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Board Exams की नई तारीख, कब होंगी दोबारा परीक्षाएं, जानना चाहते हैं छात्र
दूसरे राज्यों की तरह यूपी बोर्ड एग्जाम की तारीख आगे बढ़ गई हैं। बीता साल स्टूडेंटस के लिए काफी मुश्किल भरा साबित हुआ। खासकर उन स्टूडेंट्स के लिए जिनके पास ऑनलाइन स्टडी के संसाधन नहीं थे।
गाजियाबाद: दूसरे राज्यों की तरह यूपी बोर्ड एग्जाम की तारीख आगे बढ़ गई हैं। बीता साल स्टूडेंटस के लिए काफी मुश्किल भरा साबित हुआ। खासकर उन स्टूडेंट्स के लिए जिनके पास ऑनलाइन स्टडी के संसाधन नहीं थे। लेकिन फिर भी जैसे तैसे स्टडी पूरी करके जब स्टूडेंट्स ने एग्जाम की तैयारी की, तो कोरोना फिर से सताने लगा है। ऐसे में 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स काफी परेशान हो गए हैं। ऐसे ही कुछ स्टूडेंट्स ने अपना दर्द बयां किया।
गाजियाबाद की रहने वाली 12वीं की छात्रा अदिति पांडे। अदिति पूरे जी जान से बोर्ड परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई थी। लेकिन एक बार फिर ये खबर आई कि कोरोना के चलते यूपी बोर्ड एग्जाम की तारीख भी आगे खिसक गई है। अदिति का कहना है कि ये सुनकर काफी धक्का लगा है। एग्जाम की डेट आगे बढ़ने से कॉन्फिडेंस टूट रहा है। ये भी समझ नहीं आ रहा है, कि अगर एग्जाम इतनी देरी से होंगे तो कॉलेज में एडमिशन कब हो पाएगा। कोरोना ने भयंकर परेशानी में डाल दिया है।
दसवीं के स्टूडेंट्स का भी बुरा हाल
12वीं की छात्रा अदिति की तरह दसवीं के छात्र रिंकू और नवीन का भी यही हाल है। दोनों ने बताया कि एग्जाम की तारीख आगे बढ़ने से कॉन्फिडेंस लेवल कम हो रहा है। एक तरफ पूरे साल स्कूल नहीं जा पाए, तो दूसरी तरफ तैयारी होने के बाद एग्जाम की तारीख खिसक गई। इसी वजह से पढ़ाई में ध्यान नहीं लग पा रहा है।
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का बुरा हाल
एनालिसिस करने पर पता चला कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों और उनके अभिभावकों का और ज्यादा बुरा हाल है। उन्होंने बच्चों के लिए आगामी भविष्य के जो सपने देखे थे, वह सपने अब देरी से पूरे होंगे और उन सपनों को पूरा करने में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। एग्जाम टाइम में जितने ज्यादा दिन बीत रहे हैं, उतने दिन की ही कोचिंग क्लासेस का भार भी अतिरिक्त होगा। फिलहाल कोचिंग क्लासेस बंद है। लेकिन कई बच्चे ऐसे हैं जो ऑनलाइन माध्यमों से कोचिंग क्लास लेते आए हैं। जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं वह अगर एक बार ऑनलाइन कोचिंग ले चुके हैं, तो दोबारा कोचिंग लेने की स्थिति में नहीं है। अधिक देरी होने से पढ़ाई में कॉन्सन्ट्रेट नहीं हो पा रहा है और नकारात्मक असर पढ़ने लगा है। दोबारा कोचिंग ऐसे बच्चों के लिए पॉसिबल नहीं है। इन बच्चों के पास संसाधन की कमी होने से भी परेशानी है। मतलब साफ है की एग्जाम जितनी देरी से होंगे उतना ही आर्थिक रूप से भी बच्चों के अभिभावकों को नुकसान उठाना पड़ेगा।