TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सहायक शिक्षक भर्ती हुई हाईकोर्ट के अग्रिम आदेशों के आधीन

Rishi
Published on: 30 Aug 2018 9:12 PM IST
सहायक शिक्षक भर्ती हुई हाईकोर्ट के अग्रिम आदेशों के आधीन
X

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में चयन प्रकिया प्रारम्भ हेने के बाद अहर्ता अंक कम करने का कारण न बता पाने पर प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा एवं सरकारी वकील को आड़े हाथों लेते हुए चयन को अपने अग्रिम आदेश कर लिया है।

कोर्ट ने प्रमुख सचिव प्रभात कुमार के उस जवाब पर हैरानी जताई है जिसमें उन्होंने कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अहर्ता अंक को कम किए जाने का निर्णय क्यों लिया गया।

कोर्ट ने अपने आदेश में सिंगल जज के उस आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया जिसमें उन्हेनें सरकार द्वारा अहर्ता अंक कम करने वाले 21 मई 2018 के शासनादेश पर रेक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकार को अपना जवाब पेश करने का मौका दिया है।

यह आदेश जस्टिस शबीहुल हसनैन और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने अविनाश कुमार व अन्य समेत कई अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया। सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में 21 मई 2018 के शासनादेश के द्वारा राज्य सरकार ने अहर्ता अंक को कम कर दिया था। राज्य सरकार के उक्त शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

24 जुलाई को जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने उक्त शासनादेश पर रोक लगा दी थी। एकल पीठ के उक्त आदेश के विरुद्ध वर्तमान अपीलें दाखिल की गई हैं। अपीलों पर 27 अगस्त को सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने प्रमुख सचिव को तलब किया था। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि हम जानना चाहते हैं कि अहर्ता अंक को कम किए जाने का उद्देश्य क्या है।

कोर्ट के उक्त आदेश के अनुपालन में उपस्थित हुए प्रमुख सचिव प्रभात कुमार ने जब कहा कि वह नहीं जानते कि यह निर्णय क्यों लिया गया तो कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि एक प्रमुख सचिव का ऐसा जवाब आश्चर्यजनक है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से रिकॉर्ड के बावत पूछा तो उन्होंने कहा कि सरकारी वकील द्वारा यह नहीं बताया गया था कि उन्हें रिकॉर्ड भी लेकर आना है।

कोर्ट के पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने रिकॉर्ड भी अब तक देखा नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह भी बड़ी अजीब बात है कि न तो प्रमुख सचिव ने रिकॉर्ड देखा है और न ही सरकारी वकील ने। प्रमुख सचिव ने सफाई देते हुए कहा कि कोर्ट का आदेश भी उन्हें नहीं दिखाया गया था। इस पर कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर सरकारी वकील कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव व सरकारी वकील के सहयोग के पूर्ण आभाव में हमें लगता है कि एकल पीठ के आदेश में दखल नहीं दिया जा सकता।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story