UP Election 2022 : चुनाव परिणामों में बडी भूमिका निभाने को तैयार हैं छोटे दल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पूर्वांचल समेत पूरे उत्तर प्रदेश में प्रदेश के छोटे राजनीतिक दल चुनाव परिणाम पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Shreedhar Agnihotri
Published on: 19 Feb 2022 12:20 PM GMT
UP Election 2022 : चुनाव परिणामों में बडी भूमिका निभाने को तैयार हैं छोटे दल
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प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ। तीन दशक पहले तक होने वाले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की धूम होती थी और छोटे दलों की कभी कल्पना भी नहीं की जाती थी पर दो दशकों से पूर्वाचंल में कई छोटे दलों के उदय होने के बाद से इनकी उपयोगिता बढ गयी है। इस विधानसभा चुनाव में कई छोटे दल अपनी किस्मत आजम आ रहे हैं। इन दलों की खास बात यह है कि यह बडे दलों की किस्मत बना सकते हैं तो बिगाडने की भी ताकत रखते हैं।

2017 के विधान सभा चुनाव से छोटे दलों में प्रमुख अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) की अपना दल एस (Apna Dal S) और ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) की सुभासपा ने कम सीटें जीतने के बाद भी सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। अब इस विधान सभा चुनाव में एक बार फिर यह छोटे दल महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार हैं।

पिछले विधान सभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल की अपना दल एस और ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा ने भाजपा से गठबंधन कर किया। जिसके बाद सरकार बनने के बाद भाजपा ने सुभासपा और अपना दल एस कोटे से राज्य सरकार में मंत्री बनाया। इस चुनाव में जहां अनुप्रिया पटेल की अपना दल एस और संजय निषाद की निषाद पार्टी ने भाजपा से गठबंधन किया है।

वहीं जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा कृष्णा पटेल की अपना दल कमेरावादी और महान दल आदि कई छोटी पार्टियों ने गठबंधन किया है। यह माना जा रहा है कि जिस भी दल की सरकार बनेगी उसमें इन छोटे दलों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। निषाद पार्टी 16 और अपना दल एस ने अपने 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे है।

पिछले तीन चुनाव से यह छोटे दल अपनी बडी भूमिका निभा रहे है। लेकिन आम आदमी पार्टी ने तो 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी, अमेठी, गोरखपुर समेत कई जिलों में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन भाजपा प्रत्याशियों के सामने चित हो गये।

अपना दल का प्रभाव

अपना दल (अनुप्रिया) कहने को तो छोटा दल हैं लेकिन पिछले पांच वर्षाे में उसने अपनी छवि राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। इस पार्टी का असर वाराणसी चंदौली, संत रविदास नगर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, अम्बेडकर नगर आदि जिलों में है। पीस पार्टी का पूर्वांचल के जिलों गोरखपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, बलिया, देवरिया, महाराजगंज, आजमगढ, बहराइच, श्रावस्ती, मिर्जापुर आदि जिलों में अच्छा खासा असर है।

पश्चिमी यूपी में ताकतवर रालोद (RLD) का इस दफे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से गठबन्धन है जबकि भाजपा (BJP) का अपना दल एस और निषाद पार्टी (Nishad Party) से गठबन्धन है। सपा के साथ अपना दल कमेरावादी (Apna Dal K) और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (Pragatisheel Samajwadi Party Lohia) भी है। रालोद को 1996 में 9, 2002 में 16, 2007 में 10 और 2012 में 9 सीटें मिली। लेकिन 2017 के चुनाव में उसे एक ही सीट से समझौता करना पडा। इस चुनाव में पीस पार्टी को चार और टीएमसी (TMC) को एक सीट मिली।

2017 में इन छोटे दलों ने लड़ा चुनाव

यही नहीं 2017 में हुए चुनाव में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त दलों के अलावा कई छोटे दल भी चुनाव लड़़ने में पीछे नहीं रहे। इनमें अपना दल एस, सुभासपा और रालोद को छोड़़कर इण्ड़ियन जस्टिस पार्टी, अपना दल कमेरावादी, राजद, माकपा, भाकपा, राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी, रिवाल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी, राष्ट्रीय परिर्वतन दल लेबर पार्टी, राष्ट्रीय समता दल, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी, जनता पार्टी, शिवसेना, बहुजन किसान दल, पीस पार्टी, अम्बेड़कर समाज पार्टी, राष्ट्रीय परिर्वतन दल, सरीखी पार्टियां जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं हो पायीं। अब इस बार छोटे दलों में दो नया दल ड़ा. संजय निषाद (Sanjay Nishad) की निषाद पार्टी और राजा भैया (Raja Bhaiya) की जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी भी चुनाव मैदान में है।

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