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Unnao News: कानपुर शुक्लागंज जोड़ने वाले ब्रिटिश कालीन पुल को हटाने का भारी खर्च: मरम्मत को नजरअंदाज करने का खामियाजा
Unnao News: पुल का एक स्पैन गंगा में गिरने के बाद इसे हटाने में अनुमानित 25 से 30 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। जबकि पुल की मरम्मत के लिए पहले सिर्फ 1.90 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी।
Unnao News: उन्नाव में पुल हटाने के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च होंगे। विभाग की लापरवाही के कारण पुल की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया, जिससे इसका नवीनीकरण संभव नहीं था और अब उसे पूरी तरह से हटाना पड़ रहा है। पुल की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि इसे बनाना आर्थिक रूप से भी अनावश्यक हो गया। विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि अगर समय रहते मरम्मत की जाती, तो इस भारी खर्च से बचा जा सकता था। अब यह मामला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
उन्नाव में 2021 में दरारें आने के बाद बंद किया गया ब्रिटिश कालीन यातायात पुल अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। पुल का एक स्पैन गंगा में गिरने के बाद इसे हटाने में अनुमानित 25 से 30 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। जबकि पुल की मरम्मत के लिए पहले सिर्फ 1.90 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी। विशेषज्ञों के द्वारा दी गई सलाह और मरम्मत के प्रस्ताव को नजरअंदाज करने से अब यह खर्च कई गुना बढ़ गया है।
ब्रिटिश काल में बना था पुल
यह पुल 1874 में अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाया गया था। इसे रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई वेडगार्ड ने डिजाइन किया था। 800 मीटर लंबा यह पुल 100 साल की मियाद के साथ बनाया गया था, लेकिन समय के साथ इसकी हालत बिगड़ती गई और 150 साल बाद यह जर्जर हो गया। 2021 में पुल में दरारें आ गईं, जिससे इसे बंद करना पड़ा।
मरम्मत का प्रस्ताव नकारा गया
वर्ष 2021 में 17 जून को दिल्ली स्थित सीआरआरआई के विशेषज्ञों ने पुल का निरीक्षण किया और मरम्मत के लिए 1.90 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था। लेकिन पीडब्ल्यूडी ने इस सलाह को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद 26 नवंबर 2021 को पुल का एक स्पैन गंगा में गिर गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। अब पुल को हटाने के लिए करोड़ों रुपये की जरूरत पड़ रही है।
पुल हटाने में 30 करोड़ का खर्च
अब, पुल के एक स्पैन को गंगा से निकालने के लिए 1 से 1.5 करोड़ रुपये और पूरे पुल को हटाने के लिए 25 से 30 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च है। यह सवाल उठाता है कि अगर 1.90 करोड़ रुपये की मरम्मत को समय पर स्वीकृति दी जाती, तो इतना बड़ा खर्च नहीं आता। जनता विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है, क्योंकि मरम्मत से बचने वाला विभाग अब इतने बड़े खर्च का सामना कर रहा है।
यातायात और जाम की समस्या
पुल के बंद होने से उन्नाव में यातायात की स्थिति भी बिगड़ गई है। भारी जाम की समस्या पैदा हो गई है, और हल्के वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग सुझाने के प्रयास भी नाकाम रहे हैं। यह समस्या न केवल यात्रियों के लिए बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुकी है। प्रशासन को इस स्थिति को सुधारने के लिए जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है।
नाराजगी और सवालों का उठना
इस पूरे मामले में जनता नाराज है और विभाग की लापरवाही पर सवाल उठा रही है। अगर समय रहते मरम्मत का कार्य कराया जाता, तो ना केवल आर्थिक खर्च बचता, बल्कि जनता को भी जाम और यातायात की समस्या से राहत मिलती। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या विभाग अपनी गलती स्वीकार करेगा और भविष्य में ऐसी गलतियों से सीखेगा?