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UP Election 2022: गुन्नौर सीट से मुलायम भी रह चुके हैं विधायक, इस बार फिर सपा और भाजपा के दो धुरंधर आमने-सामने
UP Election 2022: अजीत यादव ने 2017 में भी इस सीट पर जीत हासिल की थी और भाजपा ने एक बार फिर टिकट देकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है।
UP Election 2022: प्रदेश में दूसरे चरण (second stage) के मतदान वाली सीटों में गुन्नौर (Gunnaur seat) भी काफी महत्वपूर्ण है और इस सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) भी विधायक रह चुके हैं (MLA) । मजे की बात यह है कि मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) के लिए अजीत यादव ने यह सीट छोड़ी थी और वही अजीत यादव (Ajit Yadav) उर्फ राजू यादव (Raju Yadav) भाजपा के टिकट (Ticket) पर सपा उम्मीदवार को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
अजीत यादव ने 2017 में भी इस सीट पर जीत हासिल की थी और भाजपा ने एक बार फिर टिकट देकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी (samajwadi party) के टिकट पर उतरे रामखिलाड़ी यादव (Ramkhiladi Yadav) से होगा। 2017 के चुनाव में अजीत यादव ने रामखिलाड़ी यादव को 11,336 मतों से पराजित किया था। दोनों सियासी धुरंधर एक बार फिर चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं और इस बार इस सीट पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।
मुलायम सिंह को मिली थी भारी मतों से जीत
गुन्नौर विधानसभा सीट (Gunnaur Assembly seat) का गठन 1951 में हुआ था। यदि मुलायम सिंह यादव की बात की जाए तो वे 2003 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उस दौरान वे मैनपुरी (Mainpuri) से सांसद थे। उस समय जदयू के टिकट पर जीते अजीत यादव इस सीट से विधायक थे। उन्होंने मुलायम सिंह यादव के चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर चुनाव लड़कर भारी मतों से जीत हासिल की थी। बाद में 2007 के विधानसभा चुनाव में भी मुलायम सिंह यादव ने इस सीट से जीत हासिल की थी मगर बाद में उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था।
पहले भी भिड़ चुके हैं दोनों उम्मीदवार
सपा और भाजपा प्रत्याशियों को देखा जाए तो दोनों के बीच पहले भी चुनावी मुकाबला हो चुका है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के राम खिलाड़ी सिंह यादव ने कांग्रेस के टिकट पर उतरे अजीत यादव को 46,658 मतों से बुरी तरह हराया था। इस चुनाव में बसपा तीसरे नंबर पर और भाजपा चौथे नंबर पर रही थी।
2017 के विधानसभा चुनाव में गुन्नौर के मतदाताओं ने भाजपा में भरोसा जताया था। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उतरे अजीत यादव उर्फ राजू यादव ने 1,07344 मत हासिल करके सपा को पीछे छोड़ दिया था। उन्होंने सपा उम्मीदवार रामखिलाड़ी सिंह यादव को 11,336 मतों से हराया था।
दो पुराने धुरंधरों में कड़ा मुकाबला
2022 के चुनाव में एक बार फिर दोनों सियासी धुरंधर आमने-सामने हैं। इस इलाके पर समाजवादी पार्टी की मजबूत पकड़ मानी जाती है मगर 2017 के चुनाव में भाजपा ने सपा को झटका दे दिया था। वैसे सपा के टिकट पर उतरे रामखिलाड़ी यादव की क्षेत्र में मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे 1996 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर जीतने में कामयाब हुए थे। उस समय उन्हें जनता दल के टिकट पर जीत हासिल हुई थी। 2002 में सपा ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारा था मगर वे जीत नहीं सके थे। 2012 में उन्हें सपा के टिकट पर जीत हासिल हुई थी मगर 2017 में वे चुनाव हार गए थे।
दूसरी ओर अजीत यादव 2002 में जीत हासिल करने के बाद 2017 में एक बार फिर इस सीट से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। 2002 का चुनाव उन्होंने जदयू के टिकट पर जीता था जबकि 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर उन्हें जीत हासिल हुई थी। इस बार फिर वे भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस तरह इस चुनाव क्षेत्र में एक बार फिर भाजपा और सपा उम्मीदवार के रूप में दो पुराने धुरंधरों का आमना-सामना हो रहा है। दोनों प्रत्याशियों ने चुनावी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। सियासी जानकारों के मुताबिक इस बार के चुनाव में दोनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है। क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा करीब डेढ़ लाख है और वे किसी भी प्रत्याशी की जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाएंगे।