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UP Election 2022: औद्योगिक नगरी कानपुर का कैसा है चुनावी तापमान !
UP Election 2022: पिछले चुनाव में यहां की दस विधानसभा सीटों में भाजपा ने सात सीटों पर अपना परचम लहराया था।
UP Election 2022: यूपी में राजनीति के गढ कहे जाने वाले कानपुर (Kanpur) में रविवार को होने वाले मतदान (Voting) को लेकर नगर का चुनावी माहौल बेहद गरम दिख रहा है। जनसंघ के जमाने से अपने राजनीतिक इतिहास (political history) को समेटे हुए कानपुर प्रदेश के राजनीतिक माहौल का थर्मामीटर भी कहा जाता है। पिछले चुनाव में यहां की दस विधानसभा सीटों में भाजपा ने सात सीटों पर अपना परचम लहराया था। पर इस चुनाव में भाजपा (BJP) के हाथ से आर्यनगर (Aryanagar seat) और छावनी (chavani seat) की सीट निकल गयी थी जबकि बिल्हौर (Bilhaur Seat) और बिठूर सीट (Bithoor seat) उसे सपा (SP) से जीतने का लाभ मिला था। एक सीट का लाभ कांग्रेस (congress) को भी मिला था।
इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया है। केवल आर्यनगर (Aryanagar seat) से पिछला चुनाव हार चुके सलिल विश्नोई को इस बार सीसामऊ से उतारा गया है जबकि सीसामऊ से चुनाव हार चुके सुरेश अवस्थी को आर्यनगर सीट से उतारा गया है।
1 - बिल्हौर विधानसभा (Bilhaur Assembly)
इस सीट को पहले लोकसभा के नाम से जाना जाता था लेकिन परिसीमन के बाद यह नई सीट बन गयी। इसमें अधिकतर हिस्सा अकबरपुर विधानसभा का आता है। जबकि पुरानी सीट अकबरपुर में रनिया क्षेत्र जोड दिया गया। बिल्हौर सीट पर अधिकतर पिछडी जाति का वोट बैंक है। 2017 के पहले जब प्रदेश में सपा की सरकार बनी थी तब सपा की अरूणा कोरी ने यहां से विजय हासिल की थी। पर 2017 में बसपा से भाजपा में आए भगवती सागर ने बहुजन समाज पार्टी के कमलेश चंद्र दिवाकर को 31166 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। भाजपा ने यहां से राहुल बच्चा को प्रत्याशी बनाया है जबकि एसपी के रचना सिंह गौतम और बीएसपी ने मधु गौतम को टिकट दिया है।
2 -बिठूर विधानसभा (Bithoor Assembly)
धार्मिक क्षेत्र बिठूर कानपुर की नई विधानसभा सीट है। यह 2012 में परिसीमन के बाद बनी है। इसका अधिकतर हिस्सा देहात क्षेत्र में जबकि कुछ हिस्सा शहर में भी आता है। 2012 के चुनाव में मुनीन्द्र शुक्ल ने यहां पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2017 में कांग्रेस से आए अभिजीत सागा ने उनको पराजित कर यह सीट भाजपा की झोली में डालने का काम किया। इस बार भी अभिजीत सांगा मैदान में है। विधानसभा चुनाव 2012 में समाजवादी पार्टी के मुनींद्र शुक्ला ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अभिजीत सिंह सांगा एसपी के मुनींद्र शुक्ला को हरा कर शानदार जीत दर्ज की थी।
3 -कल्याणपुर विधानसभा (Kalyanpur Assembly)
कानपुर की इस सीट पर हमेश से कब्जा रहा है। पर 2012 में इस सीट से पूर्व केबिनेट मंत्री प्रेमलता कटियार को हार का सामना करना पड़ा। वह लगातार चार बार यहां से विधायक रहीं पर सपा के सतीश निगम ने उनको हराकर पहली बार सपा का खाता खोला लेकिन 2017 के चुनाव में प्रेमलता कटियार की बेटी नीलिमा कटियार ने इस सीट को एक बार फिर जीतकर भाजपा को बडा तोहफा दिया। इस बार फिर मुख्य मुकाबला नीलिमा कटियार और सतीश निगम के बीच है।
4 - गोविंद नगर विधानसभा (Govind Nagar Assembly)
एक समय एशिया की सबसे बडी सीट कही जाने वाली गोबिन्द नगर विधानसभ ी जनसंघ काल से भाजपा के खाते मे आती रही है। लेकिन 2012 में इस सीट को काटकर एक नई सीट किदवई नगर का निर्माण किया गया। यह ब्राम्हण और पंजाबी बाहुल्य सीट रही है। यहां से कल्याण् सिंह सरकार में श्रममंत्री रहे बालचन्द्र मिश्र चार बार विधायक बने। जनसंघ काल में देवीदास आर्य भी विधायक बनते रहे। बाद में कांग्रेस के अजय कपूर यह सीट जीतते रहे। पर पिछले दो चुनावों से भाजपा के पास यह सीट है। सत्यदेव पचोरी के सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के जिलाध्यक्ष सुरेेंद्र मैथानी ने यह सीट जीती। सुरेंद्र मैथानी का सपा के सम्राट विकास और कांग्रेस के करिश्मा ठाकुर के बीच यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
5 -महाराजपुर विधानसभा (Maharajpur Assembly)
कभी समाजवादी तो कभी बसपा के हांथों में आती रही सरसौल और छावनी सीट का अधिकतर हिस्सा नई विधानसभा महराजपुर में आ गया तो बार पांच बार के छावनी विधायक सतीश महाना ने यह सीट जीतकर भाजपा को पहली बार सौंपने का काम किया। इसके बाद यह सीट फिर से 2017 में उन्होंने जीतने का काम किया। इस बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं और उनकी जीत को तय माना जा रहा है। फलस्वरूप उन्हें प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। समाजवादी पार्टी की ओर से फतेह बहादुर गिल उम्मीदवार हैं। वहीं कांग्रेस ने कुशाग्र पांडेय और बसपा ने सुरेंद्रपाल सिंह चौहान की अपनी पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाया है।
6 -सीसामऊ विधानसभा (Sisamau Assembly)
अयोध्या आंदोलन के दौरान यह सीट भाजपा के खाते में आ गयी और यहां से राकेश सोनकर तीन बार विधायक बने। लेकिन बाद में इस सीट को सपा के हाजी मुश्ताक सोलंकी ने हथिया लिया। उनके निधन के बाद उनके बेटे इरफान सोलंकी यह सीट लगातार जीतकर सपा की झोली में डाल रहे हैं। परिसीमन के बाद पुरानी विधानसभा आर्यनगर का अधिकतर हिस्सा इसी क्षेत्र में आ गया। इस सीट पर अधिकतर मुस्लिम मतदाता आते हैं। यहाँ सीधा मुकाबला भाजपा के सलिल विश्नोई और सपा के इरफ़ान सोलंकी के बीच देखने को मिल रहा है।
7 -आर्यनगर विधानसभा (Aryanagar Assembly)
आर्यनगर सीट पुरानी सीट है पर परिसीमन के बाद इसका स्वरूप् दो चुनावों से बदल चुका है। पूर्व में इस जनरल सीट कहा जाता था। पर इसमें बाद में छावनी का बडा हिस्सा जोड दिया गया। आर्यनगर में जनरल वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसके साथ ही यहां पर मुस्लिम आबादी भी रहती है। आर्यनगर विधानसभा सीट से 2012 में बीजेपी के सलिल विश्नोई विधायक थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के अमिताभ वाजपेई ने शानदार जीत दर्ज की थी। इस बार अमिताभ वाजपेयी सीट बचाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। उनके सामने भाजपा के सुरेश अवस्थी मुकाबले में हैं। जबकि कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के भाई प्रमोद जायसवाल चुनाव मैदान में हैं।
8 -किदवई नगर विधानसभा (Kidwai Nagar Assembly)
नवगठित विधानसभा सीट पर अधिकतर ब्राम्हण मतदाता है। इसका अधिकतर हिस्सा पुरानी विधानसभा गोबिन्दनगर का ही है। 2012 में यहां से कांग्रेस के अजय कपूर जीते जो पहले भी गोबिन्द नगर से विधायक बनते आ रहे थें। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के महेश त्रिवेदी ने कांग्रेस के अजय कपूर को हरा कर कमल खिलाने का काम किया। इस बार फिर इन दोनो प्रत्याशियों का सीधा मुकाबला होने जा रहा है।
9 -छावनी विधानसभा (chavani Assembly)
छावनी विधानसभा कभी कांग्रेस का गढ हुआ करती थी लेकिन भाजपा के सतीश महाना ने लगातार पांच बार चुनाव जीतकर यह सीट पार्टी को सौंपने का काम किया। इस बीच जब सीटों का परिसीमन हुआ तो वह महराजपुर विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरे और इस सीट से रघुनन्दन भदौरिया चुनाव में उतरे। 2012 में यह सीट भाजपा के हाथ में आ गयी पर 2017 में यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गयी और कांग्रेस के सोहेल अंसारी ने यह सीट जीती। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर एक बार फिर रघुनन्दन भदौरिया फिर से मैदान में हैं। सपा, बसपा, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने भी मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है। ऐसा पहली बार है कि किसी विधानसभा सीट पर मुस्लिम वर्ग से ताल्लुक रखने वाले इतनी अधिक संख्या में प्रत्याशी मैदान में हैं। मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या अधिक होने से भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है।
10 -घाटमपुर- रनिया विधानसभा (Rania Assembly)
कानपुर के देहात हिस्से में आने वाली घाटमपुर सीट सुरक्षित सीट है जहां पर पिछली बार पूर्व सांसद कमलरानी वरूण को टिकट दिया गया और उन्होंने यह सीट जीतकर प्रदेष में मंत्री बनने का गौरव हासिल किया। पर उनके निधन के बाद जब उपचुनाव हुआ तो यह सीट भाजपा के उपेन्द्र पासवान ने जीती । पूर्व में यानी 2012 में यह सीट सपा के इंद्रजीत कोरी के पास थी। भाजपा ने यहाँ पर एक बार फिर प्रतिभा शुक्ला को टिकट दिया है जबकि बसपा से आए आरपी कुशवाहा को सपा ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने अंबरीष सिंह गौर को मैदान में उतारा है। बसपा से विनोद पाल प्रत्याशी हैं। यहां ओबीसी वोटों के बंटवारे के बीच अगड़े मतदाता चुनाव में निर्णायक हो सकते हैं।