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UP Assembly Election: मऊरानीपुर पर भाजपा तो सदर पर सपा का फंसा है पेंच

विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे को लेकर झांसी में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दलों के भीतर नेताओं और पार्टी के बीच मनमुटाव का दौर चल रहा है।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By B.K Kushwaha
Published on: 23 Jan 2022 9:34 PM IST
UP Assembly Election: मऊरानीपुर पर भाजपा तो सदर पर सपा का फंसा है पेंच
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प्रतीकात्मक तस्वीर

झाँसी। जिले की मऊरानीपुर सीट (Mauranipur Assembly Seat) भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के लिए तो सदर सीट समाजवादी पार्टी के लिए चुनौती बन रही है। मऊरानीपुर सीट पर भाजपा वर्तमान विधायक का टिकट काट रही है तो सदर सीट पर भाजपा के दो बार के विधायक के सामने सपा मजबूत तैयारी के साथ मैदान में उतरना चाहती है।

पिछले सात सालों में भाजपा ने बुंदेलखंड को अपना मजबूत गढ़ बना लिया है। चाहें 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव, भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की है। यही नहीं, उपचुनाव तक में भगवा परचम यहां लहराया है। मगर अब भाजपा की गठबंधन की साथी अपना दल-एस बुंदेलखंड की दो सीटों पर दावेदारी कर रही है। पार्टी का सबसे ज्यादा जोर झाँसी जिले की मऊरानीपुर सीट पर है। अपना दल-एस के नेताओं का तो कहना है कि मऊरानीपुर सीट तो उन्हें मिलनी लगभग तय हो गई है।

वहीं, मऊरानीपुर सीट में भी मामला फंसा हुआ है। यह भाजपा में सपा की पूर्व विधायक रश्मि आर्य (Rashmi Arya) शामिल हो गई है। इसको लेकर मऊरानीपुर सीट भाजपा में पेंच फंसा हुआ है। पहले पूर्व विधायक प्रागीलाल (Pragilal) की दावेदारी पूरी हो गई थी मगर उम्र का दराज करते हुए टिकट हटा दिया। यही, अपना दल (एस) भी मऊरानीपुर के लिए अपने प्रत्याशी के लिए टिकट मांग रहा है क्योंकि अपना दल एस का भाजपा से गठबंधन है। वहीं, शुक्रवार को बुंदेलखंड की 19 में से 13 सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। सूत्रों ने बताया कि छह सीटों पर गठबंधन की सीटों पर पेच फंसा होने से प्रत्याशी तय नहीं हुए हैं। एक-दो दिन में तस्वीर साफ होने की संभावना है।

बताते हैं कि सदर सीट के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) गुटबाजी उभर के कर सामने आई है। इसकी जानकारी जब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को हुई तो उक्त गुटबाजी को दूर करने के लिए निर्देश दिए थे। सदर सीट के लिए कुशवाहा समाज के लोग ही गुटबाजी कर रहे थे। इनका कहना था कि सपा के हम पुराने कार्यकर्ता हैं। इसके बावजूद पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया है। नए प्रत्याशी को टिकट का दावेदार मान रही है। इसको लेकर टिकट के दावेदार लोगों में काफी नाराजगी थी। इसके लिए पूर्व विधायक के नेतृत्व में कुशवाहा समाज के लोगों को बुलाकर वार्ता की। साथ ही पूरी तरह समझाया गया। काफी देर तक हुई वार्ता के बाद मामला शांत हो गया। इसके बाद कुछ लोग लखनऊ के लिए रवाना हो गए। देर शाम तक सदर सीट के लिए सपा का फैसला नहीं हो सका है। संभावना जताई जा रही हैं कि सोमवार को सदर सीट के लिए फैसला हो जाएगा।

मगर आज की जो ताजा स्थित बन रही है उनके अनुसार समाजवादी पार्टी में झाँसी सदर सीट को लेकर घमासान और अंर्तकलह अब पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय और अध्यक्ष तक पहुँच चुका है। सीताराम कुशवाहा (Sitaram Kushwaha) को लेकर पार्टी में एकजुटता को लेकर काफी जोर तोड़ का दौर जारी है। ख़बर यह है कि समाजवादी पार्टी में ज्यादात्तर आवेदनकर्ता का मानना है कि सीताराम कुशवाहा की छवि और उनकी उम्र के साथ साथ बाहरी प्रत्याशी होने की वजह से जिले की यूनिट में दरार आ गयी है। वहीं झाँसी सदर सीट पर महिला नेत्री दीपमाला कुशवाहा का नाम भी चल रहा है उन्हें शिवपाल के खाते में माना जा रहा है और ये भी माना जा रहा है कि झाँसी की सीट पर दीपमाला का नाम में निकल कर सामने आ सकता है। पार्टी के नेताओं का ये भी मानना है कि झाँसी सदर की सीट पर अभी घोषणा इसलिए भी नहीं हो पायी है कि शिवपाल यादव ने वीटो लगा रखा है।

झाँसी सदर की सीट पर फंसा पेंच इस क़दर फंस चुका है कि एक दर्जन टिकटार्थी लखनऊ में डेरा जमाये बैठे है और सुलह सफाई की तमाम कोशिशों के बाद भी एकजुटता दिखायी नहीं दे रही है। उधर ख़बर यह भी है कि पूर्व विधायक दीप नारायण और पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी जिले यूनिट में विरोध को देखते हुए दीपमाला कुशवाहा के नाम पर सहमति बनाने को कहा है। उधर नामांकन की तारीख क़रीब आने से पार्टी में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। पार्टी में अभी भी झाँसी सदर की सीट को लेकर मंथन का दौर जारी है और राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने जिले की यूनिट पेश हो चुकी है। 23 जनवरी की शाम को अखिलेश यादव ने ये साफ कर दिया है कि झाँसी सदर की सीट पर फ़ैसला 24 तारीख को दोपहर बाद होने वाली पार्टी की बैठक में मंथन के बाद ही फैसला लेगी। जो भी हो इस घटना का पटाक्षेप जल्द नहीं हुआ तो आने वाले चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।



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