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UP Election 2022: चुनाव के मौके पर फिर सामने आई अहीर रेजीमेंट की मांग
UP Election 2022: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (SP supremo Akhilesh Yadav) ने 2019 के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections 2019) में भी यह मांग रखी थी और इसे अपनी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था।
Lucknow: भारतीय सेना (Indian Army) में अहीर रेजिमेंट (Ahir Regiment) के गठन की मांग को लेकर दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे (Delhi-Gurgaon Expressway) पर अहीर समुदाय के लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा कर रहा है। इत्तेफाक की बात है कि बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar assembly elections) से पहले 2020 में बिहार में इसी तरह की मांग उठी थी। सोशल मीडिया पर काफी अभियान चलाया गया था।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (SP supremo Akhilesh Yadav) ने 2019 के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections 2019) में भी यह मांग रखी थी और इसे अपनी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। बिहार चुनाव के समय वरिष्ठ राजनेताओं और फिल्मी हस्तियों ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में 'अहीर' समुदाय के सदस्यों द्वारा किये गए सर्वोच्च बलिदान की याद करते हुए अहीर रेजीमेंट की मांग को सही ठहराया था।
अहीर रेजीमेंट की मांग करना जातिवाद नहीं है- राज लक्ष्मी यादव
समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद अक्षय प्रताप यादव (Former MP Akshay Pratap Yadav) की पत्नी राज लक्ष्मी यादव ने ट्विटर पर 2020 में पोस्ट लिखा था कि अहीर रेजीमेंट की मांग करना जातिवाद नहीं है। सेना में कई रेजीमेंट हैं जिनका नाम राजपूत, डोगरा, जाट, गोरखा आदि जातियों के नाम पर रखा गया है। राज लक्ष्मी, लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं।
जाहिर तौर पर चुनाव के समय इस मांग का उद्देश्य प्रभावशाली 'यादव' मतदाताओं का समर्थन हासिल करना है। वैसे, केंद्र पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी जाति, समुदाय या धर्म के आधार पर सेना में कोई नई रेजिमेंट बनाने के पक्ष में नहीं है।
अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग को लेकर बीती 30 जनवरी को गुरुग्राम के फर्रुखनगर में अहिरवाल युवा सेना संगठन के तत्वाधान में एक दिवसीय पंचायत का आयोजन किया गया था। इसके पहले हांसी में इसी मसले पर पदयात्रा आयोजित की गई थी।
अहीर या यादव रेजिमेंट की मांग उनके सम्मान और अधिकारों की लड़ाई- मनोज यादव
संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा (United Ahir Regimental Front) के संस्थापक सदस्य मनोज यादव ने कहा है कि अहीर या यादव रेजिमेंट की मांग उनके सम्मान और अधिकारों की लड़ाई है। पूरे इतिहास में सेना में अधिकतर शहीद इसी समुदाय के रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अहीरों को अन्य समुदायों की तरह मान्यता नहीं मिली है। राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी) की भर्ती केवल राजपूतों, जाटों और सिख रेजीमेंटों के लिए खुली है। या तो जाति आधारित अन्य रेजीमेंटों को भंग कर देना चाहिए या यादवों के लिए अलग रेजीमेंट का गठन करना चाहिए।
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