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समान नागरिक संहिता देश के लिए जरूरीः त्रिपाठी केशरीनाथ
सम्पत्ति व दण्ड कानून पंथ निरपेक्ष होते है, इन्हें धर्म से जोड़ना सही नहीं है। 70 साल आजादी के बाद अब समय आ गया है जब देश में समान नागरिक संहिता बने। आयोग की नकारात्मक रिपोर्ट समयानुकूल नहीं है। न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता ने बरनवाल के प्रयासों की सराहना की।
प्रयागराज: पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा है कि सम्पत्ति कानून का धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है। समान नागरिक संहिता देश की एकता, अखंडता एवं विविधता के लिए देश हित में आवश्यक है। श्री त्रिपाठी ने अधिवक्ता अनूप बरनवाल की पुस्तक ‘समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की नकारात्मकता’ के हाईकोर्ट बार एसोसियेशन के पुस्तकालय हाल में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रहे थे।
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श्री त्रिपाठी ने कहा कि सम्पत्ति व दण्ड कानून पंथ निरपेक्ष होते है, इन्हें धर्म से जोड़ना सही नहीं है। 70 साल आजादी के बाद अब समय आ गया है जब देश में समान नागरिक संहिता बने। आयोग की नकारात्मक रिपोर्ट समयानुकूल नहीं है। न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता ने बरनवाल के प्रयासों की सराहना की।
वरिष्ठ अधिवक्ता डी.पी. सिंह ने कहा समय के साथ देश के कानून में समानता होनी चाहिए। सहायक सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश ने बरनवाल के लेखन की सराहना की। वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार बार काउंसिल आफ उ.प्र. के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने भी विचार व्यक्त किये।
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अनूप बरनवाल की पुस्तक का पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन डी.के. तिवारी ने किया। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के संयोजक नित्य प्रकाश तिवारी, अजय कुमार मिश्र, सुशील कुमार तिवारी, सी.बी. सिंह, शशि प्रकाश सिंह आदि कार्यक्रम में मौजूद थे।