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UP Election 2022: किसकी नैया पार लगाएगें विधानसभा चुनाव में निषाद, जानें क्या कहता है चुनावी गणित

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश की 403 में 169 विधान सभा क्षेत्रों में निषाद वोट बैंक काफी निर्णायक है। इनमें निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट, बिन्द, मांझी, धीवर, कहार, गोड़िया, रायकवार आदि शामिल हैं।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 18 Dec 2021 1:33 PM GMT (Updated on: 18 Dec 2021 2:08 PM GMT)
UP Election 2022: सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को जोड़ने की राजनीतिक दलों में होड़
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यूपी चुनाव (फोटो- न्यूजट्रैक) 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Election 2022 News) के पहले जाति राजनीति (caste politics in up) एक बार फिर से उफान पर है। हर राजनीतिक दल छोटे दलों को अपने पाले में करने के हर तरह के हथकंडे अपनाने की कोशिश में है। इन सबके बीच इस बार विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के पहले निषाद जाति के वोटों को हथियाने की होड़ है।

सत्ताधारी भाजपा (BJP) ने निषाद पार्टी (Nishad Party) से गठबन्धन (BJP-Nishad Party Alliance) कर चुनावी नैया पार करने की तैयारी की है। जबकि अन्य दल भी प्रलोभन देकर निषादों के बडे वोट बैंक को हासिल करने के प्रयास में लगे हुए हैं।

कितना निर्णायक है निषाद वोट (Nishad Party Vote Bank in UP)

उत्तर प्रदेश की 403 में 169 विधान सभा क्षेत्रों में निषाद वोट बैंक काफी निर्णायक है। इनमें निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट, बिन्द, मांझी, धीवर, कहार, गोड़िया, रायकवार आदि शामिल हैं। निषाद समाज की मंषा है कि भाजपा सरकार चाहे तो मझवार, तुरैहा, गोड़, बेलदार आदि को परिभाषित कर या पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को स्वीकार कर निषाद जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दे सकती है।

उत्तर प्रदेश में हैं 12.91 प्रतिशत निषाद जातियां (Nishad Caste in UP
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निषादों के बडे नेता लौटन राम निषाद (Nishads Leader Lautan Ram Nishad) का दावा है कि उप्र में 12.91 प्रतिशत निषाद जातियां होने के बाद भी राजनैतिक दल इनके साथ दोयम दर्जें का बर्ताव करते आ रहें है। लेकिन केन्द्र व प्रदेश सरकार में निषाद समाज को राज्यमंत्री तक ही सीमित रखा गया है। उनका मानना है कि भाजपा एक दो नहीं दर्जनों मंत्री या एम.एल.सी. बना दे, बिना आरक्षण के निषाद समाज भाजपा झांसे में नहीं जायेगा। निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट, बिन्द, मांझी, धीवर, कहार, गोड़िया, रायकवार आदि जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश जारी करवाना चाहता है।

किन जिलों में है निषाद जाति का प्रभाव

गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, फतेहपुर, कानपुर,सिद्धार्थनगर अयोध्या, अम्बेडकर नगर, चन्दौली, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, बलिया, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही, प्रयागराज, बांदा, आगरा, औरैया, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बाराबंकी, बहराइच, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, बदायूॅ, बरेली, उन्नाव, इटावा, मैनपुरी, फर्रूखाबाद, बस्ती की दो या दो से अधिक विधान सभा क्षेत्रों में निषाद समाज का वोट बैंक 40 हजार अधिक है।

71 विधान सभा क्षेत्रों में तो 70 हजार से अधिक निषाद मतदाता है। प्रदेश की 403 में 169 विधान सभा क्षेत्रों में निषाद वोट बैंक काफी निर्णायक है। निषाद समुदाय गोरखपुर उपचुनाव में अपनी ताकत दिखा चुका है। संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद उपचुनाव में भाजपा को पटकनी दे चुके हैं। इसी मजबूरी के चलते भाजपा ने फिर उनको अपनी पार्टी से जोड़ लिया।

निषाद पार्टी के संजय निषाद चाहते हैं आरक्षण का लाभ (benefits of reservation)

लखनऊ में भाजपा के साथ हुई हुई रैली के दौरान निषाद पार्टी के संजय निषाद ने भी अपनी आरक्षण वाली बात कही। उन्होंने कह दिया कि यदि भाजपा को प्रदेश में फिर से सरकार बनानी है तो युवाओं का ख्याल रखना होगा। युवाओं ने हमसे कहा है कि आरक्षण नही तो वोट नहीं। लेकिन हमने उन्हे मना किया है।

बसपा और सपा भी अपनी तरक आकर्षित करती रही हैं निषाद समुदाय को

एक समय समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने फूलन देवी को मिर्जापुर से टिकट देकर उन्हे सांसद बनाने का काम किया था। कल्याण सिंह सरकार में नदियों को पटटा देने का काम भी किया गया था। इसका लाभ कई चुनावों में उन्हे मिलता रहा। इसके बाद अखिलेश यादव ने भी अपने मंत्रिमडल में निषाद समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया। इसके पहले इस बार बिहार निषादों की एक पार्टी विकासषील इंसान पार्टी भी यूपी के चुनावों में उतरने को तैयार है।

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Shashi kant gautam

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