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UP Election 2022: आज सपा में शामिल होगा बाहुबली हरिशंकर तिवारी का परिवार, पूर्वांचल में मजबूत होगी साइकिल
UP Election 2022: गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे और पूर्व मंत्री पूर्वांचल के बड़े ब्राम्हण नेता बाहुबली हरिशंकर तिवारी का परिवार आज समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगा।
UP Election 2022: विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav 2022) से पहले नेताओं के दल बदल का खेल जारी है। आज सीएम योगी की कर्मभूमि गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा (Chillupar vidhan sabha) क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे और पूर्व मंत्री पूर्वांचल के बड़े ब्राम्हण नेता बाहुबली हरिशंकर तिवारी का परिवार (harishankar tiwari family) समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थामेंगा। उनके साथ उनके कुछ समर्थक विधायक और प्रत्याशी भी सपा में शामिल होंगे।
बता दें हरिशंकर तिवारी के बेटे (harishankar tiwari son) बीएसपी के टिकट पर 2017 में चिल्लूपार से विधायक चुने गए थे और उन्हें अभी कुछ दिन पहले ही मायावती (Mayawati) ने बाहर का रास्ता दिखाया है। जिसके बाद अब तिवारी परिवार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर भरोसा जताते हुए साइकिल की सवारी करेगा। उनके सपा में शामिल होने से पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी (samajwadi party purvanchal) को बड़ी मजबूती मिलने की उम्मीद है। क्योंकि हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण नेता माने जाते हैं।
यह नेता आज हो सकते हैं शामिल?
जानकारी के मुताबिक हरिशंकर तिवारी का परिवार दोपहर 12 बजे के करीब सपा प्रदेश मुख्यालय (sapa office) पर पहुंचेगा। जहां उनकी मुलाकात अखिलेश यादव से होगी और दोपहर 12:30 बजे अखिलेश यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस (akhilesh yadav press conference today) कर उन्हें पार्टी ज्वाइन कराएंगे। आज जिन नेताओं के सपा में शामिल होने की बात की जा रही है उसमें खलिलाबाद से बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी, पूर्व सांसद कुशल तिवारी, पूर्व विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पाण्डेय, करनैलगंज से बसपा प्रत्याशी संतोष तिवारी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे।
हरिशंकर तिवारी के राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 1980 के दशक में जिसकी भी सरकार बनी वह मंत्री होते थे। उनकी छवि एक बाहुबली नेता के तौर पर रही है। 1980 के दशक में पूर्वांचल में शुरू हुई गैंगवार और ठेके की जंग में उनका वीरेंद्र शाही से सीधा मुकाबला (harishankar tiwari vs virendra shahi) होता था। वीरेंद्र शाही से उनकी अदावत थी और वीरेंद्र शाही की मौत के बाद हरिशंकर तिवारी का नाम काफी सुर्खियों में आया था।
वीरेंद्र शाही की मौत के बाद से ही गोरखपुर में ठाकुर बनाम ब्राम्हण (thakur vs brahmin) की राजनीति शुरू हुई और हरिशंकर तिवारी बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर उभरे। सालों तक उनका यहाँ दबदबा रहा उसके बाद मठ की एंट्री हुई और योगी आदित्यनाथ (harishankar tiwari vs yogi adityanath) ने गोरखपुर की राजनीति में एक बड़ा चेहरा बन कर उभरे।
गोरखपुर की राजनीति (gorakhpur politics) के बारे में कहा जाता है कि यहां की राजनीति दो धड़ों में ठाकुर बनाम ब्राह्मण होती है। हरिशंकर तिवारी की राजनीति हते से चलती थी और मठ से ठाकुरों की राजनीति। हरिशंकर तिवारी ब्राह्मणों के नेता बने और योगी आदित्यनाथ की पहचान मुख्यमंत्री बनने से पहले ठाकुर नेता के तौर पर बनी थी।