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UP Election 2022: गढ़मुक्तेश्वर में जातीय समीकरण का सहारा
UP Election 2022: गढ़मुक्तेश्वर में जातिगत समीकरणों के चलते प्रमुख दलों को अपने अपने प्रत्याशियों के चयन में फेरबदल करना पड़ा है।
UP Election 2022: हापुड़ (Hapur) जिले की गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट (Garhmukteshwar Assembly seat) पर 10 फरवरी को वोट पड़ने हैं लेकिन जातिगत समीकरणों (caste equations) के चलते प्रमुख दलों को अपने अपने प्रत्याशियों के चयन में फेरबदल करना पड़ा है। वैसे, मिनी हरिद्वार कहे जाने वाले गढ़मुक्तेश्वर में लोगों की चिंता जातीय समीकरण की नहीं, बल्कि अपनी आजीविका को लेकर है जिसपर कोरोना के चलते काफी मार पड़ी है।
जहां तक प्रत्याशी बदलने की बात है तो, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने शुरू में इस निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने के लिए एक बाहरी व्यक्ति - नैना देवी (Naina Devi) को चुना। नैना देवी मेरठ के एक प्रभावशाली राजनीतिक और व्यापारिक परिवार से आती हैं। लेकिन कुछ हफ्तों बाद सपा ने प्रत्याशी बदल कर रविंदर चौधरी (Ravinder Chowdhary) के नाम की घोषणा कर दी। रविंदर चौधरी गुर्जर समुदाय (Gujjar community) से ताल्लुक रखते हैं और इस समुदाय की तादाद इस निर्वाचन क्षेत्र के 3 लाख मतदाताओं की लगभग 10 फीसदी है।
इसके पहले बसपा (BSP) ने अपनी रणनीति बदल दी थी। बसपा ने यहां से पहले मोहम्मद आरिफ (Mohammad Arif) को अपना उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन बाद में मदन चौहान (madan chauhan) को सामने कर दिया। मदन चौहान, 2015 से 2017 तक अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व वाली सपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं। पार्टी का मानना है कि राजपूत नेता चौहान को क्षेत्र में अपने मजबूत समुदाय का समर्थन मिल सकता है। लेकिन बसपा, राजपूतों के अलावा, 45,000 से अधिक जाटव वोटों के समर्थन पर भी निर्भर है। कुल जनसंख्या के करीब 15 फीसदी जाटवों ने पारंपरिक रूप से गढ़ मुक्तेश्वर में बसपा का समर्थन किया है। वैसे, बहुजन समाज पार्टी का हाथी आज तक गढ़मुक्तेश्वर गंगा नगरी क्षेत्र में अपना कोई जलवा नहीं दिखा पाया। मदन चौहान तो बसपा में अब आये हैं। मदन चौहान गढ़ मुक्तेश्वर से तीन बार विधायक रहे हैं। बसपा नेताओं का कहना है कि चौहान के मैदान में आ जाने के कारण सपा को उम्मीदवार बदलना पड़ा है। लोगों का कहना है कि सपा ने नैना देवी को इसलिए बदला क्योंकि उनका कोई स्थानीय संपर्क नहीं था।
भाजपा ने भी किया फेरबदल
जहां तक भाजपा (BJP) की बात है तो पार्टी ने मौजूदा विधायक कमल सिंह मलिक (Kamal Singh Malik) की जगह हरेंद्र सिंह तेवतिया (Harendra Singh Teotia) को टिकट दिया है। गांव नूरपुर मढैया निवासी हरेंद्र सिंह तेवतिया अपने को रिश्ते में चौधरी चरण सिंह का पोता बताते हैं। नूरपुर मढैया पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जन्मस्थली है। तेवतिया भी जाट उम्मीदवार हैं और सवर्ण जातियों के समर्थन के अलावा अपने समुदाय के वोट हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं। हरेंद्र सिंह तेवतिया पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं।
वैसे, तीनों पार्टियां अपने उम्मीदवारों की जाति (Caste) और समुदाय के समर्थन (Community ) के अलावा अपने पारंपरिक वैचारिक आधार पर निर्भर हैं। सपा मुस्लिम और गुर्जर वोटों पर अपनी उम्मीदें लगा रही है। राजपूतों और दलित वोटों पर बसपा और जाटों, राजपूतों और ब्राह्मणों पर भाजपा की उम्मीद टिकी है।
हालांकि, कांग्रेस ने अलग रास्ता अपनाया है। पार्टी ने एक जाट महिला आभा चौधरी पर विश्वास जताया है। पार्टी का कहना है कि वह निर्वाचन क्षेत्र में कई जातियों और महिलाओं की पसंद हैं। आभा का कहना है कि उन्हें जाट, ब्राह्मणों और विशेष रूप से महिलाओं सहित प्रत्येक जाति का समर्थन प्राप्त है। आभा चौधरी कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सचिन चौधरी की पत्नी हैं।
गढ़ मुक्तेश्वर की इकॉनमी ऐतिहासिक पर्यटन पर भी निर्भर है। गंगा नदी के तट पर स्थित गढ़ मुक्तेश्वर घाट पर महाभारत से संबंधित कार्तिक मेला अक्टूबर - नवंबर में होता रहा है जिसमें25 लाख से अधिक तीर्थयात्री शहर में आते हैं। कोरोना के चलते सब ठप है सो लोहों की बेसिक चिंता आजीविका को लेकर है।
चुनावी इतिहास
2017 - भाजपा के कमल सिंह मलिक ने बसपा के प्रशांत चौधरी को हराया।
2012, 2007 और 2002 - सपा के मदन चौहान ने लगातार जीत दर्ज की
1996 - भाजपा के राम नरेश जीते।
2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का वोट शेयर 43.31 प्रतिशत,बसपा का वोट शेयर 33.8 प्रतिशत, रालोद का 16.98 प्रतिशत और भाजपा का वोट शेयर 2 प्रतिशत था।
2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 41.8 प्रतिशत, बसपा का 25.16 प्रतिशत, सपा का 22.2 प्रतिशत, निर्दलीय प्रत्याशी सतपाल यादव का 6.81 और रालोद का वोट शेयर 2.55 प्रतिशत था।