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UP BJP President: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस में हरीश पिछड़े, सुब्रत व बीएल वर्मा फ़ाइनल लिस्ट में

UP BJP President: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पुराने इतिहास को दोहराने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाये थे। बीते कई बार से जब जब लोकसभा का चुनाव हुआ, तब तब प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी न किसी ब्राह्मण नेता के हवाले किया जाता रहा है।

Yogesh Mishra
Published on: 30 July 2022 4:26 PM IST
UP BJP New President
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UP BJP New President (Image: Newstrack)

UP BJP President: अपने प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में भाजपा रोज़ नये नये नामों पर विचार कर रही है। कल तक भाजपा की सूची में हरीश द्विवेदी, सतीश गौतम और सुब्रत पाठक थे। आज भाजपा हाई कमान ने जिन नामों पर गंभीरता से विचार किया। उसमें से हरीश व सतीश बाहर हो गये हैं।हालाँकि सुब्रत का नाम अभी बरकरार है। लेकिन जो नया नाम जुड़ा है, वह केंद्रीय राज्य मंत्री बी एल वर्मा का है। वर्मा कल्याण सिंह के सहयोगी रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पुराने इतिहास को दोहराने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाये थे। बीते कई बार से जब जब लोकसभा का चुनाव हुआ, तब तब प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी न किसी ब्राह्मण नेता के हवाले किया जाता रहा है। इस बार भी 2024 के चुनाव के मद्देनज़र पार्टी ने ब्राह्मण चेहरा उतारने पर विचार किया। पार्टी हाईकमान ने पहले तीन नामों- हरीश द्विवेदी, सुब्रत पाठक और सतीश गौतम के नाम पर विचार किया। पर बाद में पार्टी ने पिछड़ा कार्ड खेलने पर भी गंभीरता से विचार किया। नतीजतन अंतिम तौर पर इस सूची से हरीश द्विवेदी व सतीश गौतम का नाम ड्राप हो गया। नया नाम बीएल वर्मा का जुड़ा। अब पार्टी उत्तर प्रदेश की कमान सुब्रत पाठक व बी एल वर्मा में से किसी को कभी भी थमा सकती है।

बी एल वर्मा वर्तमान में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। वह भारतीय संसद के ऊपरी सदन, राज्य सभा में संसद सदस्य हैं। वर्मा भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के वर्तमान भी उपाध्यक्ष हैं। वर्मा स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

वर्मा ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत बदायूं से पार्टी कार्यकर्ता के रूप में की थी। वह 2018 से प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष थे। वह ओबीसी विशेष रूप से पश्चिमी यूपी में लोधी समुदाय के बीच एक प्रमुख नेता हैं। वर्मा ब्रज क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष हैं। उन्हें पूर्व सीएम कल्याण सिंह का करीबी माना जाता था।

उन्होंने यूपी राज्य निर्माण विकास निगम लिमिटेड (यूपी समाज कल्याण निर्माण निगम) के अध्यक्ष का पद भी संभाला है, जिसे राज्य मंत्री के समान दर्जा प्राप्त है।


कौन हैं कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक

'इत्र नगरी' के नाम से मशहूर यूपी के कन्नौज लोकसभा सीट पर 21 साल बाद भगवा लहराने वाले नेता का नाम है सुब्रत पाठक। साल 2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में रसूख रखने वाले मुलायम सिंह यादव परिवार की बहू डिंपल यादव के सामने सुब्रत पाठक को उतारा। सुब्रत ने पार्टी आलाकमान का यह फैसला सही साबित किया और डिंपल यादव को 12,553 मतों से हराया। उन्हें 49.37 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि डिंपल यादव को 48.29 फीसद वोट ही मिले। धीरे-धीरे सुब्रत पाठक का कद पार्टी के भीतर बढ़ने लगा।

छात्र जीवन से ही BJP के साथ

सुब्रत पाठक का ताल्लुक इत्र कारोबार वाले घराने से है। सुब्रत छात्र जीवन के समय से ही भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं। हालांकि, इस दौरान उन्होंने खुद को प्रदेश की राजनीति में स्थापित किया। आगे चलकर जनता के समर्थन से सांसद बने। सुब्रत पाठक ने कन्नौज शहर के पीएसएम कॉलेज में पढ़ाई की। इसी दौरान छात्र राजनीति में कूद पड़े। सियासत की दुनिया भाने लगी। कदम बढ़ते गए और अपने तीसरे चुनाव में ही वो संसद तक पहुंच गए।

सांसद निर्वाचित होने से पहले सुब्रत बीजेपी और उससे जुड़े संगठन में सक्रिय रहे। भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष भी रहे। फिर बीजेपी के जिलाध्यक्ष चुने गए। उन्होंने कन्नौज में बीजेपी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। सुब्रत की सफलता इसलिए भी अहम मानी जाती है क्योंकि उन्होंने 'सपा के दुर्ग' में सेंध लगाई। उनके संघर्ष को पार्टी ने भी समझा। इसीलिए पिछले दो लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बावजूद बीजेपी ने उन पर भरोसा बरकरार रखा।

ऐसा रहा संसद पहुंचने का सफ़र

लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर मोदी लहर चली। बीजेपी गठबंधन ने जिन 64 सीटों पर कब्ज़ा किया उनमें कन्नौज लोकसभा सीट काफी अहम थी। सुब्रत पाठक ने प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को हराया था।


बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी

बस्ती के बीजेपी सांसद हरीश द्विवेदी की पहचान जुझारू नेता के रूप में रही है। भारतीय जनता पार्टी ने हरीश द्विवेदी को पहली बार साल 2014 में बस्ती लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था। तब मोदी लहर और जनता के साथ ने हरीश को संसद तक पहुंचाया। बीजेपी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया और 2019 में फिर मैदान में उतारा। हालांकि, इस बार टक्कर कड़ी थी बावजूद हरीश ने बाजी मार ली।

अपने क्षेत्र में काम करते रहे हैं

बीजेपी सांसद हरीश द्विवेदी की छवि अपने क्षेत्र में आम आदमी की रही है। बस्ती जिले में मेडिकल कॉलेज मिलने का श्रेय वहां के लोग हरीश द्विवेदी को ही देते हैं। हरीश द्विवेदी ने अपने क्षेत्र में निजी कंपनियों के सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कई काम करवाए। जैसे- सरकारी स्कूलों में वाई-फाई की सुविधा, सोलर सिस्टम सहित कई अन्य परियोजनाओं पर काम किया। बस्ती इलाके में कई चीनी मिलें हैं। क्षेत्र के गन्ना किसानों का बकाया वहां का बड़ा मुद्दा रहा है। कहा जाता है बीजेपी राज में उनके बकाये दिलाने में हरीश की अहम भूमिका रही है।

साल 2016 में मोदी सरकार ने हरीश द्विवेदी को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के सदस्य के रूप में चुना। साल 2014 में लोकसभा चुनाव में पहली जीत के बाद ही उन्हें ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। उसके बाद उन्हें 2014 में ही कोयला मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति में भी शामिल किया गया।

किसान परिवार से रहा है नाता

हरीश द्विवेदी मूल रूप से किसान रहे हैं। उनकी पहचान बीजेपी के युवा नेताओं में होती है। संसद में पार्टी के सभी बड़े नेता उन्हें उनके काम से जानते रहे हैं। हरीश राजनीति विज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएट हैं।


अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम

सतीश कुमार गौतम की गिनती भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सक्रिय नेताओं में होती है। सतीश गौतम पहली बार 2014 में अलीगढ़ लोकसभा सीट से सांसद के रूप में निर्वाचित हुए थे। दोबारा 2019 लोकसभा चुनाव में वो निर्वाचित हुए। सतीश गौतम उस वक़्त सुर्खियों में आए थे, जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में दलित एवं पिछड़ों के आरक्षण के सवाल को संसद में उठाया था। साथ ही, एएमयू में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर भी सक्रिय रहे थे। साल 2018 में वो एएमयू से जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग की को लेकर अड़े थे। सतीश गौतम को खेलों में भी रुचि है। उन्हें कबड्डी सबसे ज्यादा पसंद है।

भारतीय जनता पार्टी सांसद सतीश गौतम ने अपने दो कार्यकाल के दौरान अलीगढ़ में बीजेपी का वर्चस्व स्थापित किया। अपने कार्यकाल के दौरान अलीगढ़ को 7 एमएलए, जिला पंचायत अध्यक्ष, दो विधान पार्षद ……. देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सतीश गौतम मीडिया में भले ही न छाए रहे हों, लेकिन माना जाता है कि वो बीजेपी आलाकमान की 'फेवरेट' में हमेशा ही रहे हैं। पार्टी हाईकमान भी यह मानती है कि सतीश गौतम ने अलीगढ़ में बीजेपी का राज कायम किया है। संभव है कि पार्टी इस इनाम उन्हें जरूर देगी, किस रूप में ये समय बताएगा। बीजेपी सांसद सतीश गौतम की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता की है।

ग़ौरतलब है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में रमापति राम त्रिपाठी की अगुवाई में लोकसभा के चुनाव हुए थे। 2014 के चुनाव में जब भाजपा ने बड़ी सफलता दर्ज कराई तब लक्ष्मीकान्त वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे। भाजपा को सहयोगी दलों के साथ 73 सीटें मिली थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उन्हीं के नेतृत्व में लोकसभा का चुनाव लड़ा गया। सहयोगियों के साथ 64 सीटें जीती। इस वक़्त पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ब्राह्मण हैं।ऐसे में पार्टी ओबीसी कार्ड खेलने का साहस भी जुटा रही है।



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Rakesh Mishra

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