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Dawood Ibrahim: अंडरवर्ल्ड के इशारे पर यूपी के इस माफिया ने गोलियों की तड़तड़ाहट से हिला दी थी मायानगरी! आज भी दाऊद का UP के शूटर्स पर है भरोसा

Dawood Ibrahim: कुख्यात डॉन एक ऐसी शख्सियत बनकर पाकिस्तान में वर्षों से रह रहा है, जिसकी मौजूदगी को वहां की सरकार दुनियाभर में नकारते फिरती है।

Krishna Chaudhary
Published on: 18 Dec 2023 9:54 AM GMT (Updated on: 18 Dec 2023 3:20 PM GMT)
Dawood Ibrahim: अंडरवर्ल्ड के इशारे पर यूपी के इस माफिया ने गोलियों की तड़तड़ाहट से हिला दी थी मायानगरी! आज भी दाऊद का UP के शूटर्स पर है भरोसा
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D Company UP Connection: अंडरवर्ल्ड डॉन और भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी दाऊद इब्राहिम फिर से खबरों में लौट आया है। ऐसी अफवाहें कि 67 वर्षीय दाऊद को किसी ने जहर देकर मारने की कोशिश की है और वह कुछ दिनों से कराची के एक अस्पताल में अंतिम सांसें गिन रहा है। पाकिस्तानी सेना ने उसकी सुरक्षा इतनी कड़ी कर रखी है कि उसके पास परिंदा का पर मारना भी मुश्किल है। कुख्यात डॉन एक ऐसी शख्सियत बनकर पाकिस्तान में वर्षों से रह रहा है, जिसकी मौजूदगी को वहां की सरकार दुनियाभर में नकारते फिरती है।

इसलिए दाऊद इब्राहिम से जुड़ी खबरें भारत में रह रहे उसके रिश्तेदारों और सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से आती रहती हैं। पाकिस्तान के सोशल मीडिया में दाऊद को जहर देने की अफवाह इतनी गर्म है कि वहां की सरकार को इंटरनेट तक को ठप करना पड़ा। भारतीय एजेंसियों के मुताबिक, दाऊद इब्राहिम कराची में पाक आर्मी के संरक्षण में रह रहा है और वहीं से अपना गैर कानूनी कारोबार चला रहा है। दाऊद जब तक भारत में रहा और जब यहां से गया भी उसके बाद भी उसके यहां के नेताओं और माफियाओं से संबंध बने रहे। अंडरवर्ल्ड डॉन का यूपी से भी खास कनेक्शन रहा है।

दाऊद का यूपी के नेताओं से संबंध

1993 के मुंबई सीरियल बम धमाके के बाद से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी बन गया। उसकी गतिविधियों पर सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियां पैनी नजर रखने लगीं, जो अब तक जारी है। दाऊद के भारत में जिन राजनेताओं और कारोबारियों से संबंध रहे है, उसकी सारी जानकारी एजेंसियों के पास है। अंडरवर्ल्ड डॉन का कनेक्शन यूपी के राजनेताओं और माफियाओं से भी खूब रहा है। आईबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1991 से 2011 के बीच उत्तर प्रदेश के कम से कम 80 नेताओं के दाऊद इब्राहिम से संबंध पाए गए। उन नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए दाऊद से मिले पैसे का इस्तेमाल किया और सांसद तक बने। रिपोर्ट की मानें तो करीब 80 सांसद और 100 विधायकों ने दाऊद इब्राहिम के पैसों और अन्य सेवाओं का फायदा उठाया।


सबसे चर्चित नाम माफिया डॉन से राजनेता बने ब्रजेश सिंह का है। ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच की अदावत जगजाहिर है। मुख्तार का सियासी रसूख बढ़ने के बाद ब्रजेश सिंह के पीछे पुलिस लग गई थी। जिससे बचने के लिए वह बिहार के रास्ते मुंबई भागा। जहां उसकी मुलाकात दाऊद के करीबी और शूटर सुभाष ठाकुर से ह़ुई। ये वो दौर था, जब दाऊद अपने जीजा (हसीना पारकर के पति) की हत्या को लेकर बौखलाया हुआ था। उसने पुलिस द्वारा पकड़े गए मुखबिर शैलेश हलदरकर को मारने के लिए शूटरों को लगा दिया।

12 फरवरी 1992 को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती शैलेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हमले में मुंबई पुलिस के दो सिपाही भी मारे गए थे। पुलिस की छानबीन में सुभाष ठाकुर के साथ – साथ ब्रजेश सिंह का भी नाम सामने आया था। 24 जनवरी 2008 को ब्रजेश सिंह को ओडिशा से अरेस्ट किया गया था। इसके बाद उसे मुंबई की कोर्ट में पेश किया गया। जहां गवाहों के मुकरने के बाद वह जेजे अस्पताल कांड में बरी हो गया। एक अन्य राजनेता मौजूदा बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर भी अंडरवर्ल्ड से रिश्ते रखने के आरोप लगे। टाडा कानून के तहत कुछ समय उन्हें जेल में भी बिताना पड़ा था। हालांकि, बाद में उन्हें सीबीआई से क्लीन चिट मिल गई थी। कोर्ट ने भी उन्हें इस मामले में बाइज्जत बरी कर दिया था।



दाऊद के गैंग में यूपी के शूटरों की भरमार

80 के दशक की शुरूआत से यूपी में माफियाओं और बाहुबलियों का उभार शुरू हुआ। इस दौरान जमकर राजनीतिक हत्याएं भी हुईं। उत्तर प्रदेश के शूटर्स से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी प्रभावित था। दुबई में बैठे दाऊद के गैंग का सारा काम उन दिनों उसका भाई इकबाल कासकर देखा करता था। वही शूटरों को हायर करता था। कासकर यूपी के उन शूटर्स को खास महत्व देता था जिनका नाम हाई प्रोफाइल मर्डर में आता था। उसे लगता था कि यूपी के शूटर अपना काम करना बखूबी से जानते हैं। इतना ही नहीं कुछ शूटर जो डी कंपनी और नेताओं के बीच पुल का भी काम करते थे।


पुलिस के पास एक समय जो रिकॉर्ड मौजूद थे उसके मुताबिक डी कंपनी में 200 शार्प शूटर थे, जिनमें 130 केवल उत्तर प्रदेश के थे। दाऊद इब्राहिम की उत्तर प्रदेश में दिलचस्पी की वजह एक ये भी थी कि इसका एक हिस्सा नेपाल से लगता है, जहां पहले खुली सीमा हुआ करती थी और लोग आसानी से आया-जाया करते थे। यहां से ड्रग्स की तस्करी करने में आसानी होती थी। इसके अलावा उसके गुर्गों को भारत में किसी वारदात को अंजाम देने के बाद नेपाल के रास्ते भागने में भी आसानी होती थी।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During her career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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