्रेन से घर लौटी मेडिकल छात्रा निहारिका की खुशी का ठिकाना नहीं, बयां की दर्दभरी दास्ताँ
Raebareli: यूक्रेन में एमबीबीएस की सेकंड ईयर की छात्रा निहारिका पटेल जब अपने देश अपने घर पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।
Raebareli: यूक्रेन से लौटी एक और मेडिकल स्टूडेंट ने अपनी दास्तां बयां की है। टरनोपिल की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की सेकंड ईयर की छात्रा निहारिका पटेल जब अपने घर पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।
शहर के अमरेशपुरी कॉलोनी की रहने वाली निहारिका पटेल यूक्रेन में एमबीबीएस की सेकंड ईयर की छात्रा हैं। 24 फरवरी को जब युद्ध छिड़ा तो इन्हें पता ही नहीं था कि यहां युद्ध जैसी कोई बात हुई है। निहारिका ने बताया कि उनकी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से उन्हें जानकारी हुई कि युद्ध छिड़ गया है।
युद्ध के हालात भयावह
इसके बाद निहारिका पटेल ने सोशल मीडिया और टीवी के माध्यम से युद्ध के बारे में जाना हालांकि निहारिका को कालेज के प्रोफेसर ने बताया कि युद्ध का ज्यादा प्रभाव कीव और खारकीव शहर में है जो यूक्रेन के पूर्वी इलाके है। टरनोपिल शहर कीव से लगभग पांच सौ किलोमीटर दूर पश्चिम इलाके में पड़ता है। जहां युद्ध का प्रभाव ना के बराबर होगा।
भारत में रह रहे निहारिका के पिता अरविंद किशोर और उनकी माता पार्वती देवी अपनी बेटी की सलामती को लेकर काफी दुखी हो उठी। उन्होंने निहारिका को युक्रेन छोड़कर भारत आने को कहा।उन्होंने जिला प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई।
निहारिका ने जब युक्रेन में इंडियन एम्बेसी से संपर्क किया तो इन्हें कुछ दिन इंतजार करने को कहा गया लेकिन धीरे-धीरे युद्ध के हालात भयावह होते जा रहे थे।निहारिका और उनके दोस्तों ने खुद के खर्चे पर एक बस हायर की और उससे रोमानिया बॉर्डर पहुंचे। वहां पर भारतीय छात्रों की इतनी भीड़ थी कि उस भीड़ के साथ-साथ इन्होंने कब रोमानिया बॉर्डर पार कर लिया इन्हें पता ही नहीं चला।
रोमानिया पहुंचने पर वहां पर इंडियन एंबेसी इन्हें शेल्टर होम ले गई और वहां एक दिन रखा और वहां के बाद से एयर इंडिया की फ्लाईट के जरिए इन्हें दिल्ली भेज दिया गया। दिल्ली से सड़क के रास्ते निहारिका रायबरेली पहुंची। रायबरेली पहुंचते ही जिले के तमाम अफसरों ने निहारिका का स्वागत किया।
पेशे से एएनएम निहारिका की माँ पार्वती देवी बेटी के घर लौटने पर काफी खुश हैं।उनका कहना है कि बहुत अच्छा लग रहा है कि बेटी सकुशल घर आ गयी है। युद्ध की शुरुआत हुई तो हम काफी डर गए थे।
निहारिका के पिता अरविंद किशोर खेती बाड़ी का काम करते है।उन्होने बताया कि डॉक्टरी की पढ़ाई भारत मे काफी मंहगी है जबकि युक्रेन में बहुत सस्ती हैं।इसलिए बेटी को युक्रेन भेजा था।