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यूपी भाजपा का सफरः माधव प्रसाद त्रिपाठी से लेकर स्वतंत्र देव सिंह तक

भाजपा के अबतक के इतिहास में योगी सरकार सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार है जिसका गठन 19 मार्च 2017 को हुआ था।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 6 April 2021 7:55 AM GMT
यूपी भाजपा का सफरः माधव प्रसाद त्रिपाठी से लेकर स्वतंत्र देव सिंह तक
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लखनऊ: यूपी में भाजपा आज सत्ता में है। पहले भी सत्ता में आई है पर कभी सहयोगी दल के तौर पर या कभी बहुमत के साथ।,पर भाजपा के अबतक के इतिहास में योगी सरकार सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार है जिसका गठन 19 मार्च 2017 को हुआ था। छह अप्रैल 1980 को जब पार्टी की स्थापना हुई तो पहले प्रदेश अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी बनाए गए। उस समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह थें पर उस दौर में भी माधव प्रसाद त्रिपाठी ने संगठन को मजबूत करने का बड़ा काम किया।

माधव प्रसाद त्रिपाठी के चार साल के कार्यकाल के बाद अलीगढ़ के संघ कार्यकर्ता कल्याण सिंह को 1984 में पार्टी की कमान सौंपी गयी। इस बीच 1986 में जब अयोध्या में रामजन्मभूमि का ताला खुला और रामजन्मभूमि आंदोलन अपने उफान पर आया तो कल्याण सिंह हिन्दू जनमानस के बीच एक नायक के तौर पर उभरे।

यूपी में भाजपा के वर्चस्व की कहानी

कल्याण सिंह के लगातार दो बार कमान संभालने के बाद सीतापुर के राजेन्द्र कुमार गुप्ता को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी। उस समय अयोध्या आंदोलन अपने चरम पर था। पार्टी उंचाईयों को छू रही थी। इस बीच जब 1991 में पहली बार भाजपा की सरकार बनी तो भारतीय जनता युवा मोर्चा से लेकर भाजपा तक में अपनी कई भूमिकाए निभा चुके गाजीपुर के कलराज मिश्र को 5 अगस्त 1991 को प्रदेश की कमान सौंपी गयी। उस समय मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्र की जोड़ी संगठन और सरकार के बीच सुपर हिट जोड़ी कही गयी। दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद कलराज मिश्र को फिर से प्रदेश की कमान सौंपी गयी पर पार्टी के संविधान के तहत लगतार तीसरी बार पद संभालने का नियम न होने के कारण 19 सितम्बर 1995 को उनका कार्यकाल खत्म हो गया।

बहन जी के साथ नहीं बन पाया था मेल

इसके बाद कभी कलराज मिश्र के साथ भारतीय जनता युवा मोर्चा में काम करने वाले राजनाथ सिंह को 25 मार्च 1997 को यह दायित्व सौंपा गया। प्रदेश में मायावती के साथ भाजपा की गठबन्धन सरकार थी और प्रदेश में सोशल इंजीनियिरिंग की राजनीति चल रही थी। इसी के चलते 22 नवम्बर 1999 को पिछड़ी जाति के ओमप्रकाश सिंह को यह जिम्मेदारी दी गयी। पर पार्टी में आंतरिक टकराव जब बढा। संगठन और सरकार में मतभेद उभरे तो एक बार फिर अपनी सांगठनिक क्षमता से राष्ट्रीय नेतृत्व का दिल जीत चुके कलराज मिश्र को 17 अगस्त 2000 को यह जिम्मेदारी फिर से सौंपी गयी।

भाजपा और बसपा के बिगड़े संबंध

इस बीच प्रदेश की सत्ता में परिवर्तन हुआ। भाजपा के सहयोग से मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी तो विनय कटियार को 24 जनवरी 2002 को भाजपा की कमान सौंपी गयी। लेकिन जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को लगा कि पिछड़ी जाति के विनय कटियार उनके परम्परागत वोट बैंक को भाजपा की तरफ खींच रहे हैं तो उन्होंने इसकी शिकायत भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व से की जिसके कारण विनय कटियार को उनके पद से हटा दिया गया। इस बीच भाजपा और बसपा के बीच राजनीतिक सम्बन्ध बिगड गए। गठबन्धन सरकार गिर गयी और तब तक मुलायम सिंह यादव की सरकार बन चुकी थी। इसके बाद भाजपा के सत्ता से बाहर होने पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी को 18 जुलाई 2004 को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी। केशरी नाथ त्रिपाठी और मायावती के राजनीतिक सम्बन्ध बेहद मधुर कहे जाते थें। त्रिपाठी का कार्यकाल भी बेहतरीन कहा गया।

इस बीच जब मायावती ने ब्राह्मणों की राजनीति आरम्भ की तो सोशल इंजीनियिरिंग के फार्मूले से ऊब चुकी भाजपा ने सांगठनिक क्षमता के धनी एक और भाजपा नेता डा रमापति राम त्रिपाठी को 2 सितम्बर 2007 को प्रदेष की कमान सौंप दी। पर डॉ त्रिपाठी का कार्यकाल असफल कहा गया। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी चारो खाने चित्त हुई।





फिर बड़ा बदलाव

इसके बाद संगठन में एक बार फिर बदलाव किया गया और जनसंघ के कार्यकाल से जुडे सूर्य प्रताप शाही को प्रदेश की कमान सौंपी गयी। पर उनका कार्यकाल भी औसत ही रहा। पार्टी में परिवर्तन तब आया जब जनसंघ के जमाने के एक और नेता डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी के हाथ पार्टी की कमान आई। 13 अप्रैल 2012 को उन्होंने पद संभालते ही कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया। कार्यकर्ताओं का उत्साह दूना हो गया। अखिलेश सरकार के खिलाफ जमकर धरना प्रदर्शन हुए फिर चाहे वह सदन के अंदर हो अथवा बाहर। नगर निकाय से लेकर लोकसभा चुनाव 2014 में डा वाजपेयी की दिशा निर्देशन में हुए और भाजपा को जबर्दस्त सफलता मिली। इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव के पहले केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश की कमान सौंपी गयी। उनका कार्यकाल भी बेहतर रहा। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर 312 सीटे मिली और पहली बार भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार बनी। फिर जब केशव प्रसाद मौर्य सरकार में शामिल हो गए तो महेन्द्र नाथ पाण्डेय को 31 अगस्त 2017 को यह जिम्मेदारी दी गयी। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष और सांसद की दोहरी भूमिका निभा रहे डा पाण्डे को जल्द की केन्द्र सरकार में मंत्री बनने के बाद कभी भाजयुमों के प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वतंत्रदेव सिंह को 16 जुलाई 2019 को सरकार से हटाकर यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पद संभालने के बाद स्वतंत्रदेव सिंह लगातार संगठन को बढाने के काम में जुटे हुए है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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