Uniform Civil Code: उत्तराखंड के बाद अब यूपी सरकार लाएगी यूनिफॉर्म सिविल कोड, डिप्टी CM केशव मौर्य ने दिए संकेत

Uniform Civil Code: यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य़ (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की पैरवी कर सूबे की सियासत में हलचल पैदा कर दी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 23 April 2022 10:47 AM GMT
After Uttarakhand, now the UP government will bring Uniform Civil Code, Deputy CM Keshav Maurya has indicated
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यूनिफॉर्म सिविल कोड-डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य़: Photo - Social Media

Lucknow: देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) को लेकर एक फिर से सुगबुगाहट तेज हो गई है। अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर का निर्माण (construction of ram temple) और जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Article-370) की समाप्ति के बाद सामान नागरिक सहिंता अब वो एकमात्र बचा बीजेपी (BJP) का कोर एजेंडा है जिसे लेकर वो दशकों से राजनीति करती आई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के बयान के बाद इस मुद्दे ने नए सिरे से रफ्तार पकड़ी है। वहीं देश के सबसे बड़े सियासी प्रदेश उत्तर प्रदेश में भी ये मामला तूल पकड़ने लगा है।

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य़ (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की पैरवी कर सूबे की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा कि यूपी सरकार (UP Government) इसको लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के सभी भाजपा शासित राज्यों में 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। बता दें कि उत्तराखंड (Uttarakhand) बीजेपी शासित पहला राज्य है जिसने कैबिनेट की पहली बैठक में ही सामान नागरिक सहिंता का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोले डिप्टी सीएम मौर्य

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सबका साथ, सबका विकास के तहत सबके के लिए एक जैसा काम हो रहा है, तो सामान नागरिक सहिंता (common civil code) भी लागू होना चाहिए। हमारी सरकार इस पक्ष में है कि 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' देश के लिए यूपी के लिए बहुत जरूरी है। डिप्टी सीएम मौर्य ने आगे कहा कि बीजेपी के जो प्रमुख मुद्दे रहे हैं, उनमें धारा 370, राम मंदिर का निर्माण और सामान नागरिक सहिंता है। विपक्ष साथ देगा तो अच्छा है, यदि विपक्ष साथ नहीं देगा तो इसका मतलब ये नहीं कि हम इस पर विचार नहीं करेंगे। कश्मीर से धारा 370 को हटाने में भी विपक्ष ने साथ नहीं दिया था, फिर भी उसे हटाई गई, उसी तरह सामान नागरिक सहिंता भी लागू किया जाएगा।

शिवपाल यादव ने भी किया था समर्थन

इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) से नाराज चल रहे उनके चाचा और प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग कर सपा के खेमे में सनसनी मचा दी थी। शिवपाल सिंह यादव ने अंबेडकर जयंती के मौके यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, डॉ भीमराव आंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवाज संविधान सभा में उठाई थी। लोहिया जी ने भी संसद में इसके लिए आवाज उठाई थी तो हम लोग आज उनके जयंती पर सामान नागरिक सहिंता की आवाज बुलंद कर रहे हैं।

शिवपाल यादव: Photo - Social Media

उत्तराखंड की सरकार ने उठाया बड़ा कदम

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए कैबिनेट की पहली बैठक में ही सामान नागरिक सहिंता का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार के इस निर्णय की वजह का उल्लेख करते हुए कहा कि दो देशों से अंतरराष्ट्रीय सीमाएं लगी होने तथा उत्तराखंड के हर परिवार से किसी न किसी के फौज में होने के कारण प्रदेश के लिए समान नागरिक संहिता बहुत जरूरी है।

बता दें कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शनिवार को एमपी की राजधानी भोपाल में कहा कि देश में जल्द ही सामान नागरिक सहिंता लागू हो सकती है। बीजेपी नेताओं के साथ एक बैठक में शाह ने कहा कि सीएए, राम मंदिर, धारा 370 और तीन तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए। अब बारी यूनिफॉर्म सिविल कोड की है। केंद्रीय गृह मंत्री ने इस दौरान बीजेपी शासित उत्तराखंड का जिक्र करते हुए कहा कि कॉमन सिविल कोड पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है। ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। जो भी बचा है, सब ठीक कर देंगे। अमित शाह के इस बयान के बाद देश में एकबार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस छिड़ चुकी है।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (What is Uniform Civil Code)

'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू हो जाने के बाद देश में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे एक सामान कानून के अंतर्गत आ जाएंगे। इसमें धर्म के आधार पर कोई अदालत या अलग व्यवस्था नहीं होगी। संविधान का अनुच्छेद 44 (Article 44) इसे बनाने की शक्ति देता है। इसे केवल केंद्र सरकार संसद के जरिए ही लागू कर सकती है।

2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुद्दा था सामान नागरिक सहिंता

बता दें कि सामान नागरिक सहिंता को देश में लागू करने की मांग समय –समय पर उठती रही है। लेकिन अल्पसंख्यक समाज के एक बड़े तबके के सख्त विरोध के कारण विपक्ष की अधिकतर सियासी पार्टियां इससे कन्नी काटती रही हैं। वहीं सत्ताधारी बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इस मुद्दे को शामिल किया था।

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