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आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड- मस्जिद की जगह कयामत तक मस्जिद ही रहेगी

दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के शेखुल हदीस मौलाना सलमान नदवी के बाद अब शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक ने अयोध्या में विवादित भूमि पर विद्या का मंदिर (स्कूल, कालेज) बना दिए जाने की बात कही है। शिया धर्म गुरू की बात से असहमति व्यक्त करते हुए देवबंदी उलेमा ने दो टूक कहा कि जो जगह एक बार मस्जिद के लिए वक्फ कर दी गई वह कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। कहा विवादित भूमि का मामला उच्चतम न्यायालय में है और कोर्ट से ही यह मामला हल हो सकता है।

priyankajoshi
Published on: 13 Feb 2018 7:29 AM GMT
आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड- मस्जिद की जगह कयामत तक मस्जिद ही रहेगी
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सहारनपुर: दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के शेखुल हदीस मौलाना सलमान नदवी के बाद अब शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक ने अयोध्या में विवादित भूमि पर विद्या का मंदिर (स्कूल, कॉलेज) बना दिए जाने की बात कही है।

शिया धर्म गुरु की बात से असहमति व्यक्त करते हुए देवबंदी उलेमा ने दो टूक कहा कि जो जगह एक बार मस्जिद के लिए वक्फ कर दी गई वह कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। कहा विवादित भूमि का मामला उच्चतम न्यायालय में है और कोर्ट से ही यह मामला हल हो सकता है।

बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि मामला अदालतों से होते हुए अब देश की सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। उलेमा का कहना है कि दशकों से चल रहे इस विवाद में पहले भी समझौते के प्रयास हुए लेकिन हल नहीं निकला। इसलिए इस विवाद का निस्तारण सुप्रीम कोर्ट को ही करने देना चाहिए।

शिया धर्म गुरू के सुझाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तंजीम उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना नदीमुल वाजदी ने कहा कि जो जगह एक बार मस्जिद के लिए वक्फ कर दी गई वह कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। इसलिए मस्जिद की जगह को न किसी को तोहफे में दिया जा सकता है और न ही उसके बदले कोई और जगह ली जा सकती है।

आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य मौलाना इस्लाम कासमी ने कहा कि बोर्ड ही नहीं बल्कि जमहूर (सभी उलेमा) का यही मत है कि मस्जिद की जगह से कोई समझौता नहीं हो सकता है। जहां पर एक बार मस्जिद कायम हो गई वह जगह कयामत तक मस्जिद की ही जगह रहेगी। बोर्ड अपने रुख पर पूरी तरह कायम है। उन्होंने कहा कि आजाद हिंदुस्तान से पहले किसी भी सरकारी गजट और इतिहास की किताब में मंदिर तोड़कर जबरन मस्जिद बनाने की कोई जानकारी नहीं है। इसलिए हमें समझौते के बजाए न्याय का इंतजार करना चाहिए।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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