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UP Election 2022: अखिलेश की इस रणनीति ने अमित शाह को यूपी की गलियों का खाक छानने को किया मजबूर
UP Election 2022: बीजेपी के दो ट्रंप कार्ड योगी और मोदी के राज्य में बीजेपी को अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवार्दी पार्टी जबरदस्त टक्कर दे रही है। अखिलेश ने पश्चिम से लेकर पूर्व तक ऐसा सियासी समीकरण बनाया कि बीजेपी के होश उड़ गए।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav) वैसे तो लोकतांत्रिक भारत हर छोटे से अंतराल पर कहीं न कहीं लोकतंत्र का उत्सव माने जाने वाले चुनावों का मेला लगता है। लेकिन देश की नजर दो चुनावों पर सबसे अधिक रहती हैं। पहला चुनाव देश में होने वाले लोकसभा चुनाव होते हैं जहां दिल्ली की तख्त पर कौन बैठेगा, इसका फैसला होता है। वहीं दूसरा चुनाव देश के सबसे बड़े 'सियासी' राज्य उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव होता है। जो दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले दावेदारों की किस्मत तय करता है। देश में इस दूसरे चुनाव का वो वक्त आ गया है जब पूरे देश की नजर यहां की सियासी गतिविधियों पर है।
अखिलेश की सियासी चतुराई
2014 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को देश की सत्ता के शिखर पर पहुंचाने वाले शिल्पकार जिन्हें लोग चुनावी चाणक्य भी कहते हैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) यूपी में इन दिनों गलियों की खाक छानते नजर आ रहे हैं। 2014, 2017 और 2019 में जिस समीकरण के बदौलत उन्होंने पश्चिम से लेकर पूर्व तक पूरे प्रदेश को भगवा रंग से पाट दिया था, वो समीकरण अब दरकने लगा है। जिसने सत्तारूढ़ बीजेपी की बैचेनी बढ़ा दी है। बीजेपी के दो ट्रंप कार्ड योगी और मोदी के राज्य में बीजेपी को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई वाली समाजवार्दी पार्टी (Samajwadi Party) जबरदस्त टक्कर दे रही है। अखिलेश ने पश्चिम से लेकर पूर्व तक ऐसा सियासी समीकरण बनाया कि बीजेपी के होश उड़ गए।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पश्चिम में जहां गठबंधन (SP-RLD Alliance) के जरिए जाटों को साधा, वहीं पूर्व में गैर यादव ओबीसी के नेताओं को अपने गठजोड़ में शामिल कर लिया। वोटों के नजरिए से देखें तो पश्चिम और पूर्व में अखिलेश के ये समीकरण कागजों पर अभेध दिखते हैं। मुस्लिम-यादव (एमवाय) समीकरण के जरिए अब तक प्रदेश में राजनीति करने वाली सपा ने अपने आधार वोट में जाट और गैर यादव ओबीसी को जोड़ने की कोशिश की है।
सपा की बीजेपी के वोटबैंक में सेंधमारी
वेस्ट यूपी में सपा के पास जाट के चेहरे के रूप में चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के पोते जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) हैं तो वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर, केशवदेव मोर्य, संजय चौहान और कृष्णा पटेल जैसी ओबीसी नेता हैं। इसके अलावा सपा स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) और दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) जैसे बीजेपी के कई ओबीसी नेताओं को भी अपने पाले में खींचने में सफल रही। पूर्वांचल में बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) के परिवार को अपने खेमे में लाकर सपा ने बीजेपी के आधार वोट में भी सेंध लगाने की कोशिश की है।
दरअसल, पिछले चुनावों में यही समीकरण बीजेपी की बड़ी जीतों का सूत्रधार रही हैं। दंगों के कारण जाटों में मुसलमानों के खिलाफ नारजगी और प्रदेश में यादवों के बढ़ते वर्चेस्व से खफा गैर यादव ओबीसी ने चुनावों में कमल का बटन जोर से दबाया। लेकिन चुनाव से पहले अखिलेश ने बीजेपी के दांव को उल्टा करते हुए उसे उसी की रणनीति से शिकस्त देने की कवायद शुरू कर दी। अखिलेश यादव की इस सियासी चतुराई ने बीजेपी के होश उड़ा दिए हैं। किसान आंदोलन के बाद बड़े पैमाने पर जाटों की नाराजगी झेल रही बीजेपी उन्हें मनाने की पूरी कोशिश कर रही है।
गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी कमान अपने हाथों में स्वयं ले ली है। बीते दिन वेस्ट यूपी के प्रभावी जाट नेताओं से उनकी मुलाकात इसी रणनीति का हिस्सा था। बीते तीन चुनावों से लगातार बीजेपी के हाथों शिकस्त खाने वाले अखिलेश यादव ने पिछली गलितयों से सबक लेते हुए इस बार मजबूत वापसी की है। ऐसे में मोदी – शाह जैसे सियासी धुरंधरों को अखिलेश यादव ने यूपी के सियासी रण में नाकों तले चने जरूर चबवा दिया है। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि कागज पर मजबूत दिखने वाला सपा गठबंधन क्या ग्राउंड पर भी उसी मजबूती के साथ काम करता है।
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