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UP Election 2022: पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटे अखिलेश-प्रियंका-जयंत

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनावी बिगुल फूंका जा चुका है। चुनाव प्रचार को लेकर सारे दलों के नेताओं का प्रचार प्रसार तेज है। पर इस बार का चुनाव कुछ अलग भी दिख रहा है।

Shreedhar Agnihotri
Report Shreedhar AgnihotriPublished By Shreya
Published on: 18 Jan 2022 9:19 AM IST
UP Election 2022: पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटे अखिलेश-प्रियंका-जयंत
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अखिलेश-प्रियंका-जयंत (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) समेत पांच राज्यों में चुनावी बिगुल फूंका जा चुका है। चुनाव प्रचार को लेकर सारे दलों के नेताओं का प्रचार प्रसार तेज है। पर इस बार का चुनाव कुछ अलग भी दिख रहा है। कई पुराने नेताओं के न रहने से कही चुनाव फीका दिख रहा है तो कई पुराने नेता पुत्रों ने पहली बार पूरी चुनावी कमान अपने में लेकर इसे बेहद दिलचस्प बना दिया है।

पिछले विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) बेहद सक्रिय थें। पर इस बार वह स्वास्थ्य कारणों से खुद को प्रचार प्रसार और दौरों आदि से खुद को दूर किए हुए हैं। मुलायम सिंह यादव ने 2012 में अपने बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को यूपी का मुख्यमंत्री (UP Chief Minister) बनाया। यही नही बाद में पार्टी का अध्यक्ष भी बनाया।

उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को पिछले चुनाव में ही सौंप दी थी। जिसे उनके बेटे अखिलेश यादव बखूबी निभा रहे हैं। जबकि समाजवादी पार्टी से अपने दल रालोद (Rashtriya Lok Dal- RLD) का गठबन्धन करने वाले जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) अपने पिता चौ. अजित सिंह (Chaudhary Ajit Singh) के निधन के बाद पहली बार अपने दम पर चुनाव मैदान में हैं।

प्रियंका गांधी से कांग्रेसियों को बड़ी उम्मीद

इसी तरह देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपनी बेटी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को प्रदेश की कमान सौंप रखी है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से इस चुनाव में कांग्रेसियों को बड़ी उम्मीदें हैं। प्रियंका गांधी भी अपनी मां सोनिया गांधी के प्रदेश में सत्ता हासिल करने के सपने को पूरा करने की कोशिश में हैं।

बिहार में भी ऐसे कई उदाहरण

बेटे बेटियों को राजनीतिक विरासत सौंपने का एक और उदाहरण उत्तर भारत के राज्य बिहार में देखने को मिलता है। जहां पर 2015 आरडेजी अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) ने अपने बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाने के साथ ही बिहार विधानसभा में पार्टी विधायक दल का नेता मनोनीत किया। इसके बाद जब पार्टी अध्यक्ष लालू यादव जेल चले गए तो सारा काम तेजस्वी यादव देखने लगे।

इसी तरह बिहार की राजनीति में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का एक बड़ा नाम हुआ करता था। वह 2014 से एनडीए का हिस्सा बने हुए थें लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते हाल ही में उन्होंने पार्टी की कमान अपने बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को सौंप दी। अब पासवान के निधन के बाद चिराग का एनडीए से साथ छूट चुका है।

उत्तर भारत के अलावा देश के दूसरे राज्यों में अपने बेटे को कमान सौंपने का पिताओं का मोह कम नहीं हुआ है। महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा किसी से छिपा नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपने पुत्र आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) को ही विधानसभा चुनाव में उतार दिया। जब आदित्य ठाकरे चुनाव जीते और भाजपा शिवसेना गठबन्धन सत्ता पाने की स्थिति में आया तो आदित्य को मुख्यमंत्री बनाने की बात शिवसेना कैंप से शुरू हो गयी।

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Shreya

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