Gyanvapi Row: कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने राष्ट्रपति से की जजों की शिकायत, कार्रवाई की मांग

शाहनवाज आलम ने कहा, कि 'यह पूरी कवायद पूजा स्थल अधिनियम 1991 में बदलाव की भूमिका तैयार करने के लिए की जा रही है। जिसके तहत भारतीय जनता पार्टी अपने नेताओं से याचिकाएं डलवा रही है।'

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootPublished By aman
Published on: 9 May 2022 1:47 PM GMT
up congress minority cell complain to president kovind about judges on gyanvapi row
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 कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सदस्य ज्ञापन सौंपते हुए 

Gyanvapi Row : वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस (UP Congress) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) को ज्ञापन भेजा गया है। अलग-अलग जिलों से आए ज्ञापन (Memorandum) में पूजा स्थल अधिनियम- 1991 का उल्लंघन कर देश का माहौल खराब करने की कोशिशों पर रोक लगाने और ऐसे लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही (Disciplinary Proceeding) सुनिश्चित करने की मांग महामहिम से की गई है।

इस बारे में, अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam) ने कहा, कि 'सरकार न्यायपालिका (Judiciary) के एक हिस्से के सहयोग से सामाजिक सद्भाव (Social harmony) को बिगाड़ कर लोकतंत्र (Democracy) को खत्म कर देना चाहती है।'

'जजों का एक गुट' याचिका स्वीकार कर रहा

शाहनवाज आलम ने कहा, कि 'यह पूरी कवायद पूजा स्थल अधिनियम 1991 में बदलाव की भूमिका तैयार करने के लिए की जा रही है। जिसके तहत भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने नेताओं से याचिकाएं डलवा रही है। सरकार की विचारधारा से सहमत जजों का एक गुट (A Group Of Judges) इन याचिकाओं को स्वीकार कर ले रहा है। सबसे अहम, कि निचली अदालतों (lower courts) द्वारा क़ानून के इस उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court), लॉ कमीशन law commission), क़ानून मंत्रालय (law ministry) से लेकर राष्ट्रपति तक, सब खामोश हैं।'

'ताकि.. संवैधानिक जवाबदेही समाप्त हो जाए'

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) पर दिये फैसले तक में सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा था। जिसमें किसी भी तरह का कोई छेड़छाड़ संसद भी नहीं कर सकती। जैसा कि केशवानंद भारती (Kesavananda Bharti) व एसआर बोम्मई केस (SR Bommai Case) सहित विभिन्न फैसलों में ख़ुद सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा सरकार चाहती है कि संस्थाओं का इस हद तक संविधान विरोधी दुरूपयोग हो जाए कि मुसलमान इन संस्थाओं तक पहुंचने को व्यर्थ समझने लगें। जिससे कि इन संस्थाओं की अपनी संवैधानिक जवाबदेही स्वतः समाप्त हो जाए। उन्होंने मुसलमानों और संविधान के पक्षधर लोगों से संवैधानिक संस्थाओं की जवाबदेही बनाये रखने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा ज्ञापन देने और उनको अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का एहसास कराने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस के आगामी अभियानों में शामिल होने की अपील की।

क्या है ज्ञानवापी विवाद?

बता दें कि, बीते 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने मस्जिद के भीतर जाकर श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) की प्रतिमा की पूजा और सुरक्षा की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद, आज एक महिला वादी राखी सिंह (Rakhi Singh) ने अपना केस वापस लेने का निर्णय लिया। हालांकि, राखी सिंह के इस निर्णय के पीछे का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं, राखी सिंह के अतिरिक्त अन्य सभी 4 महिलाएं अभी भी अपने निर्णय पर कायम हैं और केस को आगे जारी रखेंगी।

इसी के साथ आज न्यायालय में कमिश्नर को जारी जांच से हटाने की याचिका पर सुनवाई होनी है। बता दें, कि मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद के सर्वेक्षण (survey of mosques) को लेकर जांच में शामिल कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें मामले से हटाने की मांग की थी। जिस पर सुनवाई कर कोर्ट आज अपना फैसला जाहिर करेगा।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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