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Prayagraj: प्रयागराज के 68 साल के अनिल रस्तोगी के म्यूजियम में मोहन से महात्मा तक का अनूठा कलेक्शन

Prayagraj News Today: प्रयागराज के 68 साल के अनिल रस्तोगी ने बापू का ऐसा अनूठा म्यूज़ियम तैयार किया है जो दुनिया में किसी दूसरी जगह शायद ही देखने को मिले।

Syed Raza
Written By Syed Raza
Published on: 2 Oct 2022 7:23 PM IST
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प्रयागराज के 68 साल के अनिल रस्तोगी के म्यूज़ियम

Prayagraj News Today: पूरा देश मे आज गांधी की 153वी जयंती (Mahatma Gandhi 153rd Birth Anniversary) है। ऐसे मे अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) देश ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में किस कदर लोकप्रिय है इसकी बानगी देखनी हो तो आपको संगम नगरी प्रयागराज आना होगा। प्रयागराज के 68 साल के अनिल रस्तोगी ने बापू का ऐसा अनूठा म्यूज़ियम तैयार किया है जो दुनिया में किसी दूसरी जगह शायद ही देखने को मिले।

म्यूज़ियम में मोहन से महात्मा तक के इस अनूठे कलेक्शन

दुनिया के 125 देशों ने अब तक बापू पर जो भी डाक टिकट, करेंसी और पोस्टकार्ड जारी किये हैं, इस म्यूज़ियम में वह सब के सब मौजूद हैं। इसके अलावा दुनिया भर में बापू पर अब तक जारी लगभग हर एक ग्रीटिंग्स, सिक्के, सोविनियर, पोस्टल स्टेशनरी, फर्स्ट डे कवर, मिनिएचर शीट, टोकंस, स्पेशल कवर्स और फोन कार्ड्स भी मौजूद हैं। म्यूज़ियम में " मोहन से महात्मा तक " के इस अनूठे कलेक्शन को इकठ्ठा करने में चालीस से ज्यादा सालों का वक्त लगा है और साथ ही उनके इस अनोखे मयूसियम के लिए कई अवार्ड से नवाज़ा भी गया।

125 देशों ने करीब साढ़े सैंतीस सौ डाक टिकटों में महात्मा गांधी

ये है बालक मोहन, यह हैं बैरिस्टर मोहन दास करमचंद गांधी और यह हैं हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। प्रयाग राज के अनिल रस्तोगी के म्यूज़ियम में बापू के जीवन के हर वह रंग देखने को मिलेंगे, जिन्हें दुनिया के 125 देशों ने करीब साढ़े सैंतीस सौ डाक टिकटों में उतारा है। इन डाक टिकटों में करीब छब्बीस सौ भारत में जारी किये गए हैं जबकि साढ़े ग्यारह सौ विदेशों में। म्यूज़ियम में " मोहन से महात्मा तक " के अनूठे कलेक्शंस में सिर्फ डाक टिकट ही नहीं बल्कि बापू पर अब तक दुनिया भर से जारी लगभग हर एक करेंसी, सिक्के, पोस्टकार्ड, पोस्टल स्टेशनरी, ग्रीटिंग्स, सोविनियर और स्पेशल कवर्स भी मौजूद हैं। इतना ही नहीं दुनिया भर से जारी मिनिएचर शीट्स, फर्स्ट डे कवर्स, टोकंस, फोन कार्ड्स वगैरह भी अनिल रस्तोगी के इस अनूठे म्यूज़ियम की शोभा बढ़ा रहे हैं।

बापू के अहिंसा के सन्देश और गांधीगिरी से रूबरू करने के लिए तैयार किया म्यूजियम

बापू पर ऐसा अनूठा कलेक्शन दुनिया में शायद ही किसी दूसरी जगह देखने को मिले। इनमें कई डाक टिकट, करेंसी व पोस्टल स्टेशनरी तो ऐसी हैं जो अब आसानी से दूसरी जगह देखने को नहीं मिलते। अनिल रस्तोगी ने इस म्यूज़ियम के लिए कलेक्शन की शुरुआत करीब इकतालीस साल पहले 1969 में बापू के जन्मशती वर्ष के दौरान की थी। इनमें से कई डाक टिकटों और करेंसी के लिए उन्हें काफी परेशान होना पड़ा। अनिल रस्तोगी के मुताबिक़ नई पीढी को बापू के अहिंसा के सन्देश और उनकी गांधीगिरी से रूबरू कराने के लिए ही उन्होंने यह म्यूजियम तैयार किया है। म्यूज़ियम के कलेक्शंस को देखने के बाद पता चलता है कि दुनिया के दर्जनों उन देशों ने भी बापू पर डाक टिकट व सिक्के जारी किये हैं जहां उन्होंने कभी कदम भी नहीं रखा।

म्यूजियम में आने के बाद लोगों को बापू के जीवन को समझने का मिला मौका

प्रयागराज के अनिल रस्तोगी के इन अनूठे कलेक्शन को देखने के लिए रोजाना तमाम लोग यहां पर आते हैं। इस म्यूज़ियम के कलेक्शंस को देखने के बाद ही लोगों को यह अंदाजा होता है कि बापू किस कदर देश ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में लोकप्रिय हैं। समूची दुनिया अगर अहिंसा के उनके सन्देश को ना मानती तो 125 देश उन पर डाक टिकट और करेंसी जारी न करते। इस अनूठे म्यूज़ियम में आने के बाद लोगों को बापू के जीवन, उनके विचारों और उनके संदेशों को और करीब व गहराई से समझने का मौका मिलता है। इस म्यूज़ियम में कई तस्वीरों, लेटर्स और अखबारों की कटिंग्स के ज़रिये भी बापू के " मोहन से महात्मा और राष्ट्रपिता " बनने के सफ़र को दिखाया गया है।

गांधी अब सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि समूची दुनिया

गांधी अब सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि समूची दुनिया के लिए एक विचार और आन्दोलन बन चुका है, ऐसे में अनिल रस्तोगी की कोशिशों से बढ़कर राष्ट्रपिता के प्रति शायद ही कोई दूसरी श्रद्धांजलि हो सकती हो। अपने इन अनूठे निजी कलेक्शंस को अनिल अब एक सार्वजनिक सार्वजनिक स्थान पर रखकर उसे औपचारिक तौर पर म्यूज़ियम की शक्ल देना चाहते हैं।



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Deepak Kumar

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