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UP By Election: उपचुनाव में ‘बंटेंगे तो कंटेंगे’ के साथ पीडीए फॉर्मूले की परीक्षा, योगी और अखिलेश की रैलियां क्या दिखाएंगी रंग

UP By Election 2024: उपचुनाव की सभी सीटों पर दोनों नेताओं ने पूरी ताकत लगाई है और धुआंधार प्रचार के जरिए मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 19 Nov 2024 11:56 AM IST (Updated on: 19 Nov 2024 11:57 AM IST)
UP By Election: उपचुनाव में ‘बंटेंगे तो कंटेंगे’ के साथ पीडीए फॉर्मूले की परीक्षा, योगी और अखिलेश की रैलियां क्या दिखाएंगी रंग
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CM Yogi, Akhilesh Yadav  (photo: social media )

UP By Election 2024: उत्तर प्रदेश में विधानसभा के नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में चुनावी शोर थम चुका है और अब मतदाताओं के फैसले की बारी है। बुधवार को होने वाले मतदान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की सियासी ताकत की परीक्षा होगी। उपचुनाव की सभी सीटों पर दोनों नेताओं ने पूरी ताकत लगाई है और धुआंधार प्रचार के जरिए मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

उपचुनाव के नतीजे से यह भी पता लगेगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ के नारे का कितना असर दिखा। दूसरी ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी पीडीए फॉर्मूले पर ही भरोसा किया है। ऐसे में अखिलेश के पीडीए फॉर्मूले की भी उपचुनाव में परीक्षा होगी।

प्रदेश का भविष्य तय करेगा उपचुनाव

प्रदेश में नौ सीटों पर होने वाला उपचुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार करेगा। भाजपा और सपा नेताओं को इस बात की बखूबी जानकारी है। उपचुनाव के सिलसिले में आयोजित सभाओं में अखिलेश यादव इस बात को बार-बार कहते भी रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सोमवार की शाम अपनी पोस्ट में भी इस बात को लिखा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आजादी के बाद सबसे कठिन उपचुनाव का गवाह बनने जा रहा है। यह उपचुनाव प्रदेश के भविष्य का रुख तय करेंगे।

अखिलेश यादव को पीडीए फॉर्मूले पर भरोसा

उन्होंने लोकसभा चुनाव की तरह भाजपा को धूल चढ़ाने की अपील की है। इसके साथ ही यह भी कहा है कि संविधान, लोकतंत्र, आरक्षण और सामाजिक न्याय के संघर्ष को बचाने के लिए पूरा पीडीए समाज सभी नौ सीटों पर पूरी तरह एकजुट है। अखिलेश ने अपनी चुनावी सभाओं में भी लोकसभा चुनाव की तरह पिछड़ों,दलितों और अल्पसंख्यकों से एकजुट होकर मतदान करने की अपील की है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उपचुनाव वाली सीटों पर 13 रैलियों के साथ एक रोड शो भी किया है। सपा का गढ़ मानी जाने वाली करहल सीट पर तो वे तीन बार पार्टी प्रत्याशी तेज प्रताप यादव का प्रचार करने के लिए पहुंचे।

योगी ने किया धुआंधार प्रचार

लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने भाजपा को करारा झटका दिया था। ऐसे में विधानसभा उपचुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद योगी आदित्यनाथ पर उपचुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन का भारी दबाव दिख रहा है। उपचुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही योगी विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे।

उन्होंने विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं की शुरुआत करने के साथ ही मतदाताओं से एकजुट रहने की अपील की है। योगी आदित्यनाथ ने 8 से 16 नवंबर के बीच 13 चुनावी रैलियां को संबोधित करने के साथ ही दो रोड शो भी किए हैं। फूलपुर, मझवां, खैर और कटेहरी में उन्होंने दो-दो रैलियां की हैं जबकि कुंदरकी, करहल और मीरापुर में एक-एक रैली की। इसके अलावा योगी ने सीसामऊ और गाजियाबाद में रोड शो भी किया।

योगी के नारे की होगी परीक्षा

इस उपचुनाव के दौरान योगी का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ खूब चर्चित हुआ है। योगी के इस नारे पर भाजपा और संघ की ओर से भी मुहर लगाई जा चुकी है। इस नारे के जरिए योगी ने एक बार फिर हिंदुत्व को धार देने की बड़ी कोशिश की है। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी इस नारे की गूंज सुनाई दी है।

सियासी जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के नतीजे इस बात का संकेत देंगे कि योगी का यह नारा कितना असर दिखने वाला साबित हुआ है। यदि उपचुनाव के दौरान भाजपा अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रही तो माना जा रहा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा इसी आक्रामक हिंदुत्व के साथ चुनावी अखाड़े में उतरेगी।

मायावती ने प्रत्याशी उतारे मगर प्रचार से दूर

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने उपचुनाव के दौरान अपने प्रत्याशी तो जरूर उतारे हैं मगर उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। वे केवल बयानों के जरिए प्रतिद्वंद्वी दलों पर हमला करती रहीं। मायावती के भतीजे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले आकाश आनंद ने भी उपचुनाव में प्रचार से दूरी बनाए रखी। ऐसे में बसपा प्रत्याशी अपने दम पर ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बसपा उपचुनाव वाली कुछ सीटों पर सपा और कुछ सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचाती हुई दिख रही है।

किस सीट पर था किस दल का कब्जा

प्रदेश की जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं,उनमें कटेहरी (अंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं। यदि पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो इनमें सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी पर सपा का कब्जा था, जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीटों पर जीत हासिल की थी। मीरापुर विधानसभा सीट पर रालोद प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी। रालोद के सामने एक बार फिर से सीट पर अपनी ताकत दिखाने की बड़ी चुनौती है।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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