UP By-Election: सपा ने दोनों सीटों पर कांग्रेस के साथ किया खेल, एक पर 44 तो दूसरी पर 22 साल से नहीं जीती है पार्टी

UP By-Election: यूपी में होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारें को लेकर काफी चर्चा है।

Anshuman Tiwari
Published on: 20 Oct 2024 3:22 AM GMT
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UP By-Election (Social media) 

UP By-Election: समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मुश्किल स्थिति में फंसा दिया है। प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से पांच सीटों की डिमांड की जा रही थी मगर सपा ने कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया है। सपा ने कांग्रेस को लड़ने के लिए ऐसी सीटें दे दी हैं जिन पर पार्टी का जीतना ही मुश्किल माना जा रहा है।

समाजवादी पार्टी की ओर से उपचुनाव में कांग्रेस को गाजियाबाद विधानसभा सीट और अलीगढ़ की खैर सीटें दी गई है। इन दोनों सीटों पर भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जाती रही है और ऐसे में कांग्रेस की सियासी राह काफी मुश्किल हो गई है। गाजियाबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस पिछले 22 वर्षों से हारती रही है जबकि खैर सीट पर पार्टी को लगातार 44 साल से झटका लगता रहा है। कांग्रेस नेता भी इस बात को बखूबी समझ रहे हैं कि समाजवादी पार्टी ने पार्टी के साथ बड़ा खेल कर दिया है।

गाजियाबाद में 2002 में मिली थी कांग्रेस को आखिरी जीत

यदि गाजियाबाद विधानसभा सीट को देखा जाए तो इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 2002 में जीत हासिल हुई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन होने के बावजूद इस सीट पर कांग्रेस को भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था। दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होने के बावजूद भाजपा ने इस सीट पर करीब सवा लाख वोट हासिल किए थे जबकि कांग्रेस सिर्फ 39,597 वोट हासिल कर सकी थी। गाजियाबाद में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 2004 में जीत हासिल हुई है। उस समय समाजवादी पार्टी प्रदेश की सत्ता में थी और इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था।


अभी तक सिर्फ पांच बार जीत सकी है कांग्रेस

वैसे यदि गाजियाबाद विधानसभा सीट का इतिहास देखा जाए तो आजादी के बाद इस सीट पर अभी तक 18 बार चुनाव हुए हैं जिनमें कांग्रेस को सिर्फ पांच बार ही जीत हासिल हुई है। सपा यह सीट सिर्फ एक बार उपुचनाव में 2004 में ही जीत सकी थी। 2007 में इस सीट पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी जबकि 2012 में बसपा उम्मीदवार इस सीट पर विजयी हुआ था। 2017 से सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा बना हुआ है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां डेढ़ लाख से अधिक वोट हासिल किए थे। सपा को 44,668 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस सिर्फ 11,778 वोट हासिल कर सकी थी। पिछले विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो आसानी से समझा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए यह सीट कितनी मुश्किल है। सपा को अपनी सियासी राह इस सीट पर मुश्किल दिख रही थी तो पार्टी ने यह सीट कांग्रेस के पाले में डाल दी है।

खैर में 1980 में मिली थी आखिरी जीत

अब यदि बात अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट की की जाए तो इस सीट पर कांग्रेस की हालत और खस्ता रही है। पार्टी ने 44 साल पहले 1980 में आखिरी बार इस सीट पर जीत हासिल की थी। उसके बाद कांग्रेस कभी इस सीट पर आज तक जीत नहीं हासिल कर सकी। खैर विधानसभा सीट 1962 में बनी थी और उसके बाद अभी तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस यह सीट महज तीन बार ही जीत सकी है जबकि सपा का आज तक इस विधानसभा क्षेत्र में खाता तक नहीं खुल सका है। 2012 में प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी मगर उस चुनाव में पार्टी यहां अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी।

2022 में मिले थे सिर्फ 1514 वोट

यदि पिछले पांच विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो 2002 में सीट पर बसपा को जीत मिली थी। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में रालोद प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2017 में कांग्रेस-सपा गठबंधन होने के बावजूद सपा को इस सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में सपा-रालोद गठबंधन होने के कारण सपा ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था मगर कांग्रेस प्रत्याशी की इस सीट पर काफी बुरी हालत हुई थी। 2022 में कांग्रेस प्रत्याशी को सिर्फ 1514 वोट मिले थे। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के लिए इस सीट पर विधानसभा उपचुनाव काफी मुश्किलों भरा साबित होगा।

कांग्रेस ने की थी पांच सीटों की डिमांड

कांग्रेस की ओर से यूपी उपचुनाव के लिए उन पांच का प्रस्ताव केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा गया था जिन पर 2022 में सपा को जीत नहीं मिली थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय शुरुआत से ही पार्टी के पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ने की बात कर रहे थे। कांग्रेस की ओर से गाजियाबाद, फूलपुर, खैर, मीरापुर और मझवां सीटें मांगी गई थीं। दूसरी ओर सीट बंटवारे का मामला सुलझने से पहले ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने छह सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। गुरुवार को उन्होंने मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बल राणा को उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया।

अखिलेश यादव ने कर दिया कांग्रेस के साथ खेल

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सपा की ओर से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट देने का ऐलान किया गया है। हालांकि इस सीट का मामला लखनऊ हाईकोर्ट में होने के कारण अभी चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर में मतदान की तारीख का ऐलान नहीं किया है। अब उत्तर प्रदेश में गठबंधन बचाने के लिए सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ना कांग्रेस की सियासी मजबूरी माना जा रहा है मगर इन दोनों सीटों पर भाजपा को शिकस्त देना कांग्रेस के लिए आसान साबित नहीं होगा। इसी कारण माना जा रहा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस के साथ बड़ा सियासी खेल कर दिया है।

Sonali kesarwani

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Content Writer

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