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UP By-Election 2024: करहल में BJP के सामने सपा का किला भेदने की चुनौती, तेज प्रताप को घेरना पार्टी के लिए आसान नहीं
UP By-Election 2024: करहल सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने तेज प्रताप यादव को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने अभी तक इस सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
UP By-Election 2024: उत्तर प्रदेश में जिन विधानसभा सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने वाले हैं,उनमें करहल की सीट भाजपा के लिए कड़ी चुनौती वाली मानी जा रही है। करहल विधानसभा को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है और लंबे समय से पार्टी का इस सीट पर कब्जा बना हुआ है। यही कारण है कि इस सीट पर भाजपा के लिए कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि भाजपा की ओर से उपचुनाव में जीत का दावा जरूर किया जा रहा है।
करहल सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने तेज प्रताप यादव को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने अभी तक इस सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी मजबूत उम्मीदवार उतार कर समाजवादी पार्टी को घेरने के लिए मंथन में जुटी हुई है। भाजपा ने इस बार सपा के किले को भेदने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
सपा मुखिया ने भतीजे तेज प्रताप को उतारा
प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जीत हासिल की थी। पिछले दिन हुए लोकसभा चुनाव के दौरान वे कन्नौज लोकसभा सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे। इसके बाद उन्होंने करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसी कारण इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी अपने इस गढ़ पर कब्जा बनाए रखना चाहती है और इसी कारण सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को इस सीट पर चुनावी जंग में उतार दिया है। तेज प्रताप यादव पूर्व में सांसद रह चुके हैं और अब अखिलेश ने उन पर सपा के इस गढ़ को बचाए रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
तेज प्रताप यादव 2014 में हुए लोकसभा उपचुनाव में सांसद बने थे। उसके बाद वे हर चुनाव में पार्टी के लिए यहां सक्रिय रहे हैं। इस तरह उनका इस क्षेत्र से संपर्क बना रहा है।
करहल सीट पर लंबे समय से सपा का कब्जा
सपा संस्थापक और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के समय से ही करहल विधानसभा क्षेत्र में सपा का दबदबा बना हुआ है। यह क्षेत्र सपा मुखिया अखिलेश यादव के गांव सैफई से सटा हुआ है और यहां पर सैफई परिवार की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण भी सपा को काफी फायदा मिलता रहा है।
यदि इस सीट के इतिहास को देखा जाए तो 1993 से 2022 तक हुए सात विधानसभा चुनावों के दौरान सपा छह बार इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। पार्टी को सिर्फ 2002 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था जब भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल कर ली थी।
पिछले चार विधानसभा चुनाव से सपा ने लगातार इस विधानसभा क्षेत्र में कामयाबी का झंडा गाड़ रखा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सपा को घेरने की कोशिश की थी मगर पार्टी को कामयाबी नहीं मिल सकी थी। 2022 में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था मगर उन्हें 67 हजार से अधिक मतों से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग
दूसरी ओर भाजपा इस बार सपा के किले को ध्वस्त करने की कोशिश में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस इलाके में सभा कर चुके हैं। उनके अलावा प्रदेश सरकार के कई मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का भी दौरा हो चुका है।
2002 के विधानसभा चुनाव में यादव चेहरे के रूप में सोबरन सिंह यादव को उतार कर भाजपा इस सीट पर जीत हासिल कर चुकी है। भाजपा उस प्रदर्शन को एक बार फिर दोहराना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के लिए करहल विधानसभा क्षेत्र का चुनाव प्रतिष्ठा के जंग माना जा रहा है।
भाजपा प्रत्याशी के रूप में इन नामों की चर्चा
उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में अनुजेश यादव, डॉ.संघमित्रा मौर्य और सलोनी बघेल के नाम चर्चाओं में है। सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधते हुए मजबूत प्रत्याशी मैदान में उतारने की कोशिश में जुटी हुई है। यादव चेहरे के रूप में अनुजेश यादव को मौका दिया जा सकता है।
बहुजन समाज पार्टी की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने के कारण भी इस क्षेत्र का समीकरण प्रभावित होगा। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि सपा उपचुनाव में भी जीत का सिलसिला बरकरार रखेगी या बीजेपी सपा के इस गढ़ को ध्वस्त करने में कामयाब होगी।