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शाहजहांपुर की अनोखी होली, मस्जिदों को पन्नी से ढका गया, जानिए क्या है वजह

होली के दिन रंग खेलने के बाद शहर में दो लाट साहब के जुलूस निकाले जाते हैं। एक छोटे लाट साहब का जुलूस और दूसरा बड़े लाट साहब का जुलूस। पिछले साल तक जुलूस के आयोजक लाट साहब को भैंसागाड़ी पर बांधकर बैठाते थे। और जुलूस में चलने वाले लोग लाट साहब का स्वागत जूते चप्पल और ईट, पत्थर से मारकर करते थे। जिसमें लाट साहब को गंभीर चोटें आ जाती थी।

SK Gautam
Published on: 18 March 2019 12:57 PM IST
शाहजहांपुर की अनोखी होली, मस्जिदों को पन्नी से ढका गया, जानिए क्या है वजह
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शाहजहांपुर: देश की सबसे अनोखी खेली जाने वाली होली यूपी के शाहजहांपुर की है। जहां रंग खेलने के बाद लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है। लाट साहब को भैंसागाड़ी पर बांधकर बैठा दिया जाता है। लेकिन जुलूस में शामिल लोगों द्वारा ईंट पत्थर तक फेंकने कि वजह से लाट साहब को गंभीर चोटें आ जाती थी, लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने सतर्कता दिखाया है और साथ ही जुलूस के आयोजकों ने नई पहल की है।

दरअसल, होली का यह दिलचस्प नजारा यूपी के शाहजहांपुर में दखने को मिलता है। होली के दिन रंग खेलने के बाद शहर में दो लाट साहब के जुलूस निकाले जाते हैं। एक छोटे लाट साहब का जुलूस और दूसरा बड़े लाट साहब का जुलूस। पिछले साल तक जुलूस के आयोजक लाट साहब को भैंसागाड़ी पर बांधकर बैठाते थे। और जुलूस में चलने वाले लोग लाट साहब का स्वागत जूते चप्पल और ईट, पत्थर से मारकर करते थे। जिसमें लाट साहब को गंभीर चोटें आ जाती थी।

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लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने भैंसागाड़ी पर बैठे लाट साहब को, एक लोहे के पिंजरे में बैठाने का मन बना लिया है। ताकि जुलूस में आने वाले लोगों की पहुंच लाट साहब तक न हो सके और लाट साहब सुरक्षित रहें। इसके लिए प्रशासन ने लाट साहब के पिंजरे के आसपास आरएएफ की फ़ोर्स को भी तैनात करने का फैसला किया है। इन बदलाव को देखकर लगता है कि इस बार लाट साहब का जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकल जाएगा। पहली बार ऐसे इंतजामों को देखकर लग रहा है कि इस बार लाट साहब का जुलूस ऐतिहासिक होने वाला है।

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आयोजकों का कहना है कि इस बार लाट साहब बनने का मौका गाजियाबाद के रहने वाले एक युवक को मिला है। उनका कहना है कि लाट साहब बनने के लिए गाजियाबाद से जो युवक यहां आया है। वह बेहद उत्साहित है।

लाट साहब का जुलूस यहां के पुलिस प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है। यही कारण है कि डीएम और एसपी काफी पहले से ही होमवर्क करना शुरू कर देते हैं। थानों पर दोनों समुदायों के लोगों को बुलाकर पीस कमेटी की मीटिंग की जाती है। लेकिन इस बार खुद बरेली जोन के एडीजी अवनीश चंद्र ने दो दिन इस जिले में गुजारे है। इतना ही नही एडीजी ने खुद भारी संख्या में पुलिस बल के साथ सड़क पर निकलकर लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से लाट साहब का जुलूस निकालने के लिए कहा है।

पन्नी से ढकवाया मस्जिदों को

लाट साहब के जुलूस की वजह से, दूसरे समुदाए के लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे इसके लिए प्रशासन ने शहर की सभी मस्जिदों को पन्नी से ढकवा दिया है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाक़े मे गलियों और सड़कों को बल्लियों से बन्द करने का कार्य भी शुरू हो गया है। पुलिस प्रशासन इस बार जुलूस में छोटी सी भी लापरवाही होने की गुंजाइश नहीं रखना चाहता है।



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