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UP Assembly election: चुनाव आते ही मंडराने लगे राजनीति के 'साइबेरियन पक्षी'
UP में जब भी विधानसभा का चुनाव होता है, दूसरे राज्यों के राजनीतिक दल अपनी किस्मत आजमाने यहां आ जाते हैं।
लखनऊ: देश के सबसे बड़े सूबे यानी उत्तर प्रदेश में जब भी विधानसभा का चुनाव (UP Assembly elections) होता है, दूसरे राज्यों के राजनीतिक दल अपनी किस्मत आजमाने यहां आ जाते हैं। इन सभी साइबेरियन पक्षियों का प्रवास दो से तीन महीने यहाँ रहता है। इसके बाद फिर यह अगले चुनाव में ही दिखाई देते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव के पहले कुछ ऐसा ही नजारा अभी से दिखने लगा है। फिर चाहे वह दिल्ली की आम आदमी पार्टी हो या हैदराबाद की आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल हो या फिर पश्चिम बंगाल की त्रणमूल कांग्रेस ही क्यों न हो।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाला राष्ट्रमंच भी यूपी के चुनाव में एक्टिव होने को तैयार है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। उसके बाद से वे गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी दलों को साथ लेकर बनाए गए राष्ट्रमंच को लेकर प्रदेश में भाजपा सरकार को हराने के लिए कमर कस रहे हैं।
पिछली चुनावों में समाजवादी पार्टी का हाल
यूपी के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले चारों कोने चित्त हो चुकी है, पर किसान आंदोलन से असदुद्दीन औवेसी (Asaduddin Owaisi) के अलावा दिल्ली के केजरीवाल पंजाब के साथ यूपी में अपना दमखम दिखाने को बेताब हैं। दोनों ही दल यूपी में चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं। ओवैसी जहां राजभर के साथ आ रहे हैं तो आप भी सपा का साथ चाह रही है। पिछले दिनों आप नेता संजय सिंह ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।
विकास शील इंसान पार्टी भी चुनाव लड़ने को तैयार
जनता दल यू का भाजपा से राष्ट्रीय स्तर पर गठबन्धन है, लेकिन पिछले दो चुनावों से टिकटों के बंटवारे को लेकर समझौता हो नहीं पा रहा है, जिसके कारण जनता दल यू अपने दम पर चुनाव लड़ता आ रहा है। इसी तरह राष्ट्रीय जनता दल भी हर चुनाव में यूपी में अपने प्रत्याशी उतारने का काम करता आ रहा है। इस बार भी यूपी चुनाव में 200 प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। जबकि बिहार में मल्लाहों की पार्टी कही जाने वाली विकास शील इंसान पार्टी 150 सीटों पर चुनाव लडने को तैयार है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के यूपी नया नहीं है इससे पूर्व वे 1997-98 में कई छोटे दलों को लेकर मिलकर बनाए गए प्रोग्रेसिव एलायंस का नेतृत्व कर कर चुकी है और 2012 के विधानसभा चुनाव में उनकी तृणमूल कांग्रेस से एक विधायक भी निर्वाचित हो चुका है।
इसी तरह महाराष्ट्र राज्य तक सीमित शिवसेना अपने प्रत्याशियों को उतारने का काम करती आई है। आज तक उसका कोई प्रत्याशी न तो चुनाव जीता और न ही कभी रनर अप रहा है। पर यह पार्टी हर चुनाव में जोर शोर से उतरकर भाजपा का वोट काटने का ही काम करती है। महाराष्ट्र की ही एक और पार्टी एनसीपी भी यूपी में चुनाव लडने को तैयार है। सांगठनिक स्तर पर पार्टी चुनाव मैदान में उतरने के लिए कार्यकर्ताओं से कहा गया है। सीटों के चिन्हीकरण का भी काम चल रहा है।