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UP Election 2022: प्रियंका गांधी पर कविता चुराने का लगा आरोप, यहां जाने पूरा मामला

UP Election 2022: प्रियंका गांधी इन दिनों नए विवाद में फंस गईं हैं अब उनपर एक कविता चुराने का आरोप लगा है 'उठो द्रौपदी शस्त्र संभालो, अब गोविंद न आएंगे' के कवि ने उनपर यह आरोप लगाया है।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 18 Nov 2021 4:08 PM IST
UP Election 2022: प्रियंका गांधी पर कविता चुराने का लगा आरोप, यहां जाने पूरा मामला
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022) के लिए सभी छोटे- बड़े राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) इस उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी सक्रिय हैं। उन्होंने चुनाव को लेकर महिलाओं से संवाद अभियान शुरू किया है।

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में उन्होंने इसकी शुरुआत की। वह चित्रकूट (Chitrakoot) में मंदाकनी नदी के रामघाट (Ram Ghat) पहुंची थीं। बता दें कि महिलाओं से संवाद के दौरान इस कार्यक्रम में उन्होंने एक कविता कही, उन्होंने कहा- 'उठो द्रौपदी शस्त्र संभालो, अब गोविंद न आएंगे। तुम कब तक आस लगाओगी तुम बिके हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दु:शासन दरबारों से, सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो अब गोविंद न आएंगे। इसी कविता को चुराने का आरोप अब प्रियंका गांधी पर लगा है।

ये कविता मैंने देश की स्त्रियों के लिए लिखी थी, न कि आपकी घटिया राजनीति के लिए- पुष्यमित्र

कार्यक्रम में ये कविता उन्होंने महिलाओं से संवाद के दौरान उनका हौसला बढ़ाने के लिए सुनाया, लेकिन अब इसे लेकर भी विवाद उठ गया है। इस कविता को लिखने वाले पुष्यमित्र उपाध्याय (Pushyamitra Upadhyay) ने कहा है कि " ये कविता मैंने देश की स्त्रियों के लिए लिखी थी न कि आपकी घटिया राजनीति के लिए नहीं, न तो मैं आपकी विचारधारा का समर्थन करता हूं और न आपको ये अनुमति देता हूं कि आप मेरी साहित्यिक संपत्ति (literary property) का राजनैतिक उपयोग करें। कविता भी चोरी कर लेने वालों से देश क्या उम्मीद रखेगा?"

पुष्यमित्र उपाध्याय: फोटो- सोशल मीडिया

पुष्यमित्र उपाध्याय राजनीतिक संस्थानों से किया अनुरोध

पुष्यमित्र उपाध्याय ने कहा कि 2012 में निर्भया प्रकरण (Nirbhaya Case in 2012) पर लिखी गई कविता का संदेश और आह्वान आपकी राजनीतिक कुंठाओं से अलग और व्यापक है। उन्होंने राजनीतिक संस्थानों से अनुरोध करते हुए कहा है कि 'कविता का प्रयोग क्षुद्र राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए कर के इसके मर्म को दूषित न करें।'

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