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यह है यूपी का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम, सजा पूरी होने के बाद भी सलाखों के पीछे जीवन गुजार रहे कैदी
UP Criminal Justice System: यूपी की जेलों में 981 ऐसे कैदी है जिनको या तो जमानतदार नहीं मिल रहे या वो जुर्माने की रकम नही जमा कर पा रहे।
Lucknow: संविधान दिवस पर 6 नवंबर को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा की अगर देश वाकई तरक्की की ओर जा रहा तो और अधिक जेलें बनाने की बजाय उन्हें कम किए जाने की जरूरत है। जाहिर है की वो उस संवैधानिक व्यवस्था की बात कर रही थी जिसमे हर किसी को समान न्याय पाने का अधिकार है। लेकिन यूपी की जेलों में बंद कैदियों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। यूपी की जेलों में 981 ऐसे कैदी है जिनको या तो जमानतदार नहीं मिल रहे या वो जुर्माने की रकम नही जमा कर पा रहे। इसकी वजह से उन्हें निर्धारित सजा से भी ज्यादा सजा कटना पड़ रहा है।
लखनऊ जेल में दीपक वर्मा 2012 रेप केस में बंद हैं। 4 नवंबर 2022 को इनकी सजा पूरी हो गई। लेकिन कैद के साथ इनपर 40000 जुर्माना भी लगाया गया था। यह रकम जमा न कर पाने की वजह से अब इन्हे मई 2025 तक सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। किशन उर्फ गुड्डू 2013 से लखनऊ जेल में हैं। 7 नवंबर 2022 को सजा पूरी कर चुके हैं। लेकिन 50000 जुर्माना न जमा कर पाने की वजह से दिसंबर 2024 तक इन्हे जेल में ही रहना है। पवन कुमार उर्फ बलई 2021 में लखनऊ जेल आए थे। 27 दिसंबर 2022 सजा पूरी कर ली। लेकिन 34000 रुपए जुर्माने के नही हैं। इसलिए अब यह फरवरी 2023 जेल में ही रहेंगे। ये वो कैदी हैं जो जेल में कौशल विकास का प्रशिक्षण लेकर जीविकोपार्जन का हुनर सीख चुके हैं। लेकिन इनकी माली हालत और सिस्टम से कोई मदद न मिलने की वजह से जेल की चारदीवारी से बाहर नहीं आ पा रहे।
जमानत तो मिल गई लेकिन जमानतदार नहीं मिल रहे
मोहम्मद शफीक 2016 से लखनऊ जेल में हैं। 11 मार्च 2017 को ही इन्हे जमानत मिल गई। लेकिन जमानतदार न मिलने की वजह से बाहर नहीं आ पा रहे। संगम रावत 2015 से इसी जेल में हैं। 2019 में जमानत मिली लेकिन चार साल से इन्हे कोई जमानतदार नहीं मिल रहा। आर के मिश्रा को 2018 में जमानत मिली, लेकिन जमानत लेने वाला अबतक कोई नही मिला। लखनऊ जेल में ऐसे 50 कैदी हैं जो जुर्माना न भर पाने या जमानतदार न मिलने की वजह से सजा से भी ज्यादा सजा काट रहे हैं। इसी तरह फिरोजाबाद जेल में बंद परशुराम के पास एक हजार रुपए जुर्माना भरने को नहीं है। इसके चलते उन्हें 15 दिन और जेल में रहना पड़ रहा है। इसी जेल में बाद किशन पाल की भी है वे विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत जेल में बंद किए गए थे, महज एक हजार रुपए जुर्माना भरने को नहीं तो एक महीने अभी और जेल में ही बिताने होंगे।
यूपी की जेल में क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा कैदी
डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश की जेलों में कुल 1 लाख 23 हजार कैदी बंद हैं, जो क्षमता से करीब डेढ़ गुना ज्यादा हैं। इनमे से 810 कैदी ऐसे हैं, जिनको कोर्ट से जमानत तो मिल गई है लेकिन रिहाई की शर्तों में जमानतदार नहीं मिल रहे। वहीं 171 ऐसे बंदी हैं, जो जुर्माना अदा नहीं कर पाने के चलते जेलों में बंद हैं और अतरिक्त सजा काट रहे है। एनसीआरबी के आंकड़ो पर नज़र डालें तो उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश वो तीन राज्य हैं जहां एक से दो साल तक जेल में रहने वाले अंडरट्रायल कैदियों की संख्या सबसे अधिक है। यूपी में कुल 90,606 अंडरट्रायल कैदी जेल में बंद हैं।
कैसे घटे संख्या
बीते कई वर्षों से देश की जेलों में भीड़ कम करने का मुद्दा कई बार उठता आया है। कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भीड़ कम करने की कोशिश हुई, बावजूद इसके अभी भी उन कैदियों की संख्या में कमी नही आ रही है, जो जुर्माना या जमानतदार न होने के कारण जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट भी यूपी की जेलों में बढ़ती भीड़ को देख गंभीर है। हालांकि कुछ एनजीओ ने आगे आते हुए कुछ कैदियों की जुर्माना राशि भर कर उन्हे रिहा करने की कोशिश की है। जैसे बीते साल अप्रैल में सत्ता दल भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर एनजीओ के माध्यम से 8 लाख, 75 हज़ार, 769 रुपये की कुल रकम जुर्माने के तौर पर जमा करने के बाद 136 कैदियों की जुर्माना भर उन्हे जेल से रिहा कराया गया था।
जेल से भीड़ कम करेगी केंद्र सरकार
अब जब राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट, दोनो ने ही जेलों में बढ़ते भार पर अपनी चिंता जाहिर की है तो केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में बजट का ऐलान करते हुए एक स्कीम की जानकारी दी। उन्होंने घोषणा की है कि जेल में बंद गरीब कैदियों की जमानत पर आने वाला खर्च और उन पर लगाए गए जुर्माने की रकम अब सरकार देगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्कीम की घोषणा करते हुए कहा कि गरीब कैदियों की जमानत के बदले जो भी खर्च आएगा उसे केंद्रसरकार उठाएगी। नतीजन जेल में उन कैदियों की भीड़ कम होगी, जो जुर्माना या जमानतदार की वजह से बंद है।
सरकार जेल से भीड़ कम करने का कर रही है दावा
डीजी जेल के मुताबिक, यूपी के जेलों से भीड़ कम करने के लिए समय समय पर कई स्तरों पर रिहाई की जाती है। बीते एक साल में यूपी की जेलों से 1236 सिद्ध दोष कैदियों की समयपूर्व रिहाई की गई है। इनमें फॉर्म ए के तहत 26, नॉमिनल रोल पर एक, दया याचिका पर 36, स्थाई नीति पर 976 और अमृत महोत्सव के तहत 196 कैदियों को रिहा किया गया है। उन्होंने कहा अब जब केंद्र सरकार ने जुर्माना न भर पाने वाले बंदियों का जुर्माना भर उन्हे रिहा करवाने में मदद करने का भरोसा दिया है तो इससे जेल से थोड़ा भार कम होगा।