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रेमिडिसिवरः 4000 का इंजेक्शन ब्लैक में 8-12 हजार का, संक्रमित परेशान
रेमिडिसीवर इंजेक्शन की बढ़ती मांग को देखते हुए इस इंजेक्शन की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है।
लखनऊः उत्तर प्रदेश में कोरोना की बढ़ती दूसरी लहर के बीच संक्रमित मरीजों को दिये जाने वाले इंजेक्शन रेमिडिसीवर की जबर्दस्त शॉर्टेज हो गई है। खुले बाजार में मेडिकल स्टोरों में रेमिडिसीवर इंजेक्शन की किल्लत को देखते हुए योगी सरकार ने 25 हजार इंजेक्शन गुजरात से मंगवाए हैं जबकि 20 से 25 हजार कोरोना मरीज रोज निकल रहे हैं और एक मरीज को छह इंजेक्शन लगने होते हैं ऐसे में बीस हजार मरीजों के लिए एक लाख बीस हजार इंजेक्शन की दरकार है। और यह दरकार प्रतिदिन है।
रेमिडिसीवर इंजेक्शन की बढ़ती मांग को देखते हुए इस इंजेक्शन की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि अव्वल तो इंजेक्शन बाजार में कहीं मिल नहीं रहा है और अगर चोरी छिपे बात भी की जाए तो चार हजार एमआरपी का यह इंजेक्शन वर्तमान समय में आठ से 12 हजार रुपये में मिल रहा है। इन हालात को लेकर कोविड मरीजों के उपचार को एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।
रेमिडिसीवर इंजेक्शन की बढ़ती मांग
पिछले दिनों मिलिट्री इंटेलीजेंस की सूचना पर एसटीएफ ने कानपुर में बाबूपुरवा पुलिस के सहयोग से तीन तस्करों को रेमिडिसिवर इंजेक्शन की बड़ी खेप के साथ अरेस्ट किया था। इनके पास से 265 रेमिडिसिवर इंजेक्शन बरामद हुए थे।
कोरोना संक्रमण से निपटने में जीवनरक्षक माने जाने वाले रेमिडिसिवर इंजेक्शन के निर्यात पर पिछले दिनों केंद्र सरकार ने रोक लगा दी थी. पिछले काफी समय से कोरोना से बुरी तरह प्रभावित राज्यों में रेमिडिसिवर इंजेक्शन की बाजार में जबर्दस्त कमी है। देश में वर्तमान में 11 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। ऐसे में रेमिडिसिवर इंजेक्शन की बहुत अधिक मांग है। कोरोना फैलने के साथ इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
आईएमए ने भी चिकित्सकों से कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज में रेमिडिसिवर इंजेक्शन का प्रयोग सावधानी से करने का आग्रह किया है। आईएमए ने कहा है कि फायदा होने की संभावना से अलग तमाम जगहों पर इसका अंधाधुंध इस्तेमाल करने से भी किल्लत पैदा हुई है।