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UP Election 2022: भाजपा पर इस्तीफों का असर, टिकट काटने के बजाय इन विकल्पों पर अब पार्टी करेगी अमल

UP Election 2022: हालांकि पार्टी की पहली सूची आने में अभी कुछ घंटे बाकी हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि पहले जिस तरह से तीस फीसद विधायकों के टिकट कटने तय माने जा रहे थे।

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Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Divyanshu Rao
Published on: 14 Jan 2022 6:55 PM IST
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UP Election 2022: पहले चरण के विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले जिस तरह से भाजपा (BJP) में मंत्री से लेकर विधायकों तक का इस्तीफे देने का खेल शुरू हुआ है जानकार इसकी वजह को बखूबी समझ रहे हैं लेकिन इसका एक असर यह भी हुआ है कि भाजपा गुजरात की तर्ज पर जिस तरह यहां सिटिंग एमएलए का टिकट काटने जा रही थी उसे कुछ ठिठकना पड़ सकता है।

हालांकि पार्टी की पहली सूची आने में अभी कुछ घंटे बाकी हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि पहले जिस तरह से तीस फीसद विधायकों के टिकट कटने तय माने जा रहे थे अब उनमें से तमाम को जीवनदान मिल सकता है और अब पंद्रह सोलह फीसद विधायकों के टिकट ही कटेंगे। जिनका रिपोर्ट कार्ड बहुत ही खराब है।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा के मंत्रियों और विधायकों के हालिया इस्तीफों के असर की अगर बात करें या अन्य पिछड़ा वर्ग के भाजपा से छिटकने की तो बदली परिस्थितियों को लेकर पार्टी सतर्क हो चुकी है। इस हिसाब से अब भाजपा तीन चार दर्जन से ज्यादा विधायकों के टिकट नहीं काटेगी। इससे ऐसे कई विधायकों को राहत मिलेगी, जिनके ऊपर टिकट कटने की तलवार लटक रही थी।

पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सत्ता विरोधी लहर के कारणों की गहन छानबीन करने पर पता चला कि कई जगह लोगों ने विधायकों द्वारा किए गए अपर्याप्त विकास कार्यों की शिकायत की, तो तमाम जगह लोग विधायक के उपलब्ध नहीं होने को लेकर नाराज थे। यह भी सामने आया कि पार्टी के रूप में भाजपा से लोगों को शिकायत नहीं है।

बीजेपी पार्टी झंडे की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

मोदी की नीतियों से शिकायत नहीं है लेकिन लोगों की मुख्य शिकायत अपने चुने हुए प्रतिनिधि से है। चूंकि ये सामान्य शिकायतें थीं, इसलिए पार्टी नेतृत्व अब ऐसे विधायकों को संगठन की मशीनरी की मदद के साथ दोहराने पर विचार कर रहा है।

इसका मतलब यह हुआ कि अब केवल उन विधायकों का टिकट कटेगा जिनका प्रदर्शन पिछले पांच वर्षों के दौरान पूरी तरह से फ्लॉप रहा है। इससे निश्चित रूप से उन विधायकों की संख्या में कमी जाएगी जिन्हें टिकट से वंचित किया जा रहा है।

इसके अलावा एक अन्य विकल्प पर पार्टी नेताओं ने सहमति व्यक्त की है उसके तहत ऐसे विधायकों की सीट बदल दी जाएगी जिनकी अपने निर्वाचन क्षेत्र में नकारात्मक प्रतिक्रिया है, लेकिन पार्टी के लिए वह एक असेट हो सकते हैं या उनका वोट आधार अच्छा है। सूत्रों ने कहा कि सीट परिवर्तन पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्रों में किया जा सकता है।

पार्टी के नेता जरूरत पड़ने पर विधानसभा सीटों पर लोकसभा सांसदों को उतारने के विचार पर भी काम कर रहे हैं। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी के नेता इस विकल्प के लिए भी तैयार हैं।

वैसे एक संभावना और जताई जा रही है कि भाजपा पिछले चुनावों की तुलना में ओबीसी उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि कर सकती है, खासकर उन सीटों पर जहां पार्टी मौजूदा विधायकों को नहीं दोहराएगी। इस बहाने वह पार्टी से ओबीसी के छिटकने की काट कर सकती है।



Divyanshu Rao

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