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योगी को ही मिशन 2022 की कमान, अटकलों को लगा विराम

UP Assembly Elections 2022: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2022 का मिशन फतह करने का फैसला हुआ है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 5 Jun 2021 6:20 AM GMT
CM Yogi Adityanath
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Yogi Adityanath: प्रदेश में पिछले एक पखवारे से भाजपा और सरकार को लेकर चल रही रस्साकशी को अब विराम लगता दिखायी दे रहा है। इस पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) लौह पुरुष के रूप में उभरे हैं। जिनके नेतृत्व में 2022 का मिशन फतह करने का फैसला हुआ है। कोरोना काल में योगी की कार्यशैली की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की एक उच्च स्तरीय बैठक (High Level Meeting) में सराहना हुई है। ऐसा दावा उच्च स्तरीय सूत्रों ने किया है।

सूत्रों का कहना है कि निसंदेह पिछले एक पखवारे का समय राजनीतिक अटकलों के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा लेकिन इसका अटकलों से अधिक महत्व नहीं रहा। दिल्ली में हो रही संघ की बैठक पर सभी की निगाहें लगी थीं। और इसके नतीजों को जानने को सभी उत्सुक हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मीडिया में ऐसी खबरें भी आई थीं कि ये बैठक योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और प्रधान मंत्री (PM Narendra Modi) के बीच चल रहे गतिरोध के कारण हो रही है, इसकी वजह यह थी कि ऐसा पहला बार हो रहा था जब संघ के प्रमुख खुद बैठक में मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस दौरान विचार विमर्श किया। सूत्रों का दावा है कि संघ ने भाजपा और उसकी सरकारों पर निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्री हैंड कर दिया है। संघ ने भाजपा संगठन और सरकार पर परोक्ष नियंत्रण की बातों को खारिज किया है।

विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा पर हुई बैठक

सूत्रों ने कहा कि ये मीडिया की देने थी कि योगी और मोदी के बीच मतभेदों की खबरों को प्रमुखता से चलाता गया। मीडिया में इसके पीछे गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को समायोजित करने को मुद्दा बनाया गया लेकिन शीर्ष स्तर पर यह कोई मुद्दा ही नहीं रहा। बैठक कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा पर केंद्रित रही। जिसमें भाजपा संगठन मंत्रियों की रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार विमर्श किया गया।

अरविंद कुमार शर्मा संग बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

शर्मा के यूपी आने के बाद उड़ी ये अटकलें

गौरतलब है कि अरविंद कुमार शर्मा (Arvind Kumar Sharma) को अहमदाबाद से लखनऊ ले जाया गया और लगभग पांच महीने पहले राज्य विधान परिषद (MLC) के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। शर्मा जब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) लाए गए थे तभी से ये खबरें आनी शुरू हो गई थीं कि उन्हें कैबिनेट में प्रमुख स्थान देने के लिए लाया गया है।

यह भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि शर्मा मौजूदा दो उपमुख्यमंत्रियों में से एक दिनेश शर्मा या केशव प्रसाद मौर्य की जगह लेंगे। यह भी चर्चा उड़ी थी कि मौर्य को भाजपा संगठन के अध्यक्ष के पद पर स्थानांतरित किया जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि यह सब अटकलबाजी के अतिरिक्त कुछ नहीं था। भाजपा चुनाव के मोड में जल्द ही आ जाएगी और पार्टी का अगला लक्ष्य अपने पिछले रिकार्ड को तोड़ना है। जिसमें योगी की अहम भूमिका रहेगी।

संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने इस विचार-विमर्श को चुनाव से पहले का 'नियमित' मामला बताया है। योगी के भगवा वस्त्र और तीखे बयानों ने उन्हें एक विशाल हिंदुत्व आइकन के रूप में सबसे पसंदीदा बना दिया है। वह देश के हर कोने में पार्टी के स्टार प्रचारक बने हुए हैं - चाहे वह केरल, गुजरात, पूर्वोत्तर या पश्चिम बंगाल के चुनावी क्षेत्र हों, भले ही उनके प्रचार का प्रभाव कम ही क्यों न हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मोदी का लक्ष्य यूपी की सभी सीटों पर भगवा परचम

खुद मोदी का लक्ष्य यूपी की सभी सीटों पर भगवा परचम लहराना है। वह भले ही खुद को भगवा रंग में न लपेटे हों लेकिन उनकी छवि आध्यात्मिक नेता की है जो देश के विश्व गुरु बनाने का सपना रखता है, हिंदुत्व नेता के रूप में उनकी अपील अजेय है। नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में अयोध्या में राम मंदिर के साथ, अनुच्छेद 370 को कमजोर करने और तत्काल तीन तलाक के अपराधीकरण जैसे पार्टी के चिरकालीन मुद्दों को लागू कराया है।

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Shreya

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