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यहां बने विश्वविद्यालय तो रुकेगा हजारों युवाओं का पलायन, देखें रिपोर्ट
स्थानीय नेताओं को क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं के लिये एक अनोखा विकासपर प्रयास करना होगा जिससे भविष्य में संतुलित विकास के जरिए स्थानीय जरूरतों को पूरा करते हुए बुनियादी समस्याओं का निवारण हो सके। लेकिन आजादी के 70 सालों बाद तक भी नहीं हो सका।
अनुज हनुमत
चित्रकूट का पाठा क्षेत्र हमेशा से दस्युओं के चपेट मे रहा है। देश को स्वाधीनता मिलने के बाद से लगातार पाठा मे दस्युओं का राज चलता रहा। ददुआ जैसे खुंखार डकैतों की यहां तीन दशक तक सरकार चली। लेकिन यह इलाका हमेशा से बुनियादी सुविधाओं से अछूता रहा है। यहां का शिक्षा का स्तर आज भी शून्यता की स्थिति मे है। यहां तक की पाठा के कई इलाके हैं जहां की चौथी पीढी भी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा शिक्षा की तो बात दूर। जैसे-तैसे यहां के बच्चे सरकारी स्कूल मे पढाई कर प्राथमिक शिक्षा से माध्यमिक तक की पढाई तो पूरी कर ले रहे हैं लेकिन उच्च शिक्षा का बेहतर माध्यम न मिलने से उन प्रतिभाशाली देश के भविष्यों को उच्च शिक्षा न मिल पाने से प्रतिभा चकनाचूर हो जाती है। इसके बाद बेरोजगारी के दंश मे पला परिवार बड़े शहरों के लिए पलायन कर जाता है।
उच्च शिक्षा के लिए ललायित युवा आबादी के लिए उपलब्ध उच्च शिक्षा केंद्र के मामले में बुंदेलखंड का पाठा सबसे पिछड़ा है। ऐसे में इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में छात्र बेहतर उच्च शिक्षा के लिए हर साल दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं। एसे मे चित्रकूट के पाठा क्षेत्र मे विश्वविद्यालय की मांग उठना लाजिमी है। हमारी टीम बुंदेलखंड मे उच्च शिक्षा की बदहाली के विभिन्न कारकों की पड़ताल कर रही है।
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जिस दिन हमारी शिक्षा राजनीति से मुक्त हो जायेगी, उस दिन
मौजूदा समय मे स्कूल या कॉलेज खोलना एक बढ़िया उद्योग बनता जा रहा है। लेकिन, बुंदेलखंड का कोई हब तो है नहीं, इसलिए कमाई करनेवाले भी वहां कॉलेज खोलने नहीं जाते। वे नाेएडा, कोटा,भोपाल या ऐसी जगहों पर कॉलेज या विश्वविद्यालय खोलते हैं, जहां पर दूर-दराज से बच्चों को आकर्षित किया जा सके। ऐसे में सरकारों को चाहिए कि कॉलेज या विश्वविद्यालय खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाकर खासकर ऐसे लोगों को आमंत्रित करे या वहां ऐसे लोगों को बिठाये, जिनकी ईमानदारी असंदिग्ध हो। हालांकि, इसके लिए राजनीतिक नेतृत्व में इच्छाशक्ति और उसका ईमानदार होना बहुत जरूरी है। जिस दिन हमारी शिक्षा राजनीति से मुक्त हो जायेगी, उस दिन शिक्षा में हम एक आदर्श स्थापित कर पाने मे कामयाब होंगे।
स्थानीय नेताओं को क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं के लिये एक अनोखा विकासपर प्रयास करना होगा जिससे भविष्य में संतुलित विकास के जरिए स्थानीय जरूरतों को पूरा करते हुए बुनियादी समस्याओं का निवारण हो सके। लेकिन आजादी के 70 सालों बाद तक भी नहीं हो सका। सिर्फ पाठा क्षेत्र के पिछड़ेपन के नाम पर वोटों की सियासत की जा रही है। हर चुनाव में विकास की बातें की जाती है मगर वोट लेने के बाद सभी राजनीतिक दल इस क्षेत्र की बदहाली को भुला देते हैं। यही वजह है कि अब बुंदेलखंड अलग राज्य की मांग के साथ पाठा मे उच्च शिक्षा केन्द्र(विश्वविद्यालय) की मांग तेजी से उठने लगी है।
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अगर पाठा में विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो...
किहुनियाँ के युवा प्रधान विनय द्विवेदी का कहना है कि अगर पाठा में विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो इससे इस क्षेत्र के हजारो युवाओं को लाभ मिलेगा और उनका पलायन रुकेगा। उन्होंने कहा कि यहां डकैतो की दशकों से समस्या रही है जिसका प्रमुख कारण है उच्च शिक्षा का अभाव। अगर पाठा में विश्वविद्यालय किस स्थापना होती है तो निःसन्देह यह समस्या भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
वहीं इस मांग को सही बताते हुए युवा भाजपा नेता प्रकाश केशरवानी का कहना है कि पाठा में विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उन्होंने कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल नन्दी से बात करते हुए उनसे इस हेतु आगे की कार्यवाही बढाने की बात कही है । उन्होंने कहा कि कोल आदिवासी सहित हजारो युवा उच्च शिक्षा या तो दूर रह जाते हैं या फिर गुणवत्तापूर्ण पढाई नही कर पाते । ऐसे में अगर पाठा में विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो यहां के युवा भी देश के विकास में सहायक बनेंगे ।