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यूपी के इस जिले में पले-बड़े और पढ़े श्रीराम के बेटे लव-क़ुश, यहीं वाल्मीकि ने लिखी थी रामायण; जानिए आज क्या है स्थिति
Ram Mandir: कहा जाता है कि आज भी यहां वह वट वृक्ष मौजूद है इसी वट वृक्ष में लव क़ुश ने हनुमान जी एवं अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को बाँधा था।
Unnao News: जानकी कुंड... ये वही जगह है जंहा लव-क़ुश बड़े हुए। यहां का वट वृक्ष प्रमाण है, जिसमें ‘हनुमान जी' बंधे थे। लव-कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा भी यही बांध रखा था। शाखाओं के सहारे वट वृक्ष खड़ा है। सुख-शांति का वास... मां जानकी का एहसास है। जैसा कि रामायण में बताया गया है कि परित्याग के बाद माता सीता यहीं रही थी। वट वृक्ष के पास ही है माता सीता की रसोई थी। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना भी यहीं की थी
मान्यता है कि यहां स्थित कुआँ से माँ जानकी पानी भरती थी। वन विभाग के अनुसार वट वृक्ष की उम्र लगभग एक हजार वर्ष से अधिक है। यहां साल के 12 महीने भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। ये जानकी कुंड उन्नाव जिला मुख्यालय से महज 30 KM की दूरी पर है। पूरा देश अयोध्या में होने वाली रामलाला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित है। लोग इस ऐतिहासिक दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 22 जनवरी दिन सोमवार को लगभग 500 वर्षा के लंबे इंतज़ार के बाद अयोध्या के सिंहासन में प्रभु श्रीराम विराजमान होंगे। प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ा जिला उन्नाव भी है। न्यूजट्रैक की टीम आज जानकी कुंड पहुंची। कहा जाता है कि आज भी यहां वह वट वृक्ष मौजूद है इसी वट वृक्ष में लव क़ुश ने हनुमान जी एवं अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को बाँधा था।
पुत्रों के साथ यहीं रुकी थी माता सीता
जानकी कुंड परियर का नाम सामने आते ही आंखों के सामने माता जानकी के बनवास के दृश्य चित्रित होने लगते हैं। उन्नाव जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर इस पवित्र भूमि पर आज भी श्रद्धालुओं का ताता लगता है। इसी जगह पर जब प्रभु राम की सेना ने लव कुश ने युद्ध लड़ा था तो मंदिर की स्थापना की थी। यहीं पर सीता रसोई है और यहीं वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की है। यहां एक बेहद प्राचीन स्थल है, जिसमे माता सीता अपने पुत्रो के साथ यहां वास किया। माना जाता है कि जब श्रीराम ने माता जानकी का परित्याग किया था। तब वो यही आकर रुकी थी। इसी वजह से यंहा माता सीता की मूर्तियों के साथ प्रभु श्रीराम नहीं है।
वाल्मीकि ने यहीं की थी रामायण की रचना
मान्यता है की यह ऋषि वाल्मीकि जी का आश्रम था। यहाँ ऋषि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की है। यहां श्री राम की सेना और लव कुश के बीच भीषण युद्ध हुआ। एक के बाद एक श्री राम की सेना पराजित होते चली गई। लक्ष्मण को भी पराजय का सामना करना पड़ा। अंत में पहुंचे श्री राम का सामना अपने पुत्र लव कुश से हुआ। 12 कोशी महा रणक्षेत्र, बरगद का पेड़ सहित अन्य कई प्रमाण इस बात की गवाही देते हैं कि यह भूमि कितनी पवित्र है। मंदिर के मुख्य पुजारी बृज किशोर दीक्षित उर्फ बड़काऊ महाराज ने बाकायदा रामायण के पृष्ठ संख्या और स्लोकों की संख्या का नाम लेते हुए बताया कि रामायण में इस जगह का वर्णन है।
न्यूज़ट्रैक की टीम परियार स्थित जानकी कुंड पहुंची। यहाँ वही विशाल वट वृक्ष मौजूद है। वन विभाग ने इस वटवृक्ष की उम्र लगभग 1000 वर्ष बताई है। यह वट वृक्ष इतना विशाल है कि इसकी एक दर्जन शाखाएं जमीन में पहुंच गई हैं। वह भी विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुकी हैं। ऐसा लगता है कि यह वटवृक्ष जड़ों नहीं बल्कि शाखाओ के सहारे खड़ा है। यहां मौजूद सिला पट में लिखा है कि यही वह स्थान है जहां पर लव कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा बांधा था। वटवृक्ष के पास ही सिला पट में लिखा है कि यही माँ जानकी की रसोई है। बगल में एक कुआं बना है, मां जानकी इसी कूप से पानी भरती थी।
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ऐसे पहुंचे जानकी कुंड
उन्नाव सड़क मार्ग द्वारा जानकी कुंड परियर जुड़ा हुआ है, जिसकी दूरी जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर है। उन्नाव से थाना गांव होते हुए चकलवंशी चौराहा पहुंचा जाता है। यह उन्नाव, सफीपुर, बांगरमऊ, हरदोई,लखनऊ, मार्ग पर स्थित है। चौराहे से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर परियर गांव मार्ग पर जानकी कुंड स्थित है। इस क्षेत्र में किसी से भी जानकारी करने पर जानकी कुंड परियर पहुंचा जा सकता है। गूगल मैप पर यह हिंदी में परियार व अंग्रेजी में (PARIYAR) के नाम से सर्च करने पर जानकारी सामने आती है। श्रद्धालुओं को यंहा का रास्ता आराम से मिल जाता है और जिस से भक्त पहुँच जाते है