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Sonbhadra News: सूबे की कैबिनेट तय करेगी पिपरी नगर पंचायत का भविष्य, गजट के बाद से ही फंसा हैं पेंच

Sonbhadra News Today: पिपरी नगर पंचायत की एरिया राजस्व रिकॉर्ड में अब तक नोटिफाइड नहीं हो पाई है। अब इस पर निर्णय सूबे की कैबिनेट लेगी।

Kaushlendra Pandey
Published on: 27 Nov 2022 3:00 PM GMT
Sonbhadra News In Hindi
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जिला प्रशासन की तरफ से भेजी टीम

Sonbhadra News: वर्ष 1958 में अधिसूचित हुई पिपरी नगर पंचायत की एरिया राजस्व रिकॉर्ड में अब तक नोटिफाइड नहीं हो पाई है। इसको लेकर फंसे पेंच और नगर की एक बड़ी आबादी पर लटक रही बेदखली की तलवार के बीच, सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के निर्देश पर किए गए सर्वे और जिला प्रशासन की तरफ से भेजी गई आख्या को दृष्टिगत रखते हुए, मामले के फाइनल निस्तारण के लिए आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद की तरफ से गेंद शासन के पाले में डाल दी गई है।

अब इस पर निर्णय सूबे की कैबिनेट लेगी। कहा जा रहा है कि जल्द ही इसको लेकर कैबिनेट का निर्णय आ सकता है। उधर, कभी पीपी एक्ट के नाम पर तो कभी बेदखली की दी गई नोटिस के क्रम फंसाए गए पेंच को लेकर सवाल उठने लगे है। शनिवार को बेदखली के लिए उतरी टीम और उस पर सामने आए नाराजगी भरे स्वर ने भी इस मसले को खासी गर्माहट दे दी है।

2020 में सीएम के संज्ञान में पहुंचा था मामला

पिपरी नगर पंचायत चेयरमैन दिग्विजय सिंह ने 15 अक्टूबर 2020 को सीएम योगी आदित्यानाथ से जनता दर्शन में जाकर मुलाकात की और पिपरी नगर पंचायत को राजस्व रिकर्ड में जगह दिलाने और नगरपंचायत गठन के समय से ही निवास कर रही आबादी के विनियमितीकरण की गुहार लगाई थी। उनके निर्देश पर गत एक अप्रैल 2021 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उर्जा विभाग, नगर विकास विभाग, राज्य विद्युत उत्पादन-पारेषण निगम, जल निगम, पर्यावरण विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग के सचिवों/आयुक्तों/प्रबंध निदेशकों की बैठक ली गई।

तत्कालीन डीएम एस राजलिंगम की तरफ से दी गई जानकारी और की गई संस्तुति के दृष्टिगत कार्यवाही के निर्देश दिए गए। इसके बाद मंडलायुक्त और डीएम के निर्देशन नगर पंचायत की 749 एकड़ की एरिया का एक प्राथमिक सर्वे कराया गया और रिपोर्ट शासन को भेजी गई। इसके बाद असर्वेक्षित क्षेत्र में अभिलेख संक्रिया कराए जाने के लिए राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव से प्रस्ताव मांगा गया, जिस पर उनकी तरफ से प्रमुख सचिव को पिछले दिनों भेजी गई आख्या में आबादी अभिलेख और सर्वेक्षण क्रिया के लिए शासन स्तर से निर्णय लिया जाना उचित बताया गया है।

यह है पूरा माजरा

बताते हैं कि रिहंद बांध निर्माण के समय 1948 में राजस्व विभाग ने दुद्घी स्टेट की 3285 एकड़ जमीन, जो उसके नियंत्रण में थी, बांध निर्माण के लिए हस्तांतरित की गई। बांध निर्माण के बाद इसमें से 1148 एकड़ भूमि अप्रयुक्त रह गई। इस भूमि पर परियोजना निर्माण में लगे मजदूर और समीप में स्थित हिण्डाल्को परियोजना के कर्मी सहित काफी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने निवास बना लिया था। इनकी बड़ी संख्या को देखते हुए, 24 मार्च 1858 को अप्रयुक्त भूभाग वाले स्थल में लगभग 768 हेक्टेअर भूमि एरिया में पिपरी नगर पंचायत का नोटिफिकेशन जारी किया गया लेकिन जो बची भूमि थी, उसे राजस्व विभाग को स्थानांतरण की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। इसका परिणाम हुआ कि वन विभाग और राज्य विद्युत उत्पादन निगम की तरफ से पिपरी नगर पंचायत एरिया की जमीनों में दावा बना रह गया। बाद में चलकर यह एक बडे़ विवाद का कारण बन गया और वर्तमान में दर्जनों परिवारों में बेदखली की तलवार लटक गई है।

शासन की पहल, डीएम के संस्तुति की अनदेखी से गरमाया माहौल

एक तरफ जहां इस मसले को सुलझाने के लिए शासन स्तर से पहल चल रही है। वहीं तत्कालीन डीएम एस राजलिंगम की तरफ से शासन को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर अप्रयुक्त जमीनों पर से वन विभाग को दावा छोड़ने, जल विद्युत उत्पादन कनगम एवं रिहंद बांध से जुड़ी वीआईपी कालोनी, भवन आदि को छोड़कर शेष जमीन का हस्तांतरण नगर पंचायत पिपरी के पक्ष में करने, नगर पंचायत पिपरी के अधिसूचित क्षेत्र का सर्वेक्षण कराने, जो लोग सरकारी भूमि पर घर आदि बनाकर आवासित हैं, उनके विनियमितीकरण के लिए नीति निर्धारित करने की जरूरत जताई गई है।

बावजूद सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता की अगुवाई में सीआईआएस कर्मियों की टीम गत शनिवार की शाम कई लोगों को बेदखल करने पहुंच गई। इसको लेकर जहां नगर क्षेत्र का माहौल अचानक से खासा गरमा गया। वहीं अचानक से हुए इस एक्शन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जाने लगे। फिलहाल एसडीएम शैलेंद्र मिश्रा के हस्तक्षेप पर, एक माह के लिए मामला टल गया है। वहीं नगरपंचायत पिपरी के चेयरमैन दिग्विजय प्रताप सिंह का कहना है कि शासन स्तर से मामले को सुलझाने की पहल जारी है।

विभागों के सचिवों के बीच हो चुकी उच्चस्तरीय बैठक

इसको लेकर संबंधित विभागों के सचिवों के बीच उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है। उसके बाद की भी प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब राज्य की कैबिनेट को इस पर निर्णय लेना है। बावजूद कभी कब्जा हटाने के नाम तो कभी अचानक नोटिस देकर नगर का माहौल बिगाडा जा रहा है। वहीं सिंचाई विभाग के लोगों का कहना है कि नए भर्ती हुए कर्मियों के लिए 60 आवास चाहिए, जिसको लेकर उन्हें आवास खाली कराने का निर्देश उच्चाधिकारियों की तरफ से दिया गया है।

Deepak Kumar

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