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UP Election 2022: मऊ सदर सीट पर लंबे समय से मुख्तार अंसारी का कब्जा, इस बार सुभासपा के टिकट पर उतरने की तैयारी

UP Election 2022: मऊ सदर विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी की मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे करीब 25 साल से लगातार इस सीट से विधायक है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 9 Feb 2022 4:52 AM GMT
UP Election 2022: मऊ सदर सीट पर लंबे समय से मुख्तार अंसारी का कब्जा, इस बार सुभासपा के टिकट पर उतरने की तैयारी
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UP Election 2022: मऊ सदर विधानसभा सीट पर लंबे समय से बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का दबदबा रहा है और इस बार के विधानसभा चुनाव में वे एक बार फिर भी इसी सीट पर किस्मत आजमाएंगे। मुख्तार के अधिवक्ता ने विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा है कि मुख्तार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ेंगे।

उन्होंने अदालत से बांदा जेल में बंद सदर विधायक से मुलाकात करने की अनुमति देने की मांग भी की है। भाजपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) लंबे समय से मुख्तार को झूठे मामलों में फंसाने की बात कहते रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों बांदा जेल में मुख्तार से मुलाकात भी की थी। अब मुख्तार के सुभासपा टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

मऊ सीट पर 25 साल से कब्जा

मऊ सदर विधानसभा सीट (Mau Sadar assembly seat) पर मुख्तार अंसारी की मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे करीब 25 साल से लगातार इस सीट से विधायक है। मुख्तार ने बसपा के टिकट पर 1996 में पहला चुनाव इस सीट पर जीता था। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 2012 में वे कौमी एकता दल से चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे।

2017 के चुनाव में बसपा ने उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारा था और मुख्तार इस चुनाव में भी जीतने में कामयाब रहे थे। मुस्लिम मतदाताओं के निर्णायक भूमिका में होने के बावजूद समाजवादी पार्टी इस सीट पर कभी नहीं जीत पाई है। 1991 में राम लहर के बावजूद भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी को इस सीट पर हार मिली थी। उन्हें सीपीआई के इम्तियाज अहमद ने मात्र 133 मतों से हराया था। नकवी ने 1993 में भी सीट से चुनाव लड़ा था मगर बसपा के नसीम ने उन्हें 10 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया था।

2017 का जनादेश

पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें 96793 मत हासिल हुए थे। उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 8698 मतों से शिकस्त दी थी। राजभर को 88095 मत मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी के अल्ताफ अंसारी 72016 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। मजे की बात यह है कि पिछले चुनाव में मुख्तार ने सुभासपा के उम्मीदवार को ही हराया था और इस बार वे खुद सुभासपा उम्मीदवार के रूप में मऊ सदर सीट पर किस्मत आजमाने के लिए उतर रहे हैं।

मऊ का जातीय समीकरण मुख्तार को चुनाव जिताने में काफी मददगार साबित होता है। इस सीट पर करीब 1.70 लाख मुस्लिम मतदाता है। दलित मतदाताओं की संख्या करीब 92,000 है जबकि यादव व राजभर मतदाता 45-45 हजार हैं। क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या क्रमशः करीब 18000 और 6000 है। सुभासपा के टिकट पर उतरने से मुख्तार को इस बार फिर मुस्लिम और राजभर मतदाताओं का समर्थन पाने में कामयाबी मिल सकती है।

अधिवक्ता ने दायर की अर्जी

मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता दरोगा सिंह ने मंगलवार को विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा है कि मुख्तार अंसारी को सुभासपा ने मऊ सदर सीट से उतारने का फैसला किया है। इस अर्जी में बांदा जेल में बंद मुख्तार से अधिवक्ताओं, प्रस्तावों, नोटरी अधिवक्ता की मुलाकात के लिए अनुमति देने की मांग की गई है। आज फिर इस मामले पर सुनवाई के लिए तारीख तय की गई है।

मुख्तार के अधिवक्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि मौजूदा समय में मुख्तार मऊ सदर से विधायक हैं और इस चुनाव में भी वे पर्चा दाखिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार का हस्ताक्षर लेने और अन्य जानकारियां और विवरण दर्ज करने के लिए मुख्तार से बांदा जेल में मिलने की अनुमति दी जाए। मुख्तार के अधिवक्ता की अर्जी से साफ हो गया है कि वे इस बार भी चुनाव मैदान में उतरेंगे।

Vidushi Mishra

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