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Meerut News: रिटायर्ड कर्मचारियों की वजह से नौकरियों पर आफत, बढ़ रही बेरोजगारी
Meerut News: रिटायर्ड कर्मचारियों के सरकारी विभागों (government departments) में काम काम करने की वजह से युवाओं के लिए नौकरियों की जगह नही बन पा रही है।
Meerut News: देश में एक तरफ रोज़गार (Employment) के मौक़े ज़रूरत से बहुत कम ही उपलब्ध हो रहे है। दूसरी तरफ रिटायर्ड कर्मचारियों के सरकारी विभागों में काम काम करने की वजह से युवाओं के लिए नौकरियों की जगह नही बन पा रही है। मेरठ की ही बात करें तो उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (Uttar Pradesh Transport Corporation), नगर निगम (municipal Corporation), मेरठ विकास प्राधिकरण (Meerut Development Authority), परिवहन विभाग (transport Department), बिजली विभाग (electricity department) आदि-आदि किसी भी सरकारी विभाग को ले लीजिए उनमें रिटायर्ड कर्मचारी अथवा आऊटसोर्सिंग कर्मचारी काम करते देखे जा सकते हैं।
राज्य सरकार (State government) ही नही केंद्र सरकार (Central government) भी अपने रिटायर्ड कर्मियों को अनुबंध पर नौकरी दे रही है। कोरोना काल (corona period) में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों और कर्मियों को अनुबंध आधार पर नौकरी दी गई है। अनुबंध वाले पदों में निदेशक, सलाहकार और निजी सहायक से लेकर अनेक तकनीकी पद शामिल हैं।
रिटायर्ड कर्मचारियों और आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों से लिया जा रहा काम
इस बारे में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों की कई सालों से भर्ती नही हो रही है। ऐसे में कर्मचारियों की कमी को रिटायर्ड कर्मचारियों अथवा आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों से काम लेकर पूरा किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के कई विभाग तो ऐसे हैं जहां रिटायर्ड कर्मचारियों व आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के बलबूते ही सारा काम चल रहा है।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (Uttar Pradesh Transport Corporation) उनमें से ही एक है। परिवहन निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1989 के बाद से अब तक रोडवेज में नियमित सीधी भर्ती नहीं हुई है। इस समय परिवहन निगम में लगभग 18000 नियमित कर्मचारियों और 33000 संविदा कर्मचारियों को मिलाकर लगभग 51000 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। परिवहन निगम में क- वर्ग में प्रधान प्रबंधकों के 22 पद खाली हैं। ख- वर्ग में सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों के 68 पद खाली हैं। ग- वर्ग में लिपिकों के 4610 पद खाली हैं। घ- वर्ग में चालकों और परिचालकों के करीब 17000 पद खाली हैं।
संविदा पर कर्मचारी रखना फायदा
परिवहन निगम पिछले दिनों परिवहन निगम के विधि शाखा के सेवानिवृत्त अधिकारियों को निगम मुख्यालय,क्षेत्रों में मानदेय व संविदा पर रखे जाने का निर्णय लिया है।इसी तरह मेरठ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद में लंबे समय से ऐसे कर्मचारी कार्य करते आ रहे हैं,जो पहले रिटायर्ड हो चुके थे और अब विभाग में संविदा पर कार्य कर रहे हैं। इली तरह नगर निगम में संविदा पर 60 से ज्यादा कर्मचरी काम कर रहे हैं।
विभागीय अधिकारी संविदा पर कर्मचारी रखे जाने को फायदे का सौदा बताते हैं। बकौल नगर निगम के एक अधिकारी, संविदा पर दल हजार में काम करा लिया जाता है जबकि सरकारी कर्मचारी को तीस से चालीस हजार रुपये देने पड़ते हैं । ऊपर से हर साल वेतन बढ़ाने की धमकी। परिवहन विभाग का भी यही हाल है। यहां पर कई विभाग ऐसे हैं जहां संविदा पर प्राइवेट व्यक्ति काम कर रहे हैं।
नई पेंशन के तहत कर्मचारियों को बहुत मामूली रकम मिल रही है
दरअसल, हर साल सरकारी विभागों से काफी संख्या में कर्मचारी रिटायर्ड होते हैं, लेकिन उन कर्मचारियों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए विभाग उन्हें नियमित कर्मचारियों की कमी के चलते फिर से संविदा पर काम करने के लिए रख लेते हैं। अब क्योंकि नई पेंशन के तहत कर्मचारियों को बहुत मामूली रकम मिल रही है, सो कर्मचारी भी खुशी-खुशी कम मानदेय पर फिर से काम करने को राजी हो जाता है।
यही वजह है कि बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। हालांकि सरकारी स्तर पर हर साल रोजगार मेले आयोजित किये जाते हैं,लेकिन यहां युवाओं को रोजगार मिलना तय नही होता। 2021 की ही बात करें तो मेरठ मंडल में 108 रोजगार मेले लगे,लेकिन यहां नौकरी पाने वाले आधे से भी कम रहे।
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